रायपुर: वास्तु शास्त्र में दक्षिण पश्चिम का कोना बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता (Vastu Tips for Home) है. यह नैऋत्य कोण कहलाता है. इस कोण में ऊंचाई, भारीपन और गुरुत्व का विशेष महत्व है. यह क्षेत्र दूसरों के मुकाबले अधिक ऊंचा और भारी होना चाहिए. इस क्षेत्र में मास्टर बैडरूम यानि गृह स्वामी के शयनकक्ष बनाने का विधान है. जब हम घर बनाते हैं तो मास्टर बैडरूम के लिए यह क्षेत्र सबसे बढ़िया माना गया है. इसी तरह ऑफिस, फैक्ट्री, कार्यालय क्षेत्र में मालिक को इस स्थान पर बैठने का विधान है. जिससे वह अच्छी तरह से कार्य को समझ सके और कमांड कर सके. इस क्षेत्र में बैठने से नेतृत्व क्षमता बढ़ती है. कार्य का विकास होता है. गुरुत्व बढ़ता है. दक्षिण-पश्चिम का कोना एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है.
लहराता हुआ ध्वज वास्तु को संतुलन प्रदान करता है:इस विषय में वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा कहते हैं " नैऋत्य कोण में पर्वत के चित्र हरीतिमा लिए हुए घने वृक्ष की फोटो ऊंची चीजें रखने का विधान है. इस क्षेत्र में ही घर, फैक्ट्री, ऑफिस सभी के लिए ऊंचे ध्वज को लगाया जाता है. जिससे वह ध्वज लहराता हुआ वहां के वास्तु को संतुलन प्रदान करता है. ईशान का कोण नीचे रखने का विधान है. जिससे कि भारी वर्षा होने पर और घर का समस्त पानी उपयोग किया हुआ पानी नैऋत्य कोण से बहते हुए ईशान या उत्तर दिशा की ओर से बाहर निकल जाए. वास्तुशास्त्र अपने आप में एक वैज्ञानिक शास्त्र हैं. इसका पालन करने पर घर में सुख सुविधा रहती हैं. आनंद की वृद्धि होती है. घर के नक्शे में यह बहुत सहायक सिद्ध होता है.