रायपुर:वर्ष 1986 में मध्यप्रदेश प्रशासनिक सेवा का एक अधिकारी राजनीति के सफर पर निकल पड़ा था. वो प्रशासनिक अधिकारी कांग्रेस का हाथ थामकर बुलंदी तक पहुंचा. बड़ा आदिवासी चेहरा, विषयों पर पकड़ रखने वाला ऐसा जननेता जिसकी धाराप्रवाह बोली लोगों को 'जोगी जी जिंदाबाद' कहने को मजबूर कर देती थी. 74 साल की उम्र में करीब 33 साल के राजनीतिक करियर के साथ अजीत जोगी ने साल 2020 में हमें अलविदा कह दिया था. लेकिन जब-जब छत्तीसगढ़ की राजनीति का जिक्र होगा, अजीत जोगी के बिना मुक्म्मल नहीं होगा.
अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री रहे. बोलने की कला में माहिर अजीत जोगी ने प्रदेश की कमान नवंबर 2000 से दिसंबर 2003 तक संभाली. जोगी राज्य विधानसभा के लिए चुने जाने के अलावा संसद के दोनों सदनों के सदस्य रहे. बिलासपुर जिले के पेंड्रा रोड के जोगी डोंगरी में काशी प्रकाश जोगी के घर 29 अप्रैल साल 1946 को अजीत जोगी का जन्म हुआ था. 8 अक्टूबर 1975 को रेणु जोगी से शादी हुई थी. उनके बेटे का नाम अमित जोगी है. उनकी एक बेटी अनुषा जोगी थी. अजीत जोगी हाईली क्वॉलीफाइड नेता रहे. उन्होंने बीई, एलएलबी, एमआईई की डिग्री हासिल की. राजनीति में आने से पहले बतौर शिक्षक और प्रशासनिक अधिकारी उन्होंने लंबी सेवा दी. जोगी राज्य विधानसभा के लिए चुने जाने के अलावा संसद के दोनों सदनों के सदस्य रहे हैं. 2016 में अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी को पार्टी विरोधी गतिविधियों और छत्तीसगढ़ के अंतागढ़ में उप-चुनावों के लिए कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था.
प्रशासनिक अधिकारी से राजनीति का सफर-
- अजित जोगी ने 1968 में अपनी मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री गोल्ड मेडल के साथ भोपाल के मौलाना आजाद कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी से पूरी की. अपने स्नातक के दौरान उन्हें मौलाना आजाद कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी स्टूडेंट्स यूनियन का अध्यक्ष चुना गया.
- 1974 में अजीत जोगी भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए चयनित हुए. वे 1974 से 1986 तक मध्यप्रदेश के सीधी, शहडोल, रायपुर और इंदौर जिलों में रिकॉर्ड 12 से ज्यादा सालों के लिए सबसे लंबे समय तक कलेक्टर रहे. खास बात ये भी है कि प्रशासनिक सेवा में आने से पहले जोगी ने बतौर शिक्षक कॉलेज में पढ़ाया भी.
अजित जोगी का राजनीति सफर
- अजित जोगी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1986 में की जब वे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC) के सदस्य बने. तब उन्हें कांग्रेस द्वारा राज्यसभा में मनोनीत किया गया था. उन्होंने 1998 तक लगातार दो कार्यकालों तक उच्च सदन में सेवा दी.
- 1987 में उन्हें मध्य प्रदेश की राज्य कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया था. इसके साथ वे अध्यक्ष, राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग (मध्य प्रदेश) रहे.
- 1989 में कांग्रेस ने उन्हें मणिपुर राज्य के निर्वाचन क्षेत्रों से लोकसभा के चुनाव के लिए उन्हें केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया था. उन्होंने मध्य प्रदेश के पूर्वी आदिवासी क्षेत्र में 1500 किलोमीटर की दूरी तय की और सामान्य जागरूकता फैलाने के लिए कांग्रेस पार्टी को समर्थन दिया.
- 1995 में सिक्किम विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया.
- 1996 में एआईसीसी कोर ग्रुप के सदस्य रहे. बाद में वह संसद में कांग्रेस पार्टी के कार्यकारी समिति के सदस्य बने.
- 1997 में उन्हें पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी चुनाव सदस्य रहे. इसके साथ ही 1997 से 1999 तक मुख्य प्रवक्ता, कांग्रेस संसदीय दल और AICC के मुख्य प्रवक्ता के रूप में कार्य किया.
- 1998 में वह छत्तीसगढ़ में रायगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से 12 वीं लोकसभा के लिए चुने गए.
- 1999 में उन्होंने दंतेवाड़ा में मां दंतेश्वरी मंदिर से दंतेवाड़ा में महामाया मंदिर और अंबिकापुर में महामाया मंदिर से छत्तीसगढ़ के लिए अलग राज्य के लिए जागरूकता फैलाने के लिए जात्रा का नेतृत्व किया.
- उन्होंने 9 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. उन्होंने 2003 में पूरे छत्तीसगढ़ में विकास यात्रा का नेतृत्व किया.
- 2004 में उन्हें महासमुंद, छत्तीसगढ़ के लिए 14 वीं लोकसभा में सांसद के रूप में चुना गया था.
- साल 2008 में मरवाही निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले, छत्तीसगढ़ विधान सभा के सदस्य के रूप में चुने गए.
- 2009 के लोकसभा चुनावों में निर्वाचित होने के बाद जोगी ने लोकसभा सदस्य के रूप में छत्तीसगढ़ के महासमुंद निर्वाचन क्षेत्र में काम किया. हालांकि, जोगी 2014 के चुनाव में अपनी सीट बरकरार रखने में नाकाम रहे और भाजपा के चंदू लाल साहू से 133 मतों से हार गए.
- 2018 में छत्तीसगढ़ के पहले सीएम अजीत जोगी ने बीएसपी और सीपीआई के साथ अपनी नई पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ बनाकर चुनाव लड़ा और सनसनी मचा दी. JCC (J) ने 55 सीटों पर चुनाव लड़ा जबकि BSP ने 35 सीटों पर चुनाव लड़ा.
ऐसे बने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री
वर्ष 1999 में अजीत जोगी जब शहडोल लोकसभा सीट से वह चुनाव हार गए थे, लेकिन उसके बाद जब नया राज्य बना तो स्थानीय कांग्रेस में ऐसा समीकरण बना कि जोगी को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल गया. 2000 से लेकर 2003 के विधानसभा चुनाव तक उनके पास ये पद रहा, लेकिन, फिर से वह इस पद पर वापसी नहीं कर सके.