रायपुर : बुराई पर अच्छाई की जीत और असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयादशमी धूमधाम से संपन्न हुआ. इस बार कोरोना संकट के मद्देनजर कई जिलों में रावण का दहन नहीं किया गया. कोरोना को लेकर में जारी गाइडलाइन के तहत रावण का दहन किया गया. हिंदू शास्त्रों और मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान श्रीराम ने लंका नरेश रावण का वध किया था. इसलिए इस दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है. इसके साथ ही शारदीय नवरात्रि का समापन भी हो जाता है.
रायपुर के रावणभाटा मैदान में इस साल रावण दहन नहीं किया गया. लेकिन पूजा-पाठ पूरे विधि विधान के साथ समपन्न हुआ. इस दौरान रावणभाटा मैदान में सीएम भूपेश बघेल ने जनता को संबोधित किया. सीएम भूपेश बघेल ने भगवान श्रीराम के जयकारे के साथ जनता को संबोधित किया. सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि हमारी राजधानी में दूधाधारी मठ का विशेष स्थान है. इस मठ का निर्माण 1610 में नागपुर के राजा द्वारा कराया गया था. रावणभाटा का दशहरा छत्तीसगढ़ के प्राचीन दशहरा में से एक है. उन्होंने ये भी कहा कि हमारे समाज में हमारे आस पास में और खुद हममें कई बुराई है, उसे समाप्त करें रावण असत्य का प्रतीक है. अहंकार का प्रतीक है, इसे नाश करना होगा. जब तक हम इस अहंकार का नाश नहीं करेंगे, तब तक हमें जीवन का लक्ष्य प्राप्त नहीं हो पाएगा. रावण दहन के मौके पर बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल भी उपस्थित रहे.
रावण वध मंचन भी दिखा
बिलासपुर में विजयादशमी के दिन कहीं भी रावण दहन का बड़ा आयोजन नहीं किया गया. शहर से लगे ग्रामीण क्षेत्रों में जरूर ग्रामीणों ने पारम्परिक ढंग से रामलीला का आयोजन किया था. जगह-जगह लोग पारम्परिक नृत्य का लुत्फ उठाते भी दिखे और ग्रामीण शैली में रावण वध मंचन भी दिखा. कोरोना महामारी के खतरे के मद्देनजर स्थानीय प्रशासन ने रावण दहन को स्थगित करने का निर्णय लिया था. इतिहास में ऐसा पहली दफा हुआ है कि शहर में सामूहिक और वृहद रूप से रावण दहन का आयोजन नहींं हुआ हो. लोग एक दूसरे को विजयादशमी की बधाई देते दिखे.