रायपुर: छत्तीसगढ़ के दो विश्वविद्यालय (two universities of chhattisgarh) के शिक्षाविदों के बीच चल रहा टेंडर विवाद (tender dispute) अब राजनीतिक (political) रंग ले लिया है. विपक्ष में बैठी भाजपा ने दो शिक्षाविदों के बीच टेंडर विवाद को लेकर भ्रष्टाचार का आरोप लगा दिया है. भाजपा ने आरोप लगाया है कि, शिक्षा के मंदिर में कमीशन खोरी का खेल चल रहा है. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एसके पाटिल के नेतृत्व में भ्रष्टाचार किया जा रहा है. कांग्रेस ने टेंडर को नियमानुसार किए जाने और कमीशन खोरी का खेल भाजपा के कार्यकाल में होनी की बात कही है.
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विश्वविद्यालय बना भ्रष्टाचार का अड्डा
भाजपा प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने आरोप लगाते हुए कहा कि, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय आज विश्वविद्यालय ना होकर भ्रष्टाचार का एक बड़ा अड्डा बन चुका है. दो बार कुलपति डॉ. एसके पाटिल के नेतृत्व में यह भ्रष्टाचार का बड़ा स्मारक विश्वविद्यालय में स्थापित हो चुका है. बड़े पैमाने में वहां बड़े बड़े भ्रष्टाचार हुए हैं. हालात यह है कि सारी चीजें सड़क पर आ चुकी है.
कुलपति को हटाने की मांग
भाजपा ने आरोप लगाया है कि सरकार ने महात्मा गांधी उद्यानिकी व वानिकी विश्वविद्यालय के लिए ओएसडी नियुक्त किया है. यह दोनों कमीशन को लेकर जिस तरीके से लड़ाई लड़ रहे हैं. इस बात का सूचक है कि प्रदेश के किसानों का और कृषि महाविद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य से इस संस्था से कोई सरोकार नहीं रह गया है. कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार के लिए पूरी तरह से विश्वविद्यालय को बदनाम कर दिया गया है. भारत सरकार से भी हमारी गुजारिश है कि सबसे पहले दोषियों पर एफआईआर हो और कार्रवाई की जाए.
इसके साथ ही कुलपति डॉ.एसके पाटिल को तत्काल हटाया जाए. क्योंकि छत्तीसगढ़ में कृषि विश्वविद्यालय की जो दुर्दशा हुई है. इसका जिम्मेदार कुलपति और वहां के संबंधित स्टाफ है. जिन पर सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है.
टेंडर में कोई गड़बड़ी नहीं, कमीशन खोरी भाजपा का मूल मंत्र-कांग्रेस
छत्तीसगढ़ में 15 साल तक भाजपा की सरकार रही है. कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार उनके विकास का मूल मंत्र रही है. आज भी भाजपा नेता उसी प्रकार की सोच रखते हैं. छत्तीसगढ़ में अभी भूपेश बघेल की सरकार है और पारदर्शी तरीके से सारे काम हो रहे हैं. पूर्व की रमन सरकार की कमीशन खोरी की भ्रष्टाचार की जो अराजकता थी वह छत्तीसगढ़ में समाप्त हो चुका है, लेकिन बीजेपी के मन और मस्तिष्क में आज भी कमीशन खोरी बसा हुआ है, इसलिए उन्हें हर वक्त इस प्रकार की चींजे नजर आती है. रही बात टेंडर की तो उसमें किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी नही है. भाजपा बेतुका आरोप लगा रही है.
टेंडर को लेकर क्यों है विवाद
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने हाल ही में विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए करोड़ों का निविदा जारी किया है. इस निविदा में 4 ऐसे महाविद्यालय के निर्माण को शामिल किया है, जो महात्मा गांधी उद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय से संबंधित है. हालांकि महात्मा गांधी विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति नहीं हुई है. शासन ने इसके लिए ओएसडी नियुक्त किया है, लेकिन कृषि विश्वविद्यालय ने महात्मा गांधी उद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय के ओएसडी के बिना महाविद्यालयों के निर्माण कार्यों के लिए निविदा जारी कर दी है. जिसके बाद दोनों विश्वविद्यालय के बीच विवाद की स्थिति निर्मित हो गई है. इस मामले में ओएसडी डॉ अजय वर्मा ने कृषि मंत्री को पत्र भी लिखा है.