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जैविक कृषि का बस्तरिया मॉडल देखने कोंडागांव आएगा उत्तराखंड के वैज्ञानिकों का दल - raipur news

ऑस्ट्रेलियन टीक और काली मिर्च खेती को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ के कृषि विशेषज्ञ राजाराम त्रिपाठी के मार्गदर्शन में प्लान तैयार किया जा रहा है. राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि ऑस्ट्रेलियन टीक और काली मिर्च की खेती उत्तराखण्ड के किसानों के लिए गेम चेंजर हो सकती है. इसकी खेती में मेहनत कम है और आमदनी ज्यादा मिल सकती है.

Team of scientists from Uttarakhand will come to Kondagaon to see Bastaria model of organic agriculture
उत्तराखंड के वैज्ञानिकों का दल

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Published : Feb 9, 2021, 8:25 PM IST

रायपुर: उत्तराखंड की सरकार कोंडागांव में बड़े पैमाने पर हो रहे हर्बल खेती के मॉडल को अपने प्रदेश में भी जमीन पर उतारने की इच्छुक है. हाल ही में इस संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में एक बैठक छत्तीसगढ़ के जैविक खेती करने वाले किसान राजाराम त्रिपाठी से हुई है.

बैठक के बाद उत्तराखंड सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने और अपने प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने के लिए इसे प्रयोग के तौर पर अपनाने का फैसला ली है. 10 फरवरी को वैज्ञानिकों का दल कोंडागांव में मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म का निरिक्षण करेगा.

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ऑस्ट्रेलियन टीक और काली मिर्च की होगी खेती

राजाराम त्रिपाठी ने हाल ही में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और राज्य के अधिकारियों को उन्नत प्रजाति के ऑस्ट्रेलियन टीक और काली मिर्च के पौधों की उच्च लाभदायक खेती के संबंध में जानकारी दी थी. इससे प्रभावित होकर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा है कि किसानों की आर्थिकी को बढ़ाने में ऑस्ट्रेलियन टीक और काली मिर्च की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है. राज्य में इसको बढ़ावा देने के लिए और क्या प्रयास हो सकते हैं, इस ओर ध्यान दिया जा रहा है.

उत्तराखंड से वैज्ञानिकों का दल करेगा दौरा

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा है कि जल्द ही उत्तराखंड से वैज्ञानिकों का एक दल मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म और रिसर्च सेंटर कोंडागांव का निरीक्षण करेगा. इस मॉडल को किस तरह से उत्तराखंड में भी लागू किया जाए इसकी संभावनाओं पर एक रोडमैप तैयार किया जा रहा है.

ग्राम विकास और पंचायतीराज के तहत होगी खेती

राजाराम त्रिपाठी के मुताबिक उत्तराखंड में इस तरह की खेती की अच्छी संभावना है. रूद्रपुर में ग्राम्य विकास और पंचायतीराज संस्थान के तहत ऑस्ट्रेलियन टीक और काली मिर्च की खेती की जो शुरुआत की गई है इसके बहुत ही अच्छे परिणाम दिखाई दे रहे हैं.

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