रायपुर :शिक्षक (Teacher) दीये की तरह होते हैं, जो खुद जलकर दूसरों को उजाला प्रदान करते हैं. उनके बताये मार्ग पर चलने से बच्चों का भविष्य उज्जवल हो जाता है. ये ऐसे गुरु होते हैं, जो हमें सिर्फ शिक्षा ही नहीं देते बल्कि जिंदगी जीने की राह भी बताते हैं. गुरु की महिमा की बखान करते हुए कबीर दास जी ने कहा है कि जीवन में कभी भी अगर ऐसी परिस्थिति आ जाए कि जब गुरु और गोविंद (ईश्वर) दोनों एक साथ खड़े मिलें तो पहले गुरु को प्रणाम करना चाहिए. क्योंकि गुरु ने ही हमें ईश्वर से मिलने का मार्ग बताया है. ईटीवी आपको एक ऐसी ही शिक्षिका से मिलवा रहा है, जो कोरोना महामारी में भी बच्चों को ज्ञान रूपी दीये के प्रकाश से प्रकाशमान करती रहीं. उन्होंने बच्चों को ऑनलाइन क्लास और मोहल्ला क्लास में पढ़ाई कराते हुए उनकी पढ़ाई जारी रखवाई.
बच्चों को पढ़ाती शिक्षिका सुनीता बच्चों के लिए की मोहल्ला लाइब्रेरी की शुरुआत
चंगोरा भाठा पूर्व माध्यमिक शाला की शिक्षिका सुनीता शर्मा ने बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए मोहल्ला लाइब्रेरी की शुरुआत की. सुनीता ने बताया कि शुरुआती दिनों में उन्होंने स्वामी विवेकानंद से संबंधित किताबें रखी हैं. बच्चों के लिए कहानी की किताबें, जनरल नॉलेज जैसी किताबें रखनी शुरू की. आज बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ मोहल्ला लाइब्रेरी में आकर किताब लेकर जाते हैं. पढ़ते हैं और उनका पढ़ाई के प्रति लगाव बना हुआ है. शिक्षिका ने बताया कि सप्ताह में 2 दिन मोहल्ला लाइब्रेरी लगाई जाती है. बच्चे किताबें लेते हैं और पढ़ने के बाद वापस जमा करते हैं.
कबाड़ से टीचिंग लर्निंग मैटेरियल
सुनीता शर्मा कबाड़ और वेस्ट से टीचिंग लर्निंग मैटेरियल तैयार कर बच्चों को पढ़ाती हैं, ताकि बच्चों में को वेस्ट मैटेरियल के सही इस्तेमाल की जानकारी हो सके. ऐसा वे इसलिए भी करती हैं क्योंकि बच्चों को बनाए गए मॉडल और लर्निंग मैटेरियल से समझने में आसानी हो. इस कारण बच्चे भी बड़े उत्साह के साथ पढ़ाई करते हैं.
स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को देती हैं निःशुल्क शिक्षा
सुनीता शर्मा शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला चांगोराभाठा की शिक्षिका हैं. स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के साथ वह अपने घर में भी बच्चों को पढ़ाती हैं. उन्होंने बताया कि जो बच्चे कमजोर हैं या जिनपर ज्यादा ध्यान देना है, वह ऐसे बच्चों को अपने घर पर निःशुल्क पढ़ाती हैं. बातचीत में उन्होंने बताया कि लॉक डाउन के दौरान उन्होंने मोहल्ला लाइब्रेरी के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई जारी रखने की सोची. इसके लिए खुली जगह का चयन किया. जो बच्चे स्लम एरिया और छोटी-छोटी जगहों पर रहते हैं, इसी बहाने वे थोड़ी खुली जगह में आकर पढ़ाई करेंगे. जिससे उनका भी मानसिक विकास हो सके. इसी उद्देश्य से मोहल्ला लाइब्रेरी की शुरुआत की. उन्होंने बताया कि साल 1998 से ही वे बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य कर रही हैं.
खेल-खेल में पढ़ रहे बच्चे
इधर, शिक्षिका से पढ़ रहे बच्चों ने बताया कि शिक्षिका उन्हें बहुत अच्छा पढ़ाते हैं. खेल-खेल में वह पढ़ाई की बहुत सारी चीजें सीख जाते हैं. साथ ही टीचर द्वारा चलाई जा रही मोहल्ला लाइब्रेरी में आकर बच्चों को बहुत अच्छा लगता है. वह यहां खुले वातावरण में पढ़ाई करके अच्छे से पढ़ और समझ पाते हैं. पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें अन्य विषयों के बारे में भी सीखने को मिलता है.