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SPECIAL: ब्रिटिशकालीन इमारतों का अद्भुत नमूना 'महाकौशल कला वीथिका', संरक्षण की दरकार - रायपुर न्यूज

रायपुर में अंग्रेजी शासनकाल में बनाया गया ऐतिहासिक संग्रहालय आज भी मौजूद है. इसे अंग्रेजों के जमाने में अजायबघर के नाम से भी जाना जाता था. आज इसे महाकौशल कला वीथिका के नाम पर जाना जाता है. यह ऐतिहासिक इमारत डेढ़ सौ साल पुरानी है. इतिहासकारों का कहना है कि यह दिल्ली के संग्रहालय से भी पुराना है, लेकिन सालों से इस भवन के संरक्षण और संवर्धन के लिए कोई कोशिश नहीं की गई. ऐसे में इसके लिए बड़े प्लान की जरूरत है.

Mahakaushal art gallery building
महाकौशल कला वीथिका

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Published : Oct 20, 2020, 4:48 PM IST

Updated : Oct 20, 2020, 5:56 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कई ऐतिहासिक विरासतें हैं. कुछ धरोहर तो समय के साथ नष्ट भी हो गई और जो बची है, उन्हें भी सहेजने की दिशा में व्यापक कदम नहीं उठाए जा रहे. रायपुर के ऐतिहासिक सिटी कोतवाली थाने को जमींदोज करने को लेकर लोगों में नाराजगी है. ईटीवी भारत रायपुर की ऐसे ऐतिहासिक स्मारकों की जानकारी दे रहा जो नष्ट होने के कगार पर. रायपुर में ऐसी कई इमारत है जिसे अंग्रेजी शासन काल में बनाया गया था. कुछ धरोहर तो ऐसी है जो दिल्ली के संग्रहालय से भी पुरानी है. इन इमारतों को संरक्षित करने की जरुरत है.

ऐतिहासिक धरोहर 'महाकौशल कला वीथिका' के संरक्षण की जरूरत

रायपुर के सबसे व्यस्ततम घड़ी चौक के पास ही अंग्रेजी शासनकाल में बनाए गए ऐतिहासिक संग्रहालय मौजूद है. जिसकी जानकारी कम ही लोगों को है, इसे अंग्रेजों के जमाने में अजायबघर के नाम से भी जाना जाता था. इसे महाकौशल कला वीथिका के नाम पर भी जाना जाता है. यह ऐतिहासिक इमारत डेढ़ सौ साल पुरानी है. इतिहासकार डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र बताते हैं कि इस संग्रहालय को बनाने का काम राजनांदगांव के राजा महंत घासीदास ने सन् 1867 में शुरू किया था. 1875 में इसका उद्घाटन किया गया.

महाकौशल कला वीथिका रायपुर

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यह संग्रहालय ब्रिटिशकालीन वास्तुकला का अद्भुत नमूना है. इतिहासकार बताते हैं कि ये ब्रिटिशकाल में बनाए गई इमारतों का अद्भुत नमूना है. जहां अष्टकोणीय भवन का निर्माण किया गया है. भवन की खासियत यह है कि इसे अष्टकोण भवन के रूप में बनाया गया है. किसी भी ओर से देखने पर यह बिल्डिंग एक जैसी दिखती है. इसे रानी विक्टोरिया के ताज की तरह ही बनाया गया है.

डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र बताते हैं कि अंग्रेजों के जमाने में यह शस्त्रागार था, फिर यहां पुरातत्व संग्रहालय स्थापित किया गया. जहां छत्तीसगढ़ और आसपास के राज्यों से प्राप्त ऐतिहासिक, वैज्ञानिक, प्राकृतिक सामग्री प्रदर्शित की जाती थी.

दिल्ली की संग्रहालय से भी पुराना है यह संग्रहालय

छत्तीसगढ़ की इस ऐतिहासिक धरोहर को सहेजा जाना बेहद जरूरी है. यह दिल्ली के संग्रहालय से भी पुराना है और मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने संग्रहालय में से एक है. मध्य प्रदेश के राजपत्र में इसके लिए प्रथम प्रकाशन भी हो चुका है, लेकिन छत्तीसगढ़ में 20 साल के बाद भी पुरातत्व विभाग इस संग्रहालय का अधिग्रहण नहीं कर पाया है. इतिहासकारों का मत है कि ज्योतिष और तांत्रिक दृष्टिकोण से इस भवन को बनाया गया था, लेकिन सालों से इस भवन के संरक्षण और संवर्धन कोई कोशिश नहीं की गई. ऐसे में इसके लिए बड़े प्लान की जरूरत है.

भवन की खासियत-

  • भवन स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है.
  • अष्टकोण पर लगे तीखे मेहराब आकर्षण का केंद्र.
  • हर दो कोनों के बीचो-बीच एक गोलाकार खिड़कियां और उन पर जालीदार आकृति आकर्षित करती है.
  • यह ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के ताज के जैसा बनाया गया है.
  • यह भवन डेढ़ सौ साल का इतिहास समेटे हुए हैं.
  • मेहराबदार पत्थर से बनी अष्टकोण सफेद इमारत.
  • इसे आज महाकौशल कला वीथिका नाम से जाना जाता है.
  • भवन के पत्थरों पर अद्भुत नक्काशी हुई है.
Last Updated : Oct 20, 2020, 5:56 PM IST

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