रायपुर: भाद्र शुक्ल पक्ष की सप्तमी को भगवान गणेश के एकदंत स्वरूप की पूजा करनी चाहिए. भगवान गणेश का यह स्वरूप समस्त शिक्षा प्रदान करने वाला, ज्ञान देने वाला है. जिन्हें ज्ञान की प्राप्ति चाहिए, उन्हें भगवान गणेश के एकदंत स्वरूप की साधना और आराधना करनी चाहिए.
बुद्धि के देव गणेश के इस रूप की पूजा से मिलेगा ज्ञान
गणेश चतुर्थी के दौरान आज हम जानेंगे कि भगवान गणेश एकदंत क्यों कहलाए. साथ ही उन्हें बुद्धि का देवता क्यों कहा जाता है.
भगवान गणेश के एकदंत बनने की कहानी भगवान परशुराम से जुड़ी हुई है. भगवान गणेश अपने पिता भगवान शंकर की सुरक्षा में तैनात थे. उसी समय भगवान परशुराम वहां भगवान शंकर से मिलने पहुंचे. जब भगवान गणेश ने भगवान परशुराम को रोकने की कोशिश को तो वे क्रोधित हो गए. उसी वक्त भगवान परशुराम ने भगवान गणेश के दांत पर वार किया. जिससे भगवान गणेश का एक दांत टूट गया, और तब से ही भगवान गणेश एकदंत के नाम से भी पूजा जाने लगा.
भगवान परशुराम से मिली बुद्धि
भगवान परशुराम इस युद्ध में भगवान गणेश से बहुत खुश हुए. तब भगवान परशुराम ने भगवान गणेश को अपना सारा ज्ञान दे दिया. बाद में भगवान गणेश ने इसी एकदंत से महर्षि वेदव्यास के सहयोग से महाभारत का लेखन किया.