अलवर: जिंदगी कितने भी इम्तिहान ले, मेहनत मांगे लेकिन जब रिजल्ट मिले तो उषा चौमर जैसा मिले. उषा ने दो जिन्दगियां जी हैं. वो खुद कहती हैं कि मैंने नर्क भोगकर जन्नत का चेहरा देखा है. नई जिंदगी का सुख उषा ने सिर्फ खुद तक सीमित नहीं रखा है बल्कि 150 महिलाओं के भी जीवन का कायापलट किया. भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री के लिए चयनित किया है.
उषा चौमर ने देश में अलवर का नाम रोशन किया है. उषा कहती हैं कि उन्होंने इस जन्म में दो जिंदगियां जी हैं. महिलाओं को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं को परेशानियों से भागने की जरूरत नहीं है बल्कि उनका मुकाबला करने के जरूरत है.
2003 में जिंदगी में आया टर्निंग प्वॉइंट
7 साल की उम्र में उषा ने मैला ढोने का काम शुरू किया. 14 साल की उम्र में उनकी शादी हुई और ससुराल में भी मैला ढोने का सिलसिला जारी रहा. उषा बताती हैं कि 2003 में उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वॉइन्ट आया, जिसने न सिर्फ उनका जीवन बदला बल्कि अलवर की 150 महिलाओं का नया सफर शुरू हुआ. उषा ने अपने जैसी 150 महिलाओं की जिंदगी बदली और उन्हें मुख्य धारा में जोड़ा.
नरक जैसी जिंदगी जी है: उषा