छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

SPECIAL: कृषि सुधार कानून पर भूपेश सरकार और केंद्र के बीच ठनी, क्या बन पाएगा राज्य का अपना कानून?

केंद्र सरकार के बनाए गए नए कृषि काननों के खिलाफ राज्य की भूपेश बघेल सरकार ने मोर्चा खोल रखा है. सरकार इन कानूनों को लागू करने के पक्ष में नहीं है. केंद्र सरकार पहले ही देश की सर्वोच्च सदन में इस बिल को पास कर चुकी है. प्रदेश सरकार की ओर से विधानसभा में जाकर नया बिल लाने की तैयारी है. ETV भारत ने इन सभी मुद्दों पर पड़ताल की है.

conflict-between-bhupesh-government-and-center
कृषि सुधार कानून पर भूपेश सरकार और केंद्र के बीच ठनी

By

Published : Oct 15, 2020, 10:04 PM IST

Updated : Oct 16, 2020, 1:37 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ जैसे कृषि प्रधान राज्य में पूरी राजनीति धान और किसान के इर्द-गिर्द ही घूमती है. एक बार फिर से केंद्रीय कृषि सुधार बिल को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र सरकार आमने-सामने हो गए हैं. छत्तीसगढ़ सरकार केंद्रीय कृषि बिल की जगह प्रदेश के किसानों के लिए नया कानून लाने दिवाली से पहले विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने जा रही है. इस सत्र को लेकर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि केंद्र सरकार पहले ही देश की सर्वोच्च सदन में इस बिल को पास कर चुकी है. ऐसे में प्रदेश सरकार की ओर से विधानसभा में जाकर नया बिल लाना कितना तर्कसंगत होगा, इसे लेकर ईटीवी भारत ने पड़ताल की है.

कृषि सुधार कानून पर भूपेश सरकार और केंद्र के बीच ठनी

कांग्रेस कृषि सुधार बिल का देश भर में विरोध कर रही है. छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की सरकार है इसलिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी और राज्य सरकार भी लगातार विरोध जता रहे हैं. बीते दिनों सड़क से लेकर राजभवन तक पैदल मार्च कर आपत्ति जताई गई. अब छत्तीसगढ़ में एक नया बिल लाने की तैयारी है. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी है. संसदीय मंत्री रविंद्र चौबे ने तो दावा कर दिया है कि दिवाली के पहले विशेष सत्र का आयोजन किया जाएगा.

कृषि सुधार कानून पर भूपेश सरकार और केंद्र के बीच ठनी

पढ़ें:रायपुर: किरायेदार पर नाबालिग लड़की से रेप का आरोप, रांची का रहने वाला है आरोपी

छत्तीसगढ़ की 2 योजना पर पड़ेगा प्रभाव

रविंद्र चौबे का तर्क है कि केंद्र के कानून आने के बाद पूंजीपति ही कृषि उपज के मूल्यों को कंट्रोल करेंगे. इस कानून के आने से छत्तीसगढ़ की दो महत्वपूर्ण योजनाएं प्रभावित होगी, जिनमें 2500 रुपए प्रति क्विंटल धान की खरीदी और राजीव गांधी किसान न्याय योजना जैसी योजनाएं शामिल हैं. यही कारण है कि इस कानून को छत्तीसगढ़ सरकार लागू नहीं करने का तर्क दे रही है.

केंद्रीय राज्य मंत्री का दावा

छत्तीसगढ़ के संसदीय और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे भले ही केंद्र सरकार की ओर से लाए गए बिल के विरोध में प्रदेश सरकार की ओर से नया बिल लाने की वकालत कर रहे हों, लेकिन केंद्र सरकार के केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव कुमार बालियान ने साफ तौर पर कहा है कि देश के सर्वोच्च सदन में पारित किए गए बिल को लेकर छत्तीसगढ़ राज्य का किसी कानून लाने प्रदेश सरकार को ऐसा कोई अधिकार नहीं है. कृषि उत्पाद का इंटरेस्ट मूवमेंट संविधान के सेंट्रल लिस्ट में है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं.

पढ़ें:मरवाही का महासमर: वोटिंग से पहले बीजेपी को बड़ा झटका, दो पूर्व प्रत्याशियों ने थामा कांग्रेस का हाथ

किसानों के हित में नहीं केंद्र और राज्य का टकराव

वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बीकेएस रे ने ETV भारत से चर्चा करते हुए कहा है कि यदि किसानों के हित के लिए केंद्र और छत्तीसगढ़ के बीच में टकराव होता है तो वह किसानों के हित में नहीं है. मैंने भी अध्ययन किया है कि सेंट्रल के कानून को लेकर स्टेट में इसका नया कानून लाने का अधिकार नहीं है. लेकिन फिलहाल हर जगह ऐसे नजारे देख रहे हैं कि सेंट्रल के कानून का स्टेट लेवल पर विरोध किया जा रहा है जो सही नहीं है.

केंद्र के कानून पर तोड़ मरोड़ संभव नहीं

संसदीय मामलों के जानकार डॉक्टर सुशील त्रिवेदी कहते हैं कि भारत सरकार ने जो तीन कानून बनाए हैं वह कृषि सुधार के नाम पर लाए गए हैं. वर्तमान में अब छत्तीसगढ़ सरकार कृषि के संबंध में किस तरह से कानून लाकर सुधार करने जा रही है. यह तो कानून के आने के बाद पता चलेगा. लेकिन इतना तो तय है कि केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कानून को तोड़ मरोड़ नहीं किया जा सकता. वह कानून बना रहेगा उसे संशोधित नहीं किया जा सकता, यह बात अलग है कि राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में मंडी अधिनियम आता है इस मंडी एक्ट में सुधार करके किसानों को राहत जरूर दी जा सकती है.

पढ़ें:बिलासपुर: 11 किलो गांजा के साथ 3 आरोपी गिरफ्तार

बहरहाल देश के सर्वोच्च सदन संसद में पारित किसी कानून के विरोध में विधानसभा में प्रस्ताव तो जरूर लाया जा सकता है, ऐसा सरकार करती भी रही है. हालांकि इसका कोई कानूनी प्रभाव नहीं होता. यह केवल विरोध करने का राजनीतिक तरीका होता है. संसद ने कोई कानून बना दिया तो राज्य सरकार उसे लागू करने से इनकार नहीं कर सकते. इस तरह से केंद्र और राज्य के बीच में टकराव के हालात में केंद्र सरकार की ओर से पारित किए गए किसी भी कानून को राज्य सरकार चुनौती नहीं दे सकती है.

Last Updated : Oct 16, 2020, 1:37 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details