रायपुर: छत्तीसगढ़ को भगवान श्रीराम का ननिहाल कहा जाता है. छत्तीसगढ़ में सालों से भांजे के पैर पड़ने की परंपरा भी बनी हुई है, क्योंकि भांजे को भगवान राम माना जाता है. माता कौशल्या की जन्मभूमि दक्षिण कौशल छत्तीसगढ़ को माना जाता है. छत्तीसगढ़ में भगवान श्रीराम के राम वन गमन पथ को लेकर श्रीराम वन गमन शोध संस्थान की ओर से पिछले 16 सालों से रिसर्च किया गया है. इस संस्थान के सचिव और इतिहासकार डॉ. हेमु यदु से ETV भारत ने खास चर्चा की.
डॉ. हेमू यदु ने बताया कि वे पिछले 16 सालों से छत्तीसगढ़ में राम वन गमन को लेकर रिसर्च कर रहे हैं. न केवल रिसर्च बल्कि उनकी पूरी टीम ने छत्तीसगढ़ में तमाम ऋषि आश्रमों में जाकर इसके लिए अध्ययन किया है. इस अध्ययन के आधार पर ही छत्तीसगढ़ में राम वन गमन को लेकर उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार की थी, जिसे उन्होंने पुरातत्व विभाग को सौंपा है. इस पुस्तक में 75 स्थानों का उल्लेख है. जिसमें से 51 स्थानों को डेवलप करने का सरकार ने फैसला लिया है.
75 जगहों में से 51 स्थानों का चयन
डॉ. हेमू यदु ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य जब बना, तो हमारे लिए भी यह कोशिश थी कि छत्तीसगढ़ की अस्मिता को उठाने के लिए भी कोई बड़ा काम शुरू किया जाए. वैसे तो छत्तीसगढ़ बनने के पहले ही कई सालों से राम वन गमन को लेकर काम कर रहे थे, लेकिन छत्तीसगढ़ बनने के बाद छत्तीसगढ़ को अलग पहचान देने के लिए यहां के पुरातात्विक महत्व को और अच्छे तरीके से सामने लाने की जरूरत पर हमने काम किया. छत्तीसगढ़ अस्मिता संस्थान के अंतर्गत हमने काम शुरू किया, फिर राम वन गमन शोध संस्थान के जरिए हमने पूरे छत्तीसगढ़ का दौरा किया. इस दौरान हमने तमाम प्रमाणों के साथ शोध किया है.
1200 किलोमीटर की यात्रा की
सीतामढ़ी हरचौका इसे हरी चौका कहा जाता था, वहां से यात्रा की शुरुआत करने के साथ हमने पूरे छत्तीसगढ़ की यात्रा भी की है. मोवाइन नदी के तट पर हरि चौका बना हुआ है. यहीं से भगवान श्रीराम का दंडकारण्य प्रवेश हुआ था. सीतामढ़ी हर चौका से लेकर सुकमा रामाराम तक 1200 किलोमीटर की यात्रा में हमने रिसर्च के दौरान कई चीजों का बारीकी से अध्ययन किया. रामचरितमानस में उल्लेखित कई चीजों जैसे पहाड़, वृक्ष और नदियों का उल्लेख किया गया है. वह सारे सबूत भी हमें रिसर्च के दौरान मिले हैं. हमारे नक्शे के आधार पर ही उल्लेखित 75 जगहों में से 51 स्थानों का चयन राम वन गमन पथ के लिए किया गया है. हाल ही में सरकार ने इनमें में 9 जगह पर काम भी शुरू कर दिया है.
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भगवान राम के आशीर्वाद से छत्तीसगढ़ धन्य
डॉ. यदु ने कहा कि भगवान राम के पदचिन्ह छत्तीसगढ़ में पड़े हैं. उनके परिजनों का उल्लेख हमने रिसर्च के दौरान किया है. दरअसल भगवान राम से उनके छोटे भाई भरत ने चित्रकूट में खड़ाऊं ले लिया था. ऐसे में भगवान राम ने नंगे पैर यात्रा की थी. उनके कदम छत्तीसगढ़ में पड़े हैं. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ धन्य-धन्य हो गया है.