रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में कहा है कि, नक्सली अगर संविधान को माने तो उनसे चर्चा की जा सकती है. मुख्यमंत्री के इसी बयान के बाद, 5 मई को नक्सलियों द्वारा एक कथित प्रेस नोट जारी किया गया है. कथित प्रेस विज्ञप्ति में दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प के हस्ताक्षर हैं. नक्सलियों द्वारा जारी किए गए इस कथित प्रेस विज्ञप्ति में सरकार के कामों को लेकर भी कई बातें लिखी गई हैं. छत्तीसगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता और वार्ता के पक्षधर शुभ्रांशु चौधरी का कहना है, नक्सलियों ने वार्ता के लिए अपने नेताओं को जेल से रिहा करने की मांग की है.
नक्सलियों से बातचीत के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए, दोनों पक्षों के लिए अच्छा मौका- शुभ्रांशु चौधरी - सामाजिक कार्यकर्ता सुभ्रांशु चौधरी
सामाजिक कार्यकर्ता सुभ्रांशु चौधरी ने नक्सलियों और सरकार के बीच वार्ता होने पर जोर दिया है. उन्होंने बघेल सरकार से मांग की है कि सरकार को एक कदम आगे बढ़ाते हुए नक्सलियों से बातचीत करनी चाहिए. नक्सलियों ने वार्ता के लिए अपने नेताओं को जेल से रिहा करने की मांग की है. सरकार को इस ओर सोचना चाहिए
नक्सली संविधान पर विश्वास व्यक्त करें, फिर हो सकती है बात: भूपेश बघेल
नक्सली हिंसा रोकने के लिए अच्छा मौका: सामाजिक कार्यकर्ता सुभ्रांशु चौधरी मानते हैं कि, "इस दिशा में पहल करने की जरूरत है. अब सरकार को एक कदम आगे बढ़ाते हुए नक्सलियों से पूछना चाहिए कि, वार्ता के लिए उनके किस नेता को रिहा किया जाए. चौधरी ने बताया कि नक्सलियों द्वारा जारी किए गए प्रेस नोट में और भी बातें हैं , लेकिन मुख्य बात यह है कि दोनों तरफ तरफ से लोगों की जानें जा रही है. नक्सली मुखबिर बोल कर मारते हैं. सरकार नक्सली बताकर मारती है.चौधरी के मुताबिक, बेकार में बेकसूर लोग मारे जा रहे हैं. दोनों तरफ से यह हिंसा रुकनी चाहिए . चौधरी मानते हैं कि हिंसा रोकने के लिए अभी बहुत अच्छा मौका है . इस अवसर को दोनों पक्षों को नहीं चूकना चाहिए"