रायपुर:छत्तीसगढ़ में एक बार फिर कोरोना ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. छत्तीसगढ़ में एक साल पहले कोरोना का पहला केस मिला था. जिसके बाद कोरोना ने छत्तीसगढ़ में जमकर तबाही मचाई. हजारों लोगों को जान गवांनी पड़ी. लेकिन धीरे-धीरे हालात सामान्य होने लगे. नवंबर के बाद स्थिति कंट्रोल में थी. फिर लापरवाही ने दस्तक दी. लापरवाही इतनी कि लोग कोरोना नाम की महामारी को भूल गए. कोरोना एक बार फिर छत्तीसगढ़ के लोगों को अपनी जद में ले रहा है.
सरकारी तंत्र भी लगातार राजनीतिक, सामाजिक और अन्य कार्यक्रमों में कोविड-19 को लेकर बनाई गई गाइडलाइन की धज्जियां उड़ते देखे गए. अब एक बार फिर से छत्तीसगढ़ में कोरोना के मरीज रोजाना हजारों की संख्या में मिल रहे हैं. अब शासन-प्रशासन फिर हरकत में आया है. नाइट कर्फ्यू की बात हो रही है. सामाजिक,धार्मिक आयोजनों के लिए गाइडलाइन लाई जा रही है. जिसे लेकर विपक्षी राजनीतिक पार्टियों के साथ ही सामाजिक संगठनों ने भी आपत्ति जताई है. सामाजिक संगठनों ने तर्क दिया है कि जब राजनीतिक आयोजन और अन्य सरकारी आयोजनों में मनमानी भीड़ बुलाई गई. अब त्योहारों और शादियों के मुख्य सीजन में फिर गाइडलाइन लाने की तैयारी करना समझ से परे है.
सामाजिक संगठनों ने जताई नाराजगी
छत्तीसगढ़ में कोरोना की दूसरी लहर ने आम जनता को डरा दिया है. जिस तरह से रोजाना 1500 से लेकर 2000 तक मरीज मिल रहे हैं, इससे अब फिर बीते साल जैसे हालात हो सकते हैं. बिगड़ते हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने भी अब स्कूलों में जनरल प्रमोशन देने, स्कूल कॉलेज की परीक्षाओं को रद्द करने, आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद करने जैसे बड़े फैसले लिए हैं. वहीं दुर्ग, राजनांदगांव जैसे शहरों में नाइट कर्फ्यू भी लगाया जा रहा है. साथ ही राजनीतिक, सामाजिक और अन्य सांस्कृतिक आयोजनों में लोगों की संख्या को लेकर गाइडलाइन भी जारी कर दी गई है. इन आयोजनों ने 50 से ज्यादा लोगों को शामिल नहीं करने के आदेश दिए गए है. इसे लेकर अब सामाजिक संगठनों ने भी नाराजगी जताई है.
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तमाम राजनीतिक गलियारों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल ही रहा है. लेकिन अब सामाजिक कार्यक्रमों में नई गाइडलाइन की वजह से लोग शादी और अंतिम संस्कार जैसे महत्वपूर्ण आयोजन में शामिल नहीं हो पाएंगे. इसे लेकर सामाजिक संगठनों ने आपत्ति जताई है. कोरोना काल से जन सेवा कर रहे सिख समाज और गुरुद्वारा कमेटी के पदाधिकारियों ने कहा है कि सेवा और सेवा काल की तस्वीरें फिर दिखने लगी है. सेवा सत्कार का कार्यक्रम तो हमेशा से चलता रहा है. अभी भी वे ऑक्सीजन मशीन को लोगों को लगातार उपलब्ध करा रहे हैं. बीच में कोरोना की रफ्तार थम गई थी. लेकिन राजनीतिक और अन्य बड़े आयोजनों में बढ़ती भीड़ पर किसी तरह से कोई कंट्रोल नहीं किया गया. हाल ही में भी बड़े पैमाने पर लोग क्रिकेट स्टेडियम में जुटे. वहां पर भी सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती रही. अब कोरोना फैलने के बाद फिर से नाइट कर्फ्यू और लॉकडाउन को लेकर बात हो रही है. सामाजिक कार्यक्रमों में नाम मात्र की उपस्थिति को लेकर गाइडलाइन बनाने की तैयारी है. वहीं राजनीतिक कार्यक्रमों में मनमानी भीड़ उमड़ रही है. चाहे वह किसी भी राजनीतिक पार्टी के आयोजन हो.
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