रायपुर : राजधानी सहित पूरे देश में सावन का शुभ महीना शुरू होने के साथ ही मांस की बिक्री लगभग 50% तक घट गई (silence in the mutton market of Raipur ) है. सावन का यह शुभ महीना 14 जुलाई से 12 अगस्त तक के रहेगा. राजधानी के शास्त्री बाजार में मटन और चिकन के मार्केट से रौनक गायब हो गई. नॉनवेज में मटन चिकन के साथ ही अंडा और मछली की बिक्री भी घटकर आधी रह गई है. सावन का महीना हिंदू धर्म में शुभ और पवित्र माना जाता है. इस दौरान अधिकांश लोग मांस का सेवन नहीं करते हैं. मटन और चिकन का व्यापार करने वाले दुकानदार भी ग्राहकी को लेकर काफी चिंतित नजर आए. दुकानदारों का मानना है कि इसी तरह के हालात आने वाले तीन चार महीने तक (Effect on meat sales in the month of Sawan) रहेंगे.
सावन आते ही मांस बाजार से रौनक गायब, घाटे में कारोबार
सावन आते ही मांस और अंडे का कारोबार मंदा हो जाता है.छत्तीसगढ़ के मटन मार्केट में इसका असर देखा जा सकता (silence in the mutton market of Raipur) है.
कितनी घटी मांस की बिक्री :मांस की बिक्री को लेकर हमने शास्त्री बाजार के मटन और चिकन दुकानदारों से बात कि तो उन्होंने बताया कि "सावन का 1 महीने के साथ ही आने वाले तीन चार महीने तक ग्राहक प्रभावित होगी आने वाले तीन चार महीनों में पितर पक्ष, गणेश चतुर्थी और नवरात्रि का पर्व होगा. जिसमें ग्राहकी घटकर 50 से 60% तक रहेगी और बाजार से रौनक भी गायब हो चुकी है."
सावन के पहले क्या थी स्थिति :मांस की बिक्री को लेकर कुछ अन्य दुकानदारों से बात की तो उन्होंने बताया कि "सावन का महीना शुरू होने के पहले इन दुकानों में अच्छी रौनक थी. ग्राहक भी सुबह से लेकर शाम तक लगभग 80 से 100 ग्राहक एक दुकान में पहुंच रहे थे. लेकिन सावन की शुरुआत होते ही गिने-चुने ग्राहक ही मटन चिकन और अंडा खरीदी कर रहे हैं . शास्त्री बाजार की इन दुकानों में सावन के ठीक पहले ग्राहकों की लंबी लंबी कतारें लगा करती थी. लेकिन सावन की वजह से इन दुकानों में अब सन्नाटा पसरा (Increased problem of meat vendors of Raipur) है."
सावन से नवरात्रि तक रहेगा असर :वहीं इस पूरे मामले में छत्तीसगढ़ पोल्ट्री डीलर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र ब्राह्मणकर ने बताया कि " हर साल सावन के महीने में मांस की बिक्री घटकर 50% तक रह जाती है. इसके साथ ही आने वाले तीन चार महीने के दौरान पितर पक्ष गणेश चतुर्थी और नवरात्र के पर्व में भी मांस का बाजार इसी तरह से मंदा रहेगा.उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में बहुत से अलग-अलग तरह के पोल्ट्री फॉर्म खुल गए हैं. जिसके कारण पोल्ट्री फार्म की सही संख्या का अनुमान लगाना मुश्किल है"