रायपुर: निलंबित IPS जीपी सिंह की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं. पहले उनके यहां ACB का छापा पड़ा. उसके बाद निलंबित किया गया और अब राजद्रोह का केस (Sedition case) दर्ज किया गया है. आर्थिक अपराध के मामलों में ACB की छापामार कार्रवाई के दौरान कुछ ऐसी चिठ्ठियां प्रशासनिक अफसरों ने बरामद की हैं, जिसमें सरकार के खिलाफ गतिविधियों (conspiracy against the government) की जानकारी पुलिस को मिली है. बीते दिनों कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे (Minister Ravindra Choubey) ने कहा था कि जैसे-जैसे तथ्य सामने आएंगे उस आधार पर फैसला लिया जाएगा.
छत्तीसगढ़ में पहली बार किसी सीनियर IPS के खिलाफ राजद्रोह का मामला (Sedition case against senior IPS) दर्ज किया गया है. चिठ्ठियों में किस तरह की साजिश रची गई थी, फिलहाल इसका खुलासा नहीं किया गया है. लेकिन यह जरूर बताया गया है कि निलंबित IPS सरकार के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे थे. जिसकी वजह से उन उन पर राजद्रोह का प्रकरण दर्ज किया गया है.
जीपी सिंह पर राजद्रोह का केस
निलंबित IPS के खिलाफ राजधानी के कोतवाली थाना में राजद्रोह का केस दर्ज किया गया है. फिलहाल पुलिस इस मामले को लेकर गंभीरता से जांच कर रही है. संभावना है कि आज शाम तक इस मामले पर और भी अधिक जानकारी सामने आएगी. बहरहाल आर्थिक अपराध के साथ-साथ निलंबित IPS जीपी सिंह के खिलाफ राजद्रोह का अपराध दर्ज होना उनके लिए बड़ी मुसीबत का सबब बन गया है. आर्थिक अनियमितता के मामले में दर्ज अपराध के चलते राज्य सरकार ने जीपी सिंह को पहले ही निलंबित कर दिया था.
IPS जीपी सिंह पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में कार्रवाई
छत्तीसगढ़ पुलिस महकमे में 1 जुलाई गुरुवार सुबह उस समय हड़कंप मच गया था, जब अपने ही पूर्व अधिकारी पर एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और EOW ने कार्रवाई शुरू कर दी थी. छत्तीसगढ़ के सीनियर IPS गुरजिंदर पाल सिंह पर एंटी करप्शन ब्यूरो ने बड़ी कार्रवाई करते हुए उनके घर समेत 15 अन्य ठिकानों पर छापा मारा. जिनमें उनके कई करीबी भी शामिल थे. ACB और EOW की टीम गुरुवार सुबह 6 बजे IPS जीपी सिंह के घर पहुंची. इसके साथ ही उनके अलग-अलग 15 ठिकानों पर भी छापा मारा गया. छापेमारी में सोने चांदी के जेवरात, बीमा पॉलिसी, इन्वेस्टमेंट के कागजात सहित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए थे. इनमें करोड़ों रुपए के लेनदेन का भी उल्लेख किया गया है.
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लगातार मिल रही थी शिकायत
जीपी सिंह के खिलाफ आर्थिक अपराध ब्यूरो के कार्यकाल के दौरान डरा-धमकाकर अवैध वसूली के जरिए आय से अधिक संपत्ति रखने की शिकायत मिल रही थी. जिसके आधार पर जांच शुरू की गई. 10 करोड़ से ज्यादा के अवैध लेनदेन का खुलासा हुआ है. रायपुर, भिलाई, राजनांदगांव और ओडिशा राज्य में बेनामी संपत्तियां अर्जित करने की पुष्टि हुई है.
जांच के दौरान इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले थे कि जीपी सिंह ने अलग-अलग जगहों पर करोड़ों की अनुपातहीन अवैध संपति अर्जित की है. उन्होंने कई बड़े लेन-देन किए हैं. शेल कंपनियों में निवेश करके मनी लॉन्ड्रिंग का प्रयास भी किया है. जीपी सिंह पर एंटी करप्शन ब्यूरो (Anti Corruption Bureau, ACB) और इकॉनॉमिक ऑफेंस विंग (Economic Offenses Wing, EoW) ने शिकंजा कसा.
IPS जीपी सिंह का नाता पहले भी विवादों से जुड़ा रहा है. जीपी सिंह साल 2019 में खुद एसीबी के चीफ थे. उन्हें भूपेश सरकार ने 1 साल पहले वहां से हटाकर पुलिस अकादमी भेज दिया था. इसके पहले वे रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग रेंज के आईजी भी रह चुके हैं.
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