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'बस्तर में सुरक्षा बलों के कैंप से बैकफुट पर नक्सली, हो रहे विकास के काम'

छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के कैंप स्थापित होने से नक्सली गतिविधियों पर लगाम लगी है. सरकार के मुताबिक आदिवासियों को वन अधिकार पट्टा जैसी सुविधाओं का लाभ उठाने के अलावा तालाब, डाबरी, खाद और बीज के निर्माण से संबंधित सहायता भी मिल रही है.

police camp in bastar
बस्तर में सुरक्षा बलों के कैंप

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Published : May 25, 2021, 5:27 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने एक बयान में कहा है कि प्रदेश के बस्तर क्षेत्र के नक्सली इलाकों में सुरक्षा बलों के शिविरों से नक्सली गतिविधियों को रोकने में मदद मिली है. सरकार का कहना है कि कैंप खोले जाने से नक्सली बैकफुट पर गए हैं और बस्तर में लोकतंत्र बहाल हुआ है.

सरकार के बयान के मुताबिक बस्तर की सबसे बड़ी समस्या ग्रामीणों और प्रशासन के बीच संवादहीनता रही है. शिविरों की स्थापना से कम्यूनिकेशन के कई नए रास्ते खुल रहे हैं, जिससे ग्रामीण भी विकास की प्रक्रिया में भागीदार बन रहे हैं. बस्तर के वनांचल में रहने वालों की आय वनोपजों और खेती से बढ़ रही है. बयान में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ के अन्य क्षेत्रों के किसानों की तरह उन्हें भी अब उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिल रहा है.

'कैंप लगाने से हो रहा बदलाव'

सरकारी बयान के अनुसार इनमें से ज्यादातर कैंप ऐसे दुर्गम इलाकों में लगाए गए हैं, जहां नक्सलियों के डर से विकास कार्य संभव नहीं था, लेकिन आंतरिक क्षेत्रों में अब बदलाव देखा जा रहा है. इन क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, परिवहन सुविधाएं सुचारू हो रही हैं. सरकारी योजनाएं प्रभावी ढंग से ग्रामीणों तक पहुंच रही है.

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सुरक्षाबलों की निगरानी में हो रहे हैं विकास कार्य

इन शिविरों की स्थापना ने इन क्षेत्रों में नक्सलियों की सुचारू आवाजाही को रोक दिया है. सुरक्षा बलों की ताकत कई गुना बढ़ने से नक्सली पीछे हट रहे हैं. सुरक्षा बलों की निगरानी में सड़कों, पुल-पुलियों और संचार सुविधाओं का निर्माण तेजी से हो रहा है, जिससे इन इलाकों में भी सरकार की योजनाएं तेजी से पहुंच रही हैं.

नक्सलियों को जवाब देने के लिए लगाए गए कैंप

बस्तर में नक्सलियों का उसी अंदाज में जवाब देने के लिए सुरक्षा बलों ने घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ों में उनके कैंप लगाने का फैसला किया था. जरूरत पड़ने पर एक दूसरे की मदद करने के लिए एक सुनियोजित रणनीति के साथ इन शिविरों की स्थापना की जा रही है.

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बिचौलियों की भूमिका समाप्त: सरकार

सरकार के मुताबिक आदिवासियों को वन अधिकार पट्टा जैसी सुविधाओं का लाभ उठाने के अलावा तालाब, डाबरी, खाद और बीज के निर्माण से संबंधित सहायता भी मिल रही है. दावा है कि बुनियादी ढांचे के विकास ने वन और कृषि उपज की खरीद और बिक्री में बिचौलियों की भूमिका को समाप्त कर दिया है. अब ग्रामीण अपनी उपज को सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर बेचने में सक्षम है.

'ग्रामीण को मिल रही शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं'

ग्रामीणों को अब स्वास्थ्य सुविधाएं भी मिल रही हैं और बस्तर संभाग के विभिन्न जिलों में नक्सलियों द्वारा बंद किए गए स्कूलों के माध्यम से अब शिक्षा संबंधी गतिविधियां संचालित की जा रही हैं. इन दुर्गम क्षेत्रों में आ रही समस्याओं की जानकारी प्रशासन तक तेजी से पहुंच रही है, जिससे इनका भी तेजी से समाधान किया जा रहा है.

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सरकार के बयान के मुताबिक गांवों में चिकित्सा, स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं. कुपोषण, मलेरिया और मौसमी बीमारियों के खिलाफ अभियान मजबूत हो रहा है, जिससे सैकड़ों ग्रामीणों के स्वास्थ्य की रक्षा हो रही है.

ग्रामीणों को बरगला रहे नक्सली

इन बीमारियों के कारण सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. इनमें महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा हैं. बस्तर में लोकतंत्र मजबूत होने से परेशान नक्सली कैंप का विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों के बीच गतलफहमी पैदा करते हैं और सुरक्षाबलों के खिलाफ बरगलाते हैं.

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