रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने एक बयान में कहा है कि प्रदेश के बस्तर क्षेत्र के नक्सली इलाकों में सुरक्षा बलों के शिविरों से नक्सली गतिविधियों को रोकने में मदद मिली है. सरकार का कहना है कि कैंप खोले जाने से नक्सली बैकफुट पर गए हैं और बस्तर में लोकतंत्र बहाल हुआ है.
सरकार के बयान के मुताबिक बस्तर की सबसे बड़ी समस्या ग्रामीणों और प्रशासन के बीच संवादहीनता रही है. शिविरों की स्थापना से कम्यूनिकेशन के कई नए रास्ते खुल रहे हैं, जिससे ग्रामीण भी विकास की प्रक्रिया में भागीदार बन रहे हैं. बस्तर के वनांचल में रहने वालों की आय वनोपजों और खेती से बढ़ रही है. बयान में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ के अन्य क्षेत्रों के किसानों की तरह उन्हें भी अब उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिल रहा है.
'कैंप लगाने से हो रहा बदलाव'
सरकारी बयान के अनुसार इनमें से ज्यादातर कैंप ऐसे दुर्गम इलाकों में लगाए गए हैं, जहां नक्सलियों के डर से विकास कार्य संभव नहीं था, लेकिन आंतरिक क्षेत्रों में अब बदलाव देखा जा रहा है. इन क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, परिवहन सुविधाएं सुचारू हो रही हैं. सरकारी योजनाएं प्रभावी ढंग से ग्रामीणों तक पहुंच रही है.
बस्तर में नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों को लग रहा कोरोना टीका
सुरक्षाबलों की निगरानी में हो रहे हैं विकास कार्य
इन शिविरों की स्थापना ने इन क्षेत्रों में नक्सलियों की सुचारू आवाजाही को रोक दिया है. सुरक्षा बलों की ताकत कई गुना बढ़ने से नक्सली पीछे हट रहे हैं. सुरक्षा बलों की निगरानी में सड़कों, पुल-पुलियों और संचार सुविधाओं का निर्माण तेजी से हो रहा है, जिससे इन इलाकों में भी सरकार की योजनाएं तेजी से पहुंच रही हैं.
नक्सलियों को जवाब देने के लिए लगाए गए कैंप
बस्तर में नक्सलियों का उसी अंदाज में जवाब देने के लिए सुरक्षा बलों ने घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ों में उनके कैंप लगाने का फैसला किया था. जरूरत पड़ने पर एक दूसरे की मदद करने के लिए एक सुनियोजित रणनीति के साथ इन शिविरों की स्थापना की जा रही है.