रायपुर:छत्तीसगढ़ में तेजी से कोरोना वायरस का संक्रमण देखने को मिल रहा है. संक्रमण के दौर में गणेश उत्सव के लिए प्रशासन ने गाइडलाइन जारी की थी. इसमें सार्वजनिक मूर्ति स्थापित करने पर प्रतिबंध लगाया गया था. शासन-प्रशासन ने नियम 15 दिन पहले जारी किए थे. नियमों की वजह से मूर्तिकारों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. बता दें, 17 अक्टूबर से नवरात्र शुरू हो रहा है. भक्ति और शक्ति के इस पर्व में मूर्तिकार और दुर्गा उत्सव समिति के पदाधिकारियों को सरकार की गाइडलाइन का इंतजार है. मूर्तिकार इस बात से भी परेशान हैं कि कहीं गणेश उत्सव की तरह उन्हें घाटा न सहना पड़े.
मूर्तिकारों को सरकारी कायदे-कानून का इंतजार मूर्तिकार रंजीत विश्वास का कहना है कि सरकार ने अभी तक गाइडलाइन जारी नहीं की है. इस कारण मूर्तिकार मूर्तियां बनाने का काम धीमी गति से कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वैसे तो मूर्तिकार लगभग फरवरी से मूर्तियां बनाने का काम शुरू कर देते हैं, लेकिन गणेश उत्सव के दौरान सरकार की देरी से जारी की गई गाइडलाइन के कारण उन्हें काफी नुकसान सहना पड़ा है.
पढ़ें:रायपुर पुलिस ने जब्त किया ढाई किलो सोना, कार्रवाई में जुटा आयकर विभाग
नहीं दे पा रहे मेहनताना
उन्होंने कहा कि मूर्तिकार का घर मूर्तियां बनाकर ही चलता है. यहीं एक मात्र उनके आय का साधन होता है. मूर्ति व्यापारियों का कहना है कि इस साल कारीगरों का मेहनताना भी नहीं दे पा रहे हैं. मूर्ति बनाने के लिए उन्हें बाजार से भारी भरकम पैसे उठाने पड़े रहे हैं. अगर मूर्ति ही नहीं बिकी तो वे किस तरह इसका भुगतान करेंगे.
एक मूर्तिकार ने बताया कि गणेश पर्व के दौरान ही एक मूर्तिकार ने जहर खाकर खुदखुशी करने की कोशिश की थी. उसने भी मूर्ति बनाने के लिए बाजार से भारी-भरकम उधार लिया था. सरकार की लेट गाइडलाइन जारी होने की वजह से मूर्तिकारों को काफी नुकसान सहना पड़ा है.
पढ़ें: सर्दी-खांसी और बुखार ने बढ़ाई चिंता, डर के मारे लोग नहीं पहुंच रहे अस्पताल
गाइडलाइन का इंतजार
मूर्तिकार रंजीत विश्वास ने बताया कि हर साल मूर्ति बनाने के लिए दूसरे राज्यों से कलाकार आते थे. पर जगह-जगह लागू लॉकडाउन होने की वजह से कहीं से कोई भी नहीं आ पा रहा है. इसके साथ ही मूर्तिकारों की मूर्ति दूसरे राज्य भी जाती थी. लेकिन इस बार कोरोना के वजह से ग्राहक बड़े मुश्किल से पहुंच रहे हैं. साथ ही सरकार ने अभी तक गाइडलाइन जारी नहीं किया. इस वजह से भी जो भी ग्राहक आ रहे हैं वह भी मूर्ति देखकर वापस लौट रहे हैं.