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SPECIAL: भगवान भरोसे है मूर्तिकारों की रोजी-रोटी, गणेशोत्सव के बाद नवरात्र में भी नुकसान

ETV भारत की टीम राजधानी रायपुर में कलाकारों और कारीगरों की बस्ती के नाम से प्रसिद्ध माना बस्ती पहुंची और मूर्तिकारों का दर्द जाना. मूर्तिकारों ने बताया कि गणेशोत्सव के बाद अब नवरात्र में भी उन्हें लाखों का नुकसान सहना पड़ रहा है. कभी माता रानी की हजारों मूर्तियां बनाने वाले कारीगर इस साल आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं.

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रायपुर में आर्थिक तंगी से जूझ रहे मूर्तिकार

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Published : Oct 7, 2020, 2:08 PM IST

रायपुर:छत्तीसगढ़ में हर साल बड़े ही धूमधाम से नवरात्र का त्योहार मनाया जाता है, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण का काला साया सभी तीज-त्योहारों पर पड़ा है. नवरात्र के लिए माता की मूर्तियां तो बन रही हैं, लेकिन उनकी प्रतिमाओं को लेने के लिए अब तक गिने-चुने ही ऑर्डर मिले हैं. ETV भारत की टीम राजधानी रायपुर में कलाकारों और कारीगरों की बस्ती के नाम से प्रसिद्ध माना बस्ती पहुंची और मूर्तिकारों का दर्द जाना. कभी माता रानी की हजारों मूर्तियां बनाने वाले कारीगर इस साल आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं.

रायपुर में आर्थिक तंगी से जुझ रहे मूर्तिकार

आने वाले 17 अक्टूबर को नवरात्र शुरू होने वाले हैं. शहर के अलग-अलग हिस्सों में नवरात्र की रौनक देखने को मिलती थी, जो इस साल नहीं मिलेगी. इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से सिर्फ 20 प्रतिशत जगहों पर ही मूर्तियां स्थापित की जाएंगी.

माता रानी को मूर्त रूप देते मूर्तिकार

कोरोना संकट ने मूर्तिकारों के जीवन में लाई आर्थिक तंगी

माना बस्ती की हर गलियों में मूर्तिकारों का ठिकाना है. यहां हर पर्व के लिए देवी-देवताओं की प्रतिमाएं बनाई जाती हैं. नवरात्र के लिए भी इन कारीगरों ने मूर्तियां तैयार की हैं, लेकिन कोरोना संकट की वजह से उनका व्यापार इस साल घाटे में जा रहा है. इससे उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गणेशोत्सव में भी कोरोना संक्रमण के मद्देनजर उनकी मूर्तियां नहीं बिकी और अब नवरात्र में भी स्थिति वैसी ही बनी हुई है, जिससे वे मायूस और निराश हैं.

मूर्तिकारों को मिले गिनती के प्रतिमाओं के ऑर्डर

20 प्रतिशत का कारोबार होना भी मुश्किल

श्रुति मूर्तिकला के संचालक जय किशन नायक ने बताया कि कोरोना की वजह से उनका व्यवसाय बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है. नवरात्र आने में बस कुछ ही दिन बचे हैं और अब तक गिनती की बुकिंग आई है. उनका कहना है कि बीते सालों की तुलना में इस साल सिर्फ 20 प्रतिशत का कारोबार मुश्किल से हो पाएगा. पहले हजारों प्रतिमा बनाने के ऑर्डर मिल जाया करते थे, लेकिन इस बार अब तक दुर्गा पंडालों के आयोजकों ने महामारी की वजह से हाथ खींच लिए हैं.

17 अक्टूबर से शुरू होने वाले हैं नवरात्र

दूसरे राज्यों से भी रोजगार के लिए आते हैं मूर्तिकार

मूर्तिकला केंद्रों के संचालक बताते हैं कि बीते 50 साल से यहां छत्तीसगढ़ के अलावा कोलकाता और ओडिशा के भी कारीगर दुर्गा प्रतिमा बनाने के लिए आते थे. अब हालात ये हैं कि मूर्तियों की लागत राशि भी नहीं निकल रही है, तो बाहर से आए मेहमान मूर्तिकारों को उनका मेहनताना कैसे देते. मूर्तिकला केंद्र संचालकों का कहना है कि इस साल उन्हें लाखों का नुकसान हुआ है.

'शासन-प्रशासन की गाइडलाइन में छूट मिलने से मिलती राहत'

मां काली मूर्ति कला केंद्र के संचालक रंजीत विश्वास ने बताया कि उन्हें गणेशोत्सव के बाद नवरात्र को लेकर भी कारोबार में तेजी आने की उम्मीदें नहीं थीं. बढ़ते संक्रमण के आंकड़ों ने लोगों में डर भी बना दिया. उनका कहना है कि शासन-प्रशासन की त्योहारों के लिए बनाए गए गाइडलाइन में अगर दुर्गा पंडाल आयोजकों को थोड़ी रियायत मिल जाती, तो शायद पहले से ही उनकी दुर्गा मूर्तियों की बुकिंग के लिए लोग पहुंचते, लेकिन इतने कड़े नियमों के बीच इस बार ज्यादा मूर्तियां नहीं बिकेंगी, जिससे उनकी जेब खाली हो गई है. लागत राशि भी मिल पाना इस बार कठिन नजर आ रहा है.

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कृष्णा मूर्तिकला के संचालक सदानंद राणा ने कहा कि शासन-प्रशासन भी गाइडलाइन को त्योहार के 15 दिन पहले ही जारी करते हैं, जिससे उन्हें मूर्ति बनाने में नुकसान हुआ है. उनका कहना है कि पहले अगर गाइडलाइन तय कर दी जाती तो वे मूर्ति बनाने में पैसे ही नहीं लगाते और न ही उन्हें इतना नुकसान होता. सदानंद ने कहा कि सरकार मूर्तिकारों पर ध्यान नहीं दे रही है. उनका कहना है कि इस साल शासन-प्रशासन उनसे किराया या किसी भी तरह का कर न वसूले, ताकि उन पर आर्थिक बोझ नहीं बढ़ सके.

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मूर्तिकार कहते हैं कि उन्हें मूर्तियां बनाने के अलावा और कोई काम आता भी नहीं है कि वे अपनी जिंदगी गुजार सकें. कोरोना महामारी ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया. अब उनके सामने आमदनी का कोई दूसरा साधन भी नहीं है. गणेश उत्सव में लाखों की हुई हानि के सदमे से ये मूर्तिकार ठीक से उबर भी नहीं पाए थे और नवरात्र में भी इन्हें कोरोना गाइडलाइन के चलते दोहरी मार झेलनी पड़ रही है.

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