रायपुर :जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल (Article 370) 370 हटने से विकास का रास्ता सबके लिए खुल गया है. पहले 370 की आड़ में जम्मू और लद्दाख के साथ भेदभाव होता था, अब वो भेदभाव नहीं है. उक्त बातें आरएसएस प्रमुख मोहन (RSS chief Mohan Bhagwat) भागवत ने नागपुर में कहीं. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि कश्मीर घाटी भी अब सीधा विकास का लाभ ले रही है. आतंकवादियों का डर वहां भी समाप्त हो गया है. 'मैंने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया और वर्तमान स्थिति देखी. अनुच्छेद 370 हटने के बाद सभी के लिए विकास का रास्ता खुल गया है. अनुच्छेद 370 के बहाने जम्मू-लद्दाख में पहले भेदभाव किया जाता था. वह भेदभाव अब नहीं है.
उन्होंने कहा कि उससे पहले कश्मीर घाटी के लिए जो किया गया, उसका 80 प्रतिशत राजनीतिक नेताओं की जेब में चला गया और लोगों तक नहीं पहुंचा. अब कश्मीर घाटी के लोगों को विकास और लाभ प्राप्त करने की सीधी पहुंच का अनुभव हो रहा है.
राष्ट्रीय नागरिक पंजी तैयार करने का आह्वान
इधर, बीते 15 अक्टूबर को नागपुर में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने देश की तेजी से बढ़ती जनसंख्या पर चिंता व्यक्त जताई थी. उन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की समीक्षा का भी आह्वान किया है. उन्होंने सीमा पार से अवैध घुसपैठ पर लगाम लगाने और घुसपैठियों को नागरिकता का अधिकार हासिल करने एवं देश में जमीन खरीदने से रोकने के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) तैयार करने का भी आह्वान किया.
भारत युवाओं का देश, यहां 57 प्रतिशत आबादी युवाओं की
भागवत ने विजयादशमी पर नागपुर के रेशमबाग में अपने वार्षिक संबोधन के दौरान आरएसएस कार्यकर्ताओं से कहा कि भारतीय मूल के धर्मों के लोगों की जनसंख्या की भागीदारी पहले 88 प्रतिशत थी, जो अब 83.8 प्रतिशत हो गई है. जबकि मुस्लिम आबादी अतीत में 9.8 प्रतिशत थी, जो साल 1951 से साल 2011 के बीच बढ़कर 14.23 प्रतिशत हो गई. उन्होंने कहा कि भारत युवाओं का देश है, जिसमें 56 से 57 प्रतिशत आबादी युवाओं की है, जो 30 साल बाद बुजुर्ग हो जाएगी. उसकी देखभाल के लिए ढेर सारे लोगों की जरूरत होगी. उनकी देखभाल के लिए कितने लोगों की आवश्यकता होगी? इन सभी पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि आगामी 50 वर्षों को दिमाग में रखकर जनसंख्या संबंधी एक नीति बनाई जानी चाहिए और यह सभी पर एक समान रूप से लागू होनी चाहिए, क्योंकि जनसंख्या समस्या बन सकती है और उसमें असंतुलन भी समस्या बन सकता है.
जनसंख्या अनुपात में धार्मिक असंतुलन से देश की एकता-अखंडता को हो सकता है खतरा
भागवत ने प्रस्ताव का हवाला देते हुए कहा कि विभिन्न धार्मिक समूहों की वृद्धि दर में बड़े अंतर, घुसपैठ और धर्म (Infiltration And Conversion) परिवर्तन के कारण खासकर सीमावर्ती इलाकों में जनसंख्या (Religious Imbalance in Population Ratio in Border Areas) अनुपात में धार्मिक असंतुलन पैदा हुआ है. जिससे देश की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक पहचान के लिए खतरा पैदा हो सकता है. उन्होंने कहा कि भले ही भारत जनसंख्या नियोजन के लिए कदम उठाने की सबसे पहले घोषणा करने वाले देशों में शामिल था और उसने इस संबंध में 1952 में घोषणा कर दी थी. लेकिन एक व्यापक जनसंख्या नीति 2000 में तैयार की गई और एक जनसंख्या आयोग का गठन किया गया.
कुल प्रजनन दर और बाल अनुपात विभिन्न धर्मों में असमान
भागवत ने कहा कि साल 2005-2006 के राष्ट्रीय प्रजनन एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण और 2011 की जनगणना में छह वर्ष तक के आयुवर्ग के धर्म संबंधी जनसंख्या प्रतिशत आंकड़े संकेत देते हैं कि कुल प्रजनन दर (टीएफआर) और बाल अनुपात विभिन्न धर्मों में असमान है. उन्होंने कहा कि असम, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे सीमावर्ती राज्यों के सीमावर्ती जिलों में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही है, जो बांग्लादेश से बेरोक-टोक घुसपैठ का स्पष्ट संकेत देती है.
देश की सीमा सुरक्षा मजबूत करने की जरूरत
उधर, बीते 15 अक्टूबर को भागवत ने नागपुर में कहा कि आजादी के बाद हमें विभाजन का दर्द मिला. विभाजन की टीस अभी तक नहीं गई है. हमारी पीढ़ियों को इतिहास के बारे में जानना चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ी को यह बताया जा सके कि देश के लिए बलिदानियों ने सबकुछ कुर्बान कर दिया. उन्होंने कहा कि हम तालिबान के इतिहास को जानते हैं. चीन और पाकिस्तान आज भी इसका समर्थन करते हैं. तालिबान भले ही बदले, पाकिस्तान नहीं. क्या भारत के प्रति चीन के इरादे बदल गए हैं. हमारी सीमा सुरक्षा को मजबूत करने की जरूरत है.
ड्रग्स से देश को कराया जाए मुक्त, देश में अराजकता फैलाने की कोशिश
युवाओं को नसीहत देते हुए मोहन भागवत ने कहा कि नई पीढ़ी में नशीले पदार्थ खाने की लत लग रही है. बड़े से लेकर छोड़े तक इस काम में व्यस्त हैं. ऐसे में हमारी कोशिश होनी चाहिए कि किसी भी तरह से देश के युवाओं को ड्रग्स के दायरे से बाहर निकाला जाए. इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में अराजकता फैलाने की कोशिश हो रही है.
OTT पर सरकार को नसीहत : नियामक ढांचा के तहत हो सामग्री
ओटीटी के मामले पर मोहन भागवत ने सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि कोरोना महामारी के बाद ऑनलाइन शिक्षा का प्रचलन बढ़ा है. बच्चों के हाथ में मोबाइल है और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण नहीं रह गया है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि ओटीटी के लिए सामग्री नियामक ढांचा के तहत हो. सरकार को इसके लिए प्रयास करना चाहिए.
तालमेल के जरिये अराजक समय को रोकें
देश में मौजूदा आंतरिक हालात पर चिंता जताते हुए सर संघचालक ने कहा कि देश के अंदर अराजकता का माहौल बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य आपस में लड़ रहे हैं, पुलिस आपस में लड़ रही है. ऐसी स्थिति में सभी राज्यों के बीच आपसी तालमेल होना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि पर्व, त्योहार पर मेलजोल बढ़ना चाहिए इस दौरान मनमुटाव को त्याग देना चाहिए.
सावरकर को बदनाम करने की चल रही मुहिम, कहीं अगला निशाना विवेकानंद न हो जाएं : भागवत
बीते 12 अक्टूबर को आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने नई दिल्ली में वीर सावरकर पर पुस्तक के विमोचन के एक कार्यक्रम में कहा कि लंबे समय से सावरकर को बदनाम करने की लगातार कोशिश की जा रही है. उनके खिलाफ मुहिम चलाया जा रही है. दरअसल, मुहिम चलाने वाले लोग सावरकर को ठीक से जानते ही नहीं हैं.
टिप्पणी करने वाले धर्म को नहीं जानते, उन्हें अपनी दुकान चलाने की चिंता
भागवत ने कहा कि टिप्पणी संघ पर भी की जाती है और सावरकर पर भी. हो सकता है आने वाले समय में विवेकानंद, अरविंद घोष और स्वामी दयानंद पर भी कमेंट किये जाएं. उन पर भी निशाना साधा जा सकता है. यह प्रवृत्ति सही नहीं है. टिप्पणी करने वालों पर भागवत ने कहा कि उन्हें अपनी दुकान चलने की पड़ी रहती है. वे लोग धर्म को नहीं जानते हैं. धर्म तो जोड़ने वाला विचार है. यह पूजा-पद्धति के आधार पर बांटने वाला नहीं होता है. वीर सावरकर ने इसे ही हिंदुत्व कहा था.
हमारी पूजा विधि अलग-अलग है, लेकिन पूर्वज एक
भागवत ने कहा कि संसद में भी कैसी परिस्थिति बन जाती है, बस समझो मारपीट होते-होते रह जाती है. लेकिन बाहर में आकर फिर से सब एक साथ बात करते हैं. एक साथ चाय पीते हैं. कुछ लोग मानते हैं कि 2014 के बाद सावरकार का युग आ रहा है. अगर किसी को ऐसा लगता है, तो लगने दो, यही सही है. यही हिंदुत्व है. हम सब एक हो रहे हैं. अच्छी बात है. मोहन भागवत ने कहा कि 1857 की क्रांति के समय हिन्दू और मुसलमान एक साथ थे, लेकिन अंग्रेजों ने उन्हें बांटने का काम किया. उन्होंने कहा कि हमारी पूजा विधि अलग-अलग है, लेकिन पूर्वज एक हैं. भागवत ने कहा कि देश में बहुत राष्ट्रभक्त मुस्लिम हैं, जिनके नाम गूंजने चाहिए.
1930 से ही देश में मुसलमानों की आबादी बढ़ाने की कोशिश: भागवत
वहीं 21 जुलाई 2021 को गुवाहाटी में देश में आबादी नियंत्रण को लेकर छिड़ी बहस के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि देश में 1930 से ही मुस्लिम आबादी बढ़ाने का संगठित प्रयास किया गया. ताकि वर्चस्व बढ़ाकर इसे पाकिस्तान बनाया जा सके. भागवत ने कहा कि ऐसा करके वे अपने मकसद में कुछ हद तक कामयाब भी हो गए और देश का बंटवारा हो गया. उन्होंने यह भी कहा कि जिन स्थानों पर वे (मुस्लिम) बहुसंख्यक थे, वहां से उन लोगों को निकाल दिया गया, जो उनसे अलग थे. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) से किसी मुसलमान को कोई दिक्कत नहीं होगी. आरएसएस प्रमुख ने गुवाहाटी में एक कार्यक्रम में कहा कि इन कानूनों का हिंदू-मुस्लिम विभाजन से कोई लेना-देना नहीं है.
RSS चीफ मोहन भागवत बोले- समाज कुटुंब के आधार पर चलता है, हिंदू जागेगा तो विश्व जागेगा
उधर, 10 अक्टूबर 2021 को उत्तराखंड के हल्द्वानी में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि समाज कुटुंब के आधार पर चलता है. सभी एक-दूसरे की निर्भरता को मानकर चलेंगे तो समाज ठीक से चलेगा. भागवत ने कहा कि समाज में सभी को एक साथ व्यवहार करना है. यही कुटुंब सिखाता है. समाज में सभी को ऊंच-नीच, जात-पात से ऊपर उठकर काम करने की जरूरत है. सभी को मिल-जुलकर एक साथ रहने की जरूरत है. भागवत ने अपील की कि परिवार में अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें, जिससे कि हमारे बच्चे हमारे पुराने संस्कारों को जीवित रख सकें. इसके अलावा पूरा परिवार सप्ताह में 1 दिन बैठकर एक साथ भजन-कीर्तन भी करे और सामूहिक घर का बना हुआ भोजन भी करे. इससे परिवार में खुशहाली भी आएगी और परिवार को बल भी मिलेगा.
हिंदुत्व के खिलाफ है लिंचिंग, सभी भारतीयों का डीएनए एक : भागवत
इधर, 4 जुलाई 2021 को गाजियाबाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) ने कहा कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है. मुसलमानों को डर के इस चक्र में नहीं फंसना चाहिए कि भारत में इस्लाम खतरे में है. उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग मुसलमानों से देश छोड़ने को कहते हैं, वे खुद को हिंदू नहीं कह सकते. भागवत ने राष्ट्रीय मुस्लिम मंच द्वारा गाजियाबाद (यूपी) में 'हिन्दुस्तानी प्रथम, हिन्दुस्तान प्रथम' विषय पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि लोगों में इस आधार पर अंतर नहीं किया जा सकता कि उनका पूजा करने का तरीका क्या है.