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अभनपुर में फ्लॉप साबित हुई रोका-छेका अभियान, अधिकारी और जनप्रतिनिधि उदासीन - आवारा पशु

अभनपुर में भूपेश सरकार के रोका-छेका अभियान का पालन नहीं किया जा रहा है. नगर पंचायत में भी अधिकारी और जनप्रतिनिधि इसे लेकर उदासीन हैं. ऐसे में यह अभियान बेअसर नजर आ रहा है.

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रोका-छेका अभियान बेअसर

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Published : Jul 30, 2020, 4:39 AM IST

Updated : Jul 30, 2020, 8:22 AM IST

रायपुर:राज्य सरकार ने फसलों की सुरक्षा और किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, उसी क्रम में कृषि की पुरातन परंपरा रोका-छेका अभियान भी शामिल है. इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 19 जून को की थी. इस अभियान के तहत पकड़े गए मवेशियों को कांजी हाउस और गौठानों में रखने का आदेश है. अभनपुर इलाके में भूपेश सरकार के रोका-छेका अभियान का पालन नहीं किया जा रहा है.

जनप्रतिनिधियों और पंचायत प्रतिनिधियों में रोका-छेका अभियान को लेकर उत्साह की कमी देखी जा रही है. अभनपुर में गौठान निर्माण सरकार ने ग्राम पंचायत के माध्यम से कराया है. जहां गौठान है, वहां भी सुबह से रात तक आवारा पशुओं को सड़कों पर देखा जा सकता है. वहीं इन आवारा मवेशियों के कारण सड़क पर चलने वाले खासे परेशान रहते हैं. सड़क पर बैठे मवेशियों के कारण दुर्घटनाएं भी होती हैं. इससे मवेशियों के साथ ही वाहन चालकों को जानमाल की हानि होती है. गोबरा नवापारा में नगरपालिका के जिम्मेदार अधिकारियों की भी उदासीनता को साफ देखा जा सकता है. नगरपालिका कार्यालय के सामने भी मवेशियों का झुंड रातभर सड़कों पर बैठता है. वहीं अभनपुर नगर पंचायत में भी अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. ऐसे में यह अभियान बेअसर नजर आ रहा है.

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रोका-छेका अभियान को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जनता से अपील भी की थी, लेकिन अब यह अभियान ठंडा पड़ता नजर आ रहा है. जहां एक ओर गांव में इस योजना को लेकर किसान रुचि नहीं दिखा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शहरों में भी यह योजना सफल होती नजर नहीं आ रही है.

Last Updated : Jul 30, 2020, 8:22 AM IST

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