रायपुर:अपना आशियाना हर इंसान की जिंदगी का सपना होता है. राजधानी रायपुर में सैकड़ों की तादाद में लोगों ने रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी के नए प्रोजेक्ट में जमीन और मकान की खरीदी की थी. इस नए प्रोजेक्ट को बेहद ही तामझाम के साथ सरकार ने लॉन्च किया था. इसे इंद्रप्रस्थ का नाम दिया गया. जिस तरह से 'इंद्रप्रस्थ' में सुविधाओं और मनोरंजन का खास ख्याल रखा जाता है. कुछ इसी तरह के वादे भी आरडीए ने लोगों को जमीन या मकान बेचते वक्त किए थे.
इन लुभावने वादों से आकर्षित होकर बड़ी संख्या में लोगों ने यहां मकान खरीदे. लेकिन आज यही लोग आरडीए प्रबंधन की लापरवाही और हर काम में लीपापोती के चलते खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. सरोना के नजदीक कई एकड़ में बसे इस प्रोजेक्ट में ना तो सुरक्षा के नाम पर कोई इंतजाम किया गया है और ना ही मेंटेनेंस का ख्याल रखा जाता है. ज्यादातर सड़कें खराब हो चुकी है, गार्डन आबाद होने से पहले ही बर्बाद हो चुके हैं. आलम यह है कि यहां पर असामाजिक तत्वों का बसेरा रहता है. इसके चलते यहां रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
रहवासियों का कहना है कि मकानों की क्वॉलिटी बेहद खराब है. बारिश में ज्यादातर मकानों में सीपेज आ जाता है वहीं स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं होने के कारण आए दिन चोरी और लूट की वारदात होती रहती है. महिलाओं का शाम के बाद घर से बाहर निकलना दुभर हो गया है.
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लोगों का कहना है आरडीए ने अपने कैटलॉग में बेहतरीन स्मार्ट टाउन का रूप देने का वादा किया था. जहां मनोरंजन के साथ ही दूसरी सुविधाएं भी स्थापित करने की बात कही थी. लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी यहां लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं. जिन लोगों ने मकानों को बड़े अरमानों के साथ खरीदा था, वे आज इतने परेशान हैं कि मकान बेचने की तैयारी कर रहे हैं.
खराब कंस्ट्रक्शन क्वॉलिटी
इंद्रप्रस्थ के रहवासियों का कहना है कि 'यह सिर्फ नाम का ही इंद्रलोक है. यहां निर्माण कार्य बेहद ही निम्न स्तर का किया गया है. इसके चलते मकानों में सीपेज बना रहता है. ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से बदहाल हो चुका है. कम समय में ही इसकी कई खामियां उजागर होने के चलते इंद्रप्रस्थ का बहुत बड़ा इलाका खाली पड़ा हुआ है, क्योंकि लोग अब यहां अपना मकान बनाने से कतरा रहे हैं'.स्थानीय निवासियों का कहना है कि कई बार इसकी जानकारी आरडीए को दी गई लेकिन आज तक इन समस्याओं को दूर करने के लिए कोई खास पहल नहीं की गई.
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