कांकेर: कला किसी का मोहताज नहीं होती, जितनी उकेरी जाए उतना ही निखार आता है. इस वाक्य को सिद्ध कर दिखाया है कांकेर जिले के आदिवासी कलाकार अजय मंडावी ने, जिनका नाम इस वर्ष पद्मश्री पाने वाले की सूची में शामिल है. अजय मंडावी बचपन से उड़न आर्ट (काष्ठकला) का काम कर रहे है. इनकी कला का लोहा साहित्यप्रेमी मानते हैं, जो छत्तीसगढ़ में अलग पहचान रखती है. वर्तमान में अजय जिला जेल कांकेर में बंद कैदियों को काष्ट कला का प्रशिक्षण देते है. अजय मंडावी अपनी कला के माध्यम से बहुत से कला कृतियां तैयार करने के साथ ही बाइबिल का लेखन भी कर चुके हैं.
कैदियों ने दिया साथ ताे गोल्डन बुक में दर्ज हुआ नाम:अजय मंडावी को उनकी जिस कला के लिए पुरस्कार मिल रहा है उसमें वंदेमातरम शामिल है. उन्होंने उस कला के बल पर 40 फिट ऊंची और 22 फिट चौड़ी काष्ट पट्टिका पर वंदेमातरम की कृति तैयार की थी. इस कार्य मे उनका साथ जेल में बंद नक्सल कैदियों ने दिया जो गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है. इन्होंने इस कला को राष्ट्र के नाम समर्पित किया है.
लकड़ी पर कुरेदकर कलाकृति बनाना नहीं है आसान:अजय बताते हैं कि "लकड़ी पर कुरेदकर कलाकृति तैयार करना आसान नहीं है. लकड़ी से एक एक अक्षर को आकार देकर काष्ट पट्टिका पर चिपकाना कठीन है. इस कला को जेल में बंद कैदियों को वह पिछले 14 साल से सिखा रहे है, जिनमें नक्सल मामले में बंद कैदी से लेकर अन्य मामलों में कैदी शामिल हैं." राज्य सरकार ने वर्ष 2006 में स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया है तो इनके नाम बहुत से रिकार्ड भी दर्ज है. अब जब इन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जाने वाला है. इस पुरस्कार के लिए नाम आने के बाद वे बेहद खुश हैं.