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SPECIAL: अटल का 'सेनापति', 15 साल का 'राजा', आखिर इतना अनचाहा क्यों हो गया

दिल्ली में चुनावी घमासान जोरों पर है. भाजपा और आम आदमी पार्टी के साथ ही कांग्रेस भी जोर लगा रही है. एक तरफ जहां कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम है, वहीं भाजपा की लिस्ट से प्रदेश में 15 साल सीएम रहे रमन सिंह का नाम गायब है.

डिजाइन फोटो
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Published : Jan 23, 2020, 1:36 PM IST

Updated : Jan 23, 2020, 3:30 PM IST

रायपुर: डॉक्टर रमन सिंह, छत्तीसगढ़ के गांव-गांव, शहर-शहर ये नाम 15 साल तक खूब गूंजा. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी संभालने के लिए रमन सिंह को दिल्ली से भेजा था लेकिन 15 साल बाद जब भाजपा को यहां करारी हार मिली तो दिल्ली की लिस्ट से 'चावल वाले बाबा' गायब हो गए हैं. वहीं मध्य प्रदेश में हार का मुंह देखने वाले शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता में कमी नजर नहीं आती.

फाइल वीडियो

दिल्ली में चुनावी घमासान जोरों पर है. भाजपा और आम आदमी पार्टी के साथ ही कांग्रेस भी जोर लगा रही है. भाजपा ने अपने प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार के लिए स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट में प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह समेत पार्टी के तमाम दिग्गज शामिल हैं. लेकिन इस 40 सदस्यों की लिस्ट में छत्तीसगढ़ का एक भी नाम शामिल नहीं है. यहां तक कि 3 बार लगातार मुख्यमंत्री रहने वाले रमन सिंह का भी नहीं.

रमन सिंह (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र और झारखंड में भी नहीं थे स्टार प्रचारक
वैसे ये कोई पहली बार नहीं है कि रमन सिंह को इस तरह की लिस्ट से बाहर रखा गया हो. इससे पहले पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र और झारखंड में हुए चुनावों में भी भाजपा आलाकमान ने रमन सिंह को स्टार प्रचारक नहीं बनाया था. जबकि पहले इन राज्यों में हुए चुनावों में रमन सिंह अहम रोल निभाते थे. कई चुनावी सभाओं को संबोधित करने के साथ ही रणनीति बनाने में भी शामिल हुआ करते थे. लेकिन 2018 में हुआ विधानसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी हाईकमान ने रमन से दूरी बना ली है. वहीं अगर मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की बात करें तो हार के बाद भी उनका नाम लिस्ट में शामिल है.

रमन सिंह (फाइल फोटो)

इन वजहों से भी शायद केंन्द्र ने रमन से दूरी बना ली है.

विधानसभा चुनाव में शर्मनाक हार
2018 में हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. वैसे तो भाजपा मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी हार गई थी लेकिन छत्तीसगढ़ में एकतरफा कांग्रेस की जीत ने रमन सिंह के लिए परेशानी खड़ी की. बीजेपी महज 15 सीटों पर सिमटी और हार का ठीकरा स्वाभाविक रूप से रमन सिंह के ही सिर फूटना था. पार्टी हाईकमान की दूरियां तभी से दिखने लगी थीं.

रमन सिंह (फाइल फोटो)

भ्रष्टाचार भी वजह
वैसे तो रमन सिंह का सियासी करियर एक तरह से बेदाग रहा है. लेकिन दामाद पर लग रहे भ्रष्टाचार के कई आरोपों ने कहीं न कहीं उनकी छवि पर असर डाला है. इसके साथ ही बेटे अभिषेक सिंह का नाम भी उछला, जिससे भी उन्हें पार्टी की नाराजगी झेलनी पड़ रही है.

रमन सिंह (फाइल फोटो)

लोगों के बीच ढीली हुई पकड़ !
रमन सिंह हार के बाद जमीनी स्तर पर काफी निष्क्रिय नजर आ रहे हैं. राज्य की भूपेश सरकार को घेरने में नाकाम दिख रहे हैं. वहीं राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा ने जिन मुद्दों पर नैतिक जीत हासिल की है फिर वो तीन तालाक हो या फिर धारा 370 हटाने का मामला हो इन पर राज्य में भाजपा के पक्ष में हवा बनाने में रमन उतने सक्रिय नजर नहीं आए. इसके चलते भी वे पार्टी नेतृत्व की फेवरेट लिस्ट से बाहर हो गए हैं.

रमन सिंह (फाइल फोटो)

निकाय चुनाव में भी नहीं दिखा दम
प्रदेश में हुए निकाय चुनाव में भी भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया है. एक साल से प्रदेश में तमाम विकास कार्यों के ठप पड़े होने के बाद भी कांग्रेस ने सभी 10 नगर निगमों पर कब्जा जमाकर राज्य में भाजपा की क्या हालत है, बता दिया है. जबकि परंपरागत रूप से शहरी वोटर्स को भाजपा के ज्यादा करीबी माना जाता है. इस बुरी तरह हार के लिए बड़े नेताओं की जिम्मेदारी तय की गई है.

रमन सिंह (फाइल फोटो)

प्रदेश में अगला चुनाव विधानसभा 2023 में होना है, इसके लिए काफी वक्त है. लेकिन निकाय चुनाव में जिस तरह पार्टी का प्रदर्शन रहा, उससे पलड़ा कांग्रेस का ही भारी लग रहा है. 15 साल प्रदेश और लोगों के दिल में राज करने वाले रमन सिंह की इस तरह से अनदेखी बहुत कुछ कह रही है.

Last Updated : Jan 23, 2020, 3:30 PM IST

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