रायपुर:स्कूल शिक्षा विभाग के कथित 366 करोड़ के घूस कांड मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. (disclosure of police in diary case of Raipur) पकड़े गए आरोपियों में सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी गेंदराम चंद्राकर, कांग्रेस नेता व आरटीआई एक्टिविस्ट संजय सिंह ठाकुर और कपिल कुमार देवदास है. रायपुर पुलिस ने 48 घंटे के भीतर पूरे मामले का पर्दाफाश किया. आरोपियों ने महज ढाई हजार रुपये खर्च करके 366 करोड़ के घोटाले की साजिश रची और उसमें शिक्षा विभाग के कई अधिकारियों सहित कई अधिकारियों को फंसाने की कोशिश की. आरोपियों के स्पीड पोस्ट के जरिए ही पुलिस इन तक पहुंची और पूरे मामले का खुलासा किया.
सेवानिवृत्त डीईओ है मास्टरमाइंड, पोस्टिंग नहीं मिलने से रच दी साजिश
पुलिस की मानें तो मामले का मास्टरमाइंड रिटायर्ड DEO जीआर चंद्राकर है. पिछले साल रिटायर्ड होने के बाद डीईओ चंद्राकर ने संविदा नियुक्ति के लिए अप्लाई किया था, लेकिन उन्हें शक था कि डीईओ ए एन बंजारा और केसी काबरा की वजह से उन्हें नियुक्ति नहीं मिल पाई. उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी एएनबंजारा, संयुक्त संचालक केसी काबरा, तत्कालीन OSD आरएन सिंह, ABEO प्रदीप शर्मा और मंत्री के निजी सचिव अजय सोनी के खिलाफ एक घोटाले की कहानी रच दी. एक डायरी में मंत्री प्रेम साय टेकाम का नाम लिखकर हजारों कर्मचारियों से पोस्टिंग, ट्रांसफर के नाम पर रुपए लेने की बात लिखी. कुल 366 करोड़ के लेन-देन का जिक्र किया. एक शिकायत पत्र तैयार कर इसमें लोक शिक्षण संचालनालय के उप संचालक आशुतोष चावरे के नाम का इस्तेमाल किया. ये शिकायती पत्र कई अफसरों, मीडिया हाउस और नेताओं को डाक के जरिए भेजा गया.
इस काम में चंद्राकर के पड़ोसी चौकीदार ने डायरी लिखने में मदद की. पूर्व डीईओ के दोस्त संजय सिंह और उसके टाइपिस्ट कपिल सिंह ने भी मदद की. कपिल ने 10 जनवरी को इसे अलग-अलग जगहों पर पोस्ट किया था.
महज ढाई हजार में रची थी साजिश
पुलिस की मानें तो जीआर चंद्राकर ने घोटाले की शिकायत का फर्जी लेटर असली लगे इसके लिए अपने साथी कपिल कुमार की मदद ली. कपिल को अफसर आशुतोष चावरे के नाम से शिकायत टाइप करने और उप संचालक लोक शिक्षण के नाम से सील तैयार करने के लिए 2500 रुपए दिए. इसी के आधार पर फर्जी शिकायती पत्र तैयार कर वायरल किया गया.
डायरी में लिखी थी लेन-देन की बात
चंद्राकर ने अपने साथी संजय सिंह के साथ मिलकर कई लोगों का नाम लिखकर लेन-देन की बात एक डायरी में लिखी. बाद में इस डायरी को जलाकर नष्ट कर दिया. कुछ दस्तावेज संजय के पास ही थे, जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया है. चूंकि खुद चंद्राकर शिक्षा विभाग में अफसर था, उनसे ट्रांसफर, पोस्टिंग में उन्हीं कर्मचारियों और अफसरों के नाम का इस्तेमाल किया, जिनका असल में ट्रांसफर या पोस्टिंग की गई है, ताकि मामला फर्जी न लगे.