रायपुर:पढ़े लिखे बच्चों के लिए इंटर कास्ट मैरिज करना कोई नई बात नहीं है. हालांकि छ्त्तीसगढ़ में ऐसा करने पर कई बार युवाओं को सामाजिक बहिष्कार का सामना भी करना पड़ता है. इसे खत्म करने के लिए छत्तीसगढ़ महिला आयोग भी लगातार जुटा है. काफी हद तक कामयाबी भी मिली है. पिछले 3 साल में तकरीबन 50 मामले आयोग ने सुलझाए. समाज से बहिष्कृत हो चुके लोगों को वापस समाज में जगह भी दिलाई.
समाज के डर से नहीं हो पाती शिकायत:सामाजिक बहिष्कार पर रोक लगाने के लिए कानून भी हैं और प्रावधान भी, लेकिन समाज के डर से लोग शिकायत करने से बचते हैं. इसके चलते पुलिस भी ऐसे मामलों में कार्रवाई नहीं कर पाती. छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक का मानना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ में भी कानून बनने चाहिए.
बुलाने वालों को भी समाज करता है दंडित:छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक के मुताबिक आज के बच्चे पढ़े लिखे हैं. इंटर कास्ट मैरिज कर रहे हैं, जिसे समाज एक्सेप्ट नहीं करता है. यदि कोई ऐसी शादी करता है तो उसे रिश्ता तोड़ने की बात की जाती है और यदि वह ऐसा नहीं करता है तो समाज उसे बहिष्कृत कर देता है. उसका हुक्का पानी बंद कर दिया जाता है. बहिष्कृत व्यक्ति और उसका परिवार सामाजिक कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाता. शादी विवाह सहित अन्य कार्यक्रमों में भी शामिल होने की मनाही होती है. यहां तक कि कोई इन लोगों को बुलाता है तो उसे भी समाज दंडित करता है.
3 साल में सामाजिक बहिष्कार के 50 मामले सामने आए:छत्तीसगढ़ महिला आयोग के मुताबिक पिछले 3 साल में सामाजिक बहिष्कार के लगभग 50 मामले सामने आ चुके हैं. कैटेगरी वाइज यह आंकड़ा 20 से 25 के आसपास है. कई मामले में आयोग के समझाने के बाद सामाजिक बहिष्कार समाप्त भी हुआ है.