छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

Chhattisgarh Women Commission: इंटर कास्ट मैरिज पर समाज नहीं कर सकता हुक्का पानी बंद : किरणमयी नायक

Chhattisgarh Women Commission सामाजिक बहिष्कार पर रोक लगाने के लिए कानून में प्रावधान है. कोई भी समाज इंटर कास्ट शादी होने पर हुक्का पानी बंद नहीं कर सकता है. यह कहना है छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमई नायक का. इंटर कास्ट मैरिज पर सामाजिक बहिष्कार रोकने के लिए छत्तीसगढ़ महिला आयोग लगातार कोशिश में जुटी है. बीते 3 साल में इसका बेहतर रिजल्ट भी देखने को मिला है.

Chhattisgarh Women Commission
छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक

By

Published : Aug 6, 2023, 8:12 PM IST

छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक

रायपुर:पढ़े लिखे बच्चों के लिए इंटर कास्ट मैरिज करना कोई नई बात नहीं है. हालांकि छ्त्तीसगढ़ में ऐसा करने पर कई बार युवाओं को सामाजिक बहिष्कार का सामना भी करना पड़ता है. इसे खत्म करने के लिए छत्तीसगढ़ महिला आयोग भी लगातार जुटा है. काफी हद तक कामयाबी भी मिली है. पिछले 3 साल में तकरीबन 50 मामले आयोग ने सुलझाए. समाज से बहिष्कृत हो चुके लोगों को वापस समाज में जगह भी दिलाई.

समाज के डर से नहीं हो पाती शिकायत:सामाजिक बहिष्कार पर रोक लगाने के लिए कानून भी हैं और प्रावधान भी, लेकिन समाज के डर से लोग शिकायत करने से बचते हैं. इसके चलते पुलिस भी ऐसे मामलों में कार्रवाई नहीं कर पाती. छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक का मानना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ में भी कानून बनने चाहिए.


बुलाने वालों को भी समाज करता है दंडित:छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक के मुताबिक आज के बच्चे पढ़े लिखे हैं. इंटर कास्ट मैरिज कर रहे हैं, जिसे समाज एक्सेप्ट नहीं करता है. यदि कोई ऐसी शादी करता है तो उसे रिश्ता तोड़ने की बात की जाती है और यदि वह ऐसा नहीं करता है तो समाज उसे बहिष्कृत कर देता है. उसका हुक्का पानी बंद कर दिया जाता है. बहिष्कृत व्यक्ति और उसका परिवार सामाजिक कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाता. शादी विवाह सहित अन्य कार्यक्रमों में भी शामिल होने की मनाही होती है. यहां तक कि कोई इन लोगों को बुलाता है तो उसे भी समाज दंडित करता है.



3 साल में सामाजिक बहिष्कार के 50 मामले सामने आए:छत्तीसगढ़ महिला आयोग के मुताबिक पिछले 3 साल में सामाजिक बहिष्कार के लगभग 50 मामले सामने आ चुके हैं. कैटेगरी वाइज यह आंकड़ा 20 से 25 के आसपास है. कई मामले में आयोग के समझाने के बाद सामाजिक बहिष्कार समाप्त भी हुआ है.

लोग आयोग में आकर तो बहिष्कार वापस लेने की बात करते, लेकिन गांव जाने के बाद पीड़ित व्यक्ति का बहिष्कार जस का तस रहता था. इसके लिए आयोग ने एक तरीका निकाला है. आयोग या इससे संबंधित एक टीम बहिष्कृत व्यक्ति या परिवार के गांव में पहुंचती है. वहां पर सार्वजनिक रूप से गांव में ऐलान करती है कि इस व्यक्ति का बहिष्कार नहीं किया गया है. इनके पैसे वापस करते हुए सामाजिक बहिष्कार के मामले खत्म किए जा रहे हैं. -किरणमयी नायक,अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ महिला आयोग

Social Boycott in Bilaspur 60 साल पुराने सामाजिक बहिष्कार के मामले में केस दर्ज
Janjgir Champa News: किरणमयी नायक की महिलाओं से अपील, ढोंगी साधुओं से बच कर रहे
छत्तीसगढ़ महिला आयोग ने एक साल में 410 केसों का किया निराकरण

सामाजिक बहिष्कार पर है कड़ा कानून:सिविल राइट्स प्रोटेक्शन एक्ट 7 की धारा में बहिष्कार पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है. बावजूद इसके पुलिस विभाग इन मामलों में इसलिए नहीं पड़ता, क्योकि जब लोगों को तकलीफ होती है, तो वे शिकायत करते हैं. लेकिन जब थोड़े दिन बाद गवाही की बात आती है, तो वह बयान से पलट जाते हैं. ऐसे में बदनामी पुलिस की होती है. शिकायतकर्ता एक तरफ अकेला होता है और समाज की बैठक करने वाले सैकड़ों की संख्या में होते हैं. इसलिए पुलिस भी अनावश्यक विवाद को बढ़ावा नहीं देना चाहती.

कानून के डर से सामाजिक बहिष्कार में आती है कमी:किरणमयी नायक के मुताबिक जब भी महिला आयोग में इस तरह के केस आते हैं, तो लोगों को सबसे पहले इस पर बने कानून की जानकारी दी जाती है. पुलिस और कोर्ट कचहरी के डर से समाज के लोग पीछे हट जाते हैं. बचते हैं सिर्फ अध्यक्ष और सचिव, वो भी थोड़ी समझाइश पर मान जाते हैं. कुछ राज्यों में या फिर महाराष्ट्र में सामाजिक बहिष्कार को लेकर कानून बना है. छत्तीसगढ़ में भी इस पर कानून बनाने की जरूरत है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details