रायपुर: पितृपक्ष पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म किये जाने का पर्व माना जाता है. माना जाता है कि पितरों को पितृपक्ष में तर्पण देने, पिंडदान करने और श्राद्ध करने से उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है. पितृपक्ष को पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करने का अवसर भी माना जाता है. पितृपक्ष में श्रद्धापूर्वक अपने पूर्वजों को जल चढ़ाना चाहिए. चलिए पितृपक्ष और पितृ दोष से संबंधित सभी पहलुओं को समझते हैं.
पितृपक्ष का महत्व:शास्त्रों में कहा गया है कि मौत के बाद आत्माएं पितृलोक में निवास करती हैं. हमारे पूर्वजों की आत्माएं भी पितृलोक में रहती हैं. पितृलोक को स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का स्थान माना जाता है. इसमें मृत्यु के देवता यम देव का शासन होता है. यम देव मरते हुए व्यक्ति की आत्मा को पृथ्वी से पितृलोक तक ले जाते हैं. ऐसे में माना जाता है कि आप पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म करते हैं तो पितरों को मुक्ति मिलती है और वे स्वर्ग लोग में चले जाते हैं.
कब शुरू हो रहा पितृपक्ष 2023 ?इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 29 सितंबर 2023 से हो रही है. वहीं 14 अक्टूबर को पितृपक्ष समाप्त हो जाएगा. पंचांग के अनुसार, हर साल पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद महीने की पूर्णिमा तिथि से शुरु होती है और अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर पितृ पक्ष का समापन हो जाता है.
क्या होता है पितृ दोष? : पित्र दोष बहुत ही कष्ट देने वाला दोष माना जाता है. जिस भी व्यक्ति की कुंडली में पित्र दोष होता है, उसका जीवन काफी कष्टदायक हो जाता है. उसकी जिंदगी में परेशानियों की बाढ़ सी आ जाती है. व्यक्ति चाहे जितनी भी कोशिशें कर ले, उसके सभी काम अटक जाते हैं और असफलता ही मिलती है. व्यक्ति के जीवन में चौतरफा मुसीबतें आ रही हों, किसी भी काम में हाथ लगाने से सफलता नहीं मिल रही हो, नकारात्मक ऊर्जा का वास हो, दुश्मनों की संख्या ज्यादा हो, तो समझ लेना चाहिए कि व्यक्ति के कुंडली में पितृ दोष का प्रभाव है.