रायपुर:छत्तीसगढ़ में पीजी रेजिडेंट और जूनियर डॉक्टरों के मानदेय बहुत ही कम हैं. अन्य राज्यों से तुलना करने पर राज्य के डॉक्टरों को हमेशा निराशा ही हाथ लगी है. इस विसंगति को दूर करने के लिए आखिरकार उन्होंने प्रदर्शन का फैसला लिया है. मानदेय बढ़ाने को लेकर अल्टीमेटम देते डीन के ज्ञापन सौंपा गया है. इससे पहले भी कई बार जूनियर डाक्टर्स वेतन वृद्धि की मांग को लेकर प्रदर्शन कर चुके हैं. इसके बावजूद प्रशासन की ओर से केवल उन्हें आश्वासन ही दिया गया. साल 2018 में भी ट्रेनी डॉक्टरों ने इसी तरह का प्रदर्शन किया था.
स्वास्थ्य मंत्री तक कई बार पहुंचाई गई समस्या:ऑर्थोपेडिक पीजी रेजिडेंट डॉक्टर प्रीतम प्रजापति ने बताया कि "इससे पहले भी उनकी टीम द्वारा कई बार स्वास्थ्य मंत्री तक यह परेशानी पहुंचाई गई. हर बार आश्वासन ही दिया गया. थक हार कर हम सब ने 19 तारीख से लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल का फैसला लिया है."
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ओपीडी के साथ इस बार इमरजेंसी भी बंद:प्रीतम प्रजापति के मुताबिक "पहले जब प्रदर्शन किया जाता था तो ओपीडी बंद किए जाते थे, इमरजेंसी नहीं. दोनों एक साथ कभी भी बंद नहीं किया गया है लेकिन यह पहली बार होगा जब प्रदर्शन के लिए ओपीडी और इमरजेंसी दोनों की सेवाएं देना बंद कर दिया जाएगा. मुख्यमंत्री तक भी समस्याएं पहुंचाई गईं. वहां से भी आश्वासन ही मिला."
अंबेडकर अस्पताल में हर प्रदेश के हर राज्य से आते हैं मरीज:डॉक्टर्स के इस प्रदर्शन से केवल शासन को ही नहीं मरीजों को भी बहुत हद तक नुकसान होने वाला है. 19 तारीख से अनिश्चितकालीन हड़ताल के बीच कब किस मरीज को किस डॉक्टर की जरूरत पड़ जाए कहा नहीं जा सकता. समय पर डाॅक्टर का उस मरीज के पास न होने से किस स्तर की हानि हो सकती है यह कह पाना भी मुश्किल है. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अस्पताल एक ऐसा अस्पताल है जहां छत्तीसगढ़ राज्य के हर जिले के मरीज अपना इलाज कराने आते हैं. मरीजों की संख्या डॉक्टर भीमराव अंबेडकर में 1 दिन में हजार से ज्यादा होती है. ऐसे में सारे पीजी रेजीडेंट डॉक्टरों का हड़ताल पर बैठना भारी पड़ सकता है.