रायपुर: प्रदेश में इन दिनों धान खरीदी चल रही है. अभनपुर के आस-पास के कुछ किसान प्रशासनिक लापरवाही से परेशान हैं. किसान धान लेकर मंडी पहुंच रहे हैं. लेकिन उनके धान की खरीदी नहीं हो रही है.
प्रशासनिक लापरवाही से धान खरीदी प्रभावित
धान खरीदी के लिए मंडियों में NIC (National Informatics Centre) से डाटा आता है. जिस किसान का रकबा NIC के डाटा में रजिस्टर होता है. मंडी, उस किसान से उतना ही धान खरीदती है, जितने धान का रकबा होता है. मंडी प्रबंधक भोपू राम का कहना है कि डाटा में इन किसानों का नाम नहीं है.
रकबा पंजीयन में नाम नहीं होने से किसान परेशान NIC के डाटा में नाम नहीं होने पर हम धान नहीं खरीद सकते. साथ ही उसने यह भी बताया कि 'डाटा आने से पहले एक अनुमानित टोकन काट दिया जाता है. जिस आधार पर किसान धान लेकर मंडी पहुंच जाते हैं'.
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किसानों की परेशानी बढ़ी
किसानों का कहना है कि वो इसी रकबे के अधार पर पिछले कई सालों से धान बेच रहे हैं. रजिस्ट्रेशन भी करवाया था. किसानों पर बैंक के साथ ही अन्य कर्ज हैं. अगर धान की खरीदी नहीं होती तो कर्ज चुकाना मुश्किल होगा. साथ ही रोजमर्रा के कार्यों में प्रभाव पड़ेगा. किसानों ने कहा है कि वे इसकी शिकायत संबंधित तहसीलदार, एसडीएम से करेंगे. फिलहाल उन्हें अपने धान की खरीदी को लेकर चिंता है.
अब कहां जाएंगे किसान
धान कोचियों को बेचने का विकल्प नहीं है. प्रशासन धान खरीदने वाले कोचियों और व्यापारियों पर सख्त कार्रवाई कर रही है. इसलिए धान का मंडी के बाहर बिकना मुश्किल है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि जिन किसानों का धान नहीं बिक रहा वह कहां जाएं.