रायपुर : पूरे साल में कई ऐसे पर्व और त्योहार आते हैं. जिसमें मिट्टी से बनी चीजें और बांस की चीजों का उपयोग किया जाता है. मिट्टी से बनी हुई चीजों का निर्माण कुम्हार परिवार करते हैं. वहीं बांस की चीजों को लिए बंसोड़ समाज के लोग जाने जाते हैं. लेकिन मौजूदा समय में कुम्हार और बंसोड़ परिवार बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं. पुश्तैनी धंधा होने के कारण ये अपने काम तो जारी रखे हुए हैं. लेकिन इस धंधे को आगे जारी रखने के लिए इन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिल रही है. जिसके कारण इनकी हालत खराब होती जा रही है. (Potter and Bansod family trouble in raipur )
raipur latest news कुम्हार और बंसोड़ परिवार की हालत खराब, मुश्किल से निकलता है खर्च - कुम्हार और बंसोड़ परिवार की हालत खराब
raipur latest news छत्तीसगढ़ में मिट्टी और बांस से बनीं चीजों का खूब इस्तेमाल किया जाता है. शादी और समारोह में अक्सर मिट्टी और बांस से बनीं चीजों की बिक्री बढ़ जाती है. लेकिन सीजन खत्म होने के बाद इनके कारीगरों के सामने रोजी रोटी की समस्या पैदा हो जाती है.सरकारी मदद नहीं मिलने से कई बार इन्हें अपनी जेब से पैसा लगाकर लागत बचानी पड़ती है.
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पुश्तैनी धंधा के कारण कर रहे काम : वहीं मिट्टी के सामान बनाने वाले कुम्हार परिवार गिरिवर चक्रधारी और मोहन चक्रधारी ने बताया कि "पुश्तैनी धंधा होने के कारण उन्हें आज भी मिट्टी से सामानों को बनाना पड़ रहा है. वर्तमान समय में मिट्टी के दाम बढ़ने के साथ ही अन्य दूसरे सामानों के दाम में भी बढ़ोतरी हुई है. लेकिन मेहनत के हिसाब से इन्हें भी मजदूरी नहीं मिल पाती. कुम्हार परिवार भी बंसोड़ परिवार की तरह पुश्तैनी धंधा होने के कारण इसे जैसे तैसे संचालित कर रहा है. कुम्हार परिवारों को भी सरकार की तरफ से किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिलती. कई बार इन परिवारों को कर्ज लेकर मिट्टी के सामान बनाकर बाजार में बेचना होता है. मिट्टी से बने इन्हीं सामानों को बेचकर अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करने को मजबूर है."raipur latest news