रायपुर: दुनिया तेजी से विकास कर रही है. लगातार टेक्नोलॉजी में मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artifical Intelligence), आईओटी, रोबोटिक्स का इस्तेमाल (Use of Robotics) हो रहा है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी (Artificial Intelligence Technology) को लोगों के लिए और सरल बनाने का काम किया जा रहा है. एक तरीके से इंटरनेट हमारी आदतों को पढ़कर हमें वही चीज दिखाता है जो हम देखना चाहते हैं. इसी को टेक्नोलॉजी की भाषा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence Technology) कहते हैं. अक्सर देखा जाता है कि इंटरनेट पर जो चीज हम सर्च करते हैं, हमें सोशल मीडिया में वही चीज बार-बार दिखाई जाती है. इसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence Technology) कहा जाता है. इसके बारे में और जानने के लिए ईटीवी भारत ने रायपुर एनआईटी (NIT) के इनोवेशन सेल के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. सौरभ गुप्ता से बात की है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की अहम भूमिका क्या होता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ?
इनोवेशन सेल (Innovation Cell) के प्रोफेसर और इंचार्ज डॉ. सौरभ गुप्ता ने बताया कि जो भी हम ह्यूमन इंटेलिजेंस (Human Intelligence) के बियोंड कैपेबिलिटी (Beyond Capability) बढ़ा पा रहे हैं. उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artifical Intelligence) कहा जाता है, इसका बेसिक उदाहरण (Basic Example) है कि जैसे हम वेदर प्रिडिक्शन करते हैं कि कल बारिश होगी नहीं होगी यहां सब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ही रोल रहता है. यह बहुत पहले से इस्तेमाल होता आ रहा है. लेकिन अभी यह लोगों की नजर में आ रहा है और लोग इसके बारे में और जानना चाह रहे हैं.
हमेशा से नहीं हो रहा इसका उपयोग
नई-नई टेक्नोलॉजी आ गई है. मोबाइल फोन में भी वेदर प्रिडिक्शन हो रहा है. लेकिन आर्टिफिशियल हमेशा ही यूज़फुल नहीं होता है. टेक्नोलॉजी के फायदे भी है तो नुकसान भी है. जैसे आज हम मोबाइल में नंबर सेव कर लेते हैं तो हमें नंबर याद करना नहीं पड़ता लेकिन पहले जो हम बहुत सारे नंबर याद करके रखते थे. वह याददाश्त हमारी कमजोर होती जा रही है. गूगल मैप (Google Map) से हम दुनिया के किसी भी रास्ते किसी भी कोने की जानकारी ले सकते हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artifical Intelligence) डेटूडे लाइफ में हमारी हेल्प कर रहा है और हम लोगों की क्षमता को बढ़ा रहा है.
हमारी आदतों को लर्न करता है कंप्यूटर
आज मोबाइल फोन लगभग सभी के हाथ में है. उसमें हम जितने एप्लीकेशन देखते हैं सॉफ्टवेयर देखते हैं. अपडेट देखते हैं बहुत सारे एप्लीकेशन हमारा हेल्थ केयर डाटा (Health Care Data) बताते हैं स्मार्ट वॉचेस है चीजें जहां भी आसान हो रही है उसमें एक बहुत बड़ा हाथ एआई का है. मोबाइल में जो फीचर अपडेट होते हैं. उसमें भी एआई का इस्तेमाल होता है. कौन सा फीचर आप ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. कौन सा एप्लीकेशन ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. कौन से एडवर्टाइजमेंट आप ज्यादा देखते हैं. उस हिसाब से आपको सोशल मीडिया में जो एडवर्टाइजमेंट देखने मिलते हैं. यह पूरा काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artifical Intelligence) का होता है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की होती है पढ़ाई
आज मोस्टली हर इंजीनियरिंग, साइंस, लॉ, बीकॉम के फील्ड में उन्हें एआई से फैमिलियर होना ही पड़ता है. एआई पूरी तरह मैथमेटिक्स (Mathematics) और कोडिंग से रिलेटेड है. जैसे हम जब छोटे थे. तब हमें पैरेंट्स सिखाते थे, अपने दोस्तों से सीखने मिलता था. अपने टीचर से सीखने मिलता था. इसी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artifical Intelligence) एक तरीके का एजेंट है और उस एजेंट की लर्निंग और ट्रेनिंग ओवर दी टाइम कैसी होगी. वह एआई सिस्टम को और इंटरेस्टिंग, एफिशिएंट, यूजफुल बना देता है. इसमें पढ़ाई जो भी होती है. वह मोस्टली एल्गोरिदम की करते हैं. एल्गोरिदम को ऑप्टिमाइज कैसे किया जाए, उसको कैसे डेटुडे लाइफ की एप्लीकेशन में इस्तेमाल किया जाए. वह इसमें सीखाया जाता है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पढ़कर बच्चे किस क्षेत्र में अपना भविष्य बना सकते हैं
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artifical Intelligence) 30-40 साल तक ग्रो करेगा. क्योंकि एआई का जो पर्पस है. वह आर्टिफिशियल ह्यूमन बीइंग (Artificial Human Being) बनाने का उस पर लोग तैयारी कर रहे हैं. रिसर्च हो रहा है काम चल रहा हैं इसी तरह की अपॉर्चुनिटी आगे होगी. क्योंकि हम किसी भी फील्ड में देखे तो वहां पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artifical Intelligence) आसानी से लगाया जा सकता है. जैसे सिटी में बस चलती है तो बस अगर कहीं पर टाइम पर नहीं पहुंच रही तो हम पता लगा सकते हैं कि बस क्यों लेट हो रही है और समय पर बस कैसे अपने डेस्टिनेशन पर पहुंचे. यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artifical Intelligence) से पता चल जाएगा हेल्थ केयर में टेक्नॉलॉजी में इसका फ्यूचर बहुत ही ब्राइट है.