रायपुर: छत्तीसगढ़ में हाथियों की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है और सियासत भी गरम है. प्रदेश में पिछला महीना हाथियों के लिए काल बनकर आया. 11 मई से 18 जून के बीच 7 हाथियों के शव मिले. एक के बाद एक हो रही हाथियों की मौत ने सरकार की परेशानियां बढ़ा दी हैं. वहीं विपक्ष को भी मुद्दा मिल गया है. एक तरफ जहां विपक्ष सरकार पर लापरवाही का आरोप लगा रहा है, वहीं सरकार बचाव करती नजर आ रही है.
विपक्ष का आरोप है कि प्रदेश सरकार हाथियों की हो रही मौत को लेकर गंभीर नहीं है. वहीं कांग्रेस का कहना है कि सरकार पहले ही हाथियों की मौत के मामले में वन विभाग के कई अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है.
हाथियों की मौत का कारण हैवी मेटल सेवन?
प्रतापपुर रेंज और बलरामपुर जिले के वन परिक्षेत्र में 10 और 11 जून को तीन हथिनियों के शव मिले थे. जिसके बाद वन विभाग ने तीनों हाथियों के शव का पोस्टमार्टम करवाया था. तीनों की बिसरा रिपार्ट आई है. रिपोर्ट के मुताबिक हाथियों की मौत हैवी मेटल के सेवन से हुई है, लेकिन अब तक यह बात साफ नहीं हो सकी है कि आखिर हाथियों के हैवी मेटल सेवन का माध्यम क्या है.
भाजपा ने जताई थी साजिश की आशंका
इस पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है कि बीजेपी ने पहले ही ये आशंका जताई थी कि हाथियों के मौत के पीछे किसी की साजिश है, जो अब इस जांच के बाद सामने आई है. कौशिक ने कहा कि हाथियों के मामले में उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. इसके लिए उच्च स्तर पर एक स्वतंत्र कमेटी बनाई जानी चाहिए, जिससे कि यह और स्पष्ट हो सके कि किन परिस्थितियों में हाथियों की मौत हो रही है.
कार्रवाई के बाद भी बीजेपी बना रही है मुद्दा : कांग्रेस
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने धरमलाल कौशिक के बयान को स्तरहीन बताया है. उनका कहना है कि बीजेपी हाथियों की मौत की बिसरा रिपोर्ट को लेकर मुद्दा बना रही है. जबकि कांग्रेस सरकार पहले ही हाथियों की मौत को लेकर अधिकारियों ओर कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है. शैलेष ने यह भी दावा किया कि आज तक वन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई पहले कभी नहीं की गई थी. इसके बाद भी धरमलाल कौशिक इस मामले को लेकर मुद्दा बना रहे हैं, जो उनके पद के अनुरूप नहीं है.
अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई
हाथियों की मौत के मामले में पहले ही PCCF और DFO हटा दिए गए हैं, जबकि SDO, रेंजर, डिप्टी रेंजर और फॉरेस्ट गार्ड को निलंबित कर दिया गया है.
3 दिन में हुई थी 3 हाथियों की मौत
प्रतापपुर और राजपुर रेंज में जिन तीन हथिनी की मौत हुई थी, उनमें एक हथिनी गर्भवती थी. हथिनी का शव मिलने के बाद विभाग ने कीटनाशक से मौत की आशंका जताई थी हालांकि दूषित पानी पीने से भी मौत की बात सामने आ रही थी. दूसरी हथिनी की लाश भी दूसरे दिन ही मिली. वहीं एक अन्य हथिनी की लाश बलरामपुर जिले के राजपुर इलाके में चार दिन बाद मिली थी.
- सूरजपुर के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में 9 और 10 जून को एक गर्भवती हथिनी सहित 2 मादा हाथियों की मौत हुई.
- बलरामपुर के जंगल में 11 जून को एक हथिनी की मौत.