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सरकारनामाः भूपेश बघेल का सियासी सफर, कैसे शून्य से सत्ता के शिखर तक पहुंचे सीएम बघेल

80  के दशक में छात्र राजनीति में कदम रखने वाले भूपेश बघेल ने एक-एक कर राजनीति में अपनी पैठ जमाई. वह अपने संघर्ष के दम पर  कांग्रेस पार्टी में अपनी जगह बनाई. साल 2014 में छत्तीसगढ़ में पीसीसी चीफ की कमान संभाली और साल 2018 में सीएम बने. बतौर सीएम बघेल एक साल का कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं.

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भूपेश बघेल का सियासी सफर

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Published : Dec 14, 2019, 11:51 PM IST

Updated : Dec 17, 2019, 7:27 AM IST

रायपुर: भूपेश बघेल ने शून्य से सत्ता का तक का सफर पूरा किया है. पाटन की पंगडंडियों से सीएम आवास तक पहुंचने की उनकी कहानी संघर्ष से भरी है. 23 अगस्त 1961 को दुर्ग के पाटन में भूपेश बघेल का जन्म किसान परिवार में हुआ. उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई बेलौदी में पूरी की. स्कूली पढ़ाई के बाद वह कॉलेज जीवन में छात्र राजनीति से जुड़ गए. जिसके बाद 80 के दशक में कांग्रेस के साथ राजनीतिक पारी शुरूआत की. उसके बाद वह दुर्ग जिले के यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने.

भूपेश बघेल का सियासी सफर

एक नजर भूपेश बघेल के राजनीतिक जीवन पर

  • भूपेश बघेल ने 80 के दशक में सियासी सफर की शुरुआत की.
  • 1990-94 तक युवक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे.
  • साल 1993 में पहली बार विधायक बने.
  • एमपी में कांग्रेस की दिग्विजय सरकार में कैबिनेट मंत्री बने.
  • छत्तीसगढ़ में साल 2000 में जोगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे.
  • साल 2014 में छत्तीसगढ़ पीसीसी चीफ का कार्यभार संभाला.
  • लगातार हार रही कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में जोश भरा.
  • साल 2014 से 2018 तक सड़कों पर संघर्ष किया.
  • साल 2018 में विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाई.
  • दिसंबर 2018 में छत्तीसगढ़ के सीएम बने.

आक्रामक तेवर और तेज तर्रार नेता के रूप में बनाई पहचान
जिस आक्रामक शैली की वजह से भूपेश बघेल ने पीसीसी चीफ से सीएम तक की कुर्सी का सफर तय किया वो आज भी बरकरार है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को दोबारा खड़ा करने का काम भूपेश बघेल ने किया.सीएम बनने के बाद भी दो विधानसभा उपचुनाव में भी भूपेश बघेल ने कांग्रेस को जीत दिलाई. भूपेश बघेल में लीडिंग क्षमता आज की नहीं बल्कि शुरू से है. उनको जानने वाले मानते है कि वे हर आंदोलन को परिणाम में बदलना जानते हैं

पार्टी के भीतर जोगी से लड़ी जंग
कांग्रेस पार्टी को छत्तीसगढ़ में मजबूत करने की दिशा में भूपेश बघेल ने अपनी पहली लड़ाई पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता अजीत जोगी से लड़ी. उन्होंने आलाकमान के सामने पुरजोर मांग रखकर अजीत जोगी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया. जिसके बाद नए तरीके से कांग्रेस पार्टी को चुनाव के लिए तैयार किया. मौजूदा सीएम रमन सिंह पर प्रहार किए. बीजेपी को पर सामने से वार करते रहे.

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में किया करिश्मा
आक्रामक तेवर के साथ-साथ भूपेश बघेल करिश्माई नेता के तौर पर भी जाने जाते हैं. भूपेश बघेल ने सभी पॉलिटिकल पंडितों की भविष्यवाणी को गलत साबित करते हुए कांग्रेस के लिए 65 प्लस सीट हासिल की और बीजेपी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया. जनता में बघेल की छवि जुझारू नेता के रूप में बनी हुई है.

सत्ता में आते ही कई बड़े फैसले लिए
सत्ता में आने के बाद भी वह अपने ताबड़तोड़ फैसले के लिए जाने जाते हैं जिसकी वजह से भूपेश बघेल की छवि प्रदेश में काम करने वाले सीएम के तौर पर बनी है. भूपेश बघेल ने किसानों की कर्जमाफी का वादा निभाया और बिजली बिल आधा करने का काम किया. इसके अलावा उन्होंने लोहांडीगुड़ा में किसानों की अधिग्रहित जमीन को लौटाने का काम किया. इसके साथ-साथ जमीन के पट्टे बांटने का वादा भी पूरा किया है. इसके अलावा कई मोर्चे पर भूपेश बघेल ने एक के बाद एक बड़े फैसले लेकर जनता से किया वादा निभाया. भूपेश बघेल सीएम के तौर पर एक साल का कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं ऐसे में जनता को उनसे और उम्मीदें बढ़ गई हैं.

Last Updated : Dec 17, 2019, 7:27 AM IST

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