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SPECIAL: सियासी घमासान के बीच छत्तीसगढ़ में धान बेच रहे हैं किसान

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Published : Dec 2, 2020, 3:07 PM IST

Updated : Dec 3, 2020, 3:13 PM IST

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की शुरुआत के साथ ही राजनीतिक बयानबाजी का दौर भी तेज हो गया है. एक तरफ बीजेपी प्रदेश सरकार पर किसानों के साथ छल करने का आरोप लगा रही है तो वहीं कांग्रेस सरकार अपनी नीतियों के जरिए किसानों के चेहरे पर खुशी लाने का दावा कर रही है.

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धान और किसान पर दावा

रायपुर: छत्तीसगढ़ में आखिरकार 1 दिसंबर से प्रदेश भर में धान खरीदी की शुरुआत हो गई है. जो 31 जनवरी तक चलेगी. बारदानों की कमी और अन्य आधारभूत तैयारियों के साथ पूरे प्रदेश में धान खरीदी चल रही है. खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने रायपुर के धरसीवा विकासखंड के कुम्हारी गांव में पूजा अर्चना के साथ धान खरीदी की शुरुआत की, तो वहीं मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने कोरबा में किसानों को सुविधा देने के लिए 7 नए धान उपार्जन केंद्रों का शुभारंभ किया.

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी

धान और किसान पर दावा

छत्तीसगढ़ की किसान हितैषी होने का दावा करने वाली सरकार पहले ही अधिकारियों को निर्देशित कर चुकी है कि, किसानों को धान खरीदी के दौरान किसी तरह की अव्यवस्था नहीं होनी चाहिए.

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फैक्ट फाइल

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बीते दिनों हुई कैबिनेट की बैठक में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी 1 दिसंबर से 31 जनवरी 2021 तक, मक्का खरीदी 1 दिसंबर से 31 मई 2021 तक करने के निर्देश दिए गए हैं. 1 दिसंबर से प्रदेश भर में खरीदी केंद्रों में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू कर दी गई है. इस साल धान खरीदी के लिए 257 नए धान खरीदी केंद्र बनाए गए हैं. कुल 2305 खरीदी केंद्रों में धान खरीदी चल रही है.

1 दिसंबर को धान खरीदी केंद्रों का जायजा

मंगलवार को धान बेचने पहुंचे कई किसानों ने धान खरीदी में देरी को लेकर अपनी परेशानी जाहिर की. उन्होंने कहा कि धान बेचने का काम 15 दिन पहले शुरू हो जाता था अच्छा रहता. किसानों ने बताया कि उनके घर छोटे-छोटे रहते है. जिससे उन्हें धान रखने की काफी समस्या हुई. इस बीच चूहों से धान को बचाना काफी बड़ी चुनौती रहा. वहीं कई किसानों ने धान के समर्थन मूल्य को लेकर खुशी जाहिर की हालांकि उन्होंने केंद्र और राज्य के बीच की अंतर की राशि जल्द जारी करने की अपील की. धान खरीदी की व्यवस्थाओं से किसान खुश भी नजर आए.

'किसानों के साथ छल करनेवाली सरकार'

इधर बीजेपी ने धान खरीदी को लेकर कांग्रेस सरकार पर लेटलतीफी का आरोप लगाया है. बीजेपी का कहना है कि उनकी सरकार में 15 साल तक 1 नवंबर से ही धान खरीदी शुरू हुई, लेकिन कांग्रेस शासनकाल में जानबूझकर धान खरीदी में देरी की गई है. बीजेपी जिला अध्यक्ष श्रीचंद सुंदरानी ने कहा कि किसानों की हमदर्द बनने का दावा करने वाली कांग्रेस सरकार ने किसानों की पीठ पर छुरा भोंका है. 15 अक्टूबर के आसपास छत्तीसगढ़ में धान कटाई शुरू हो जाती है. इस बीच किसानों का धान खेतों में पड़ा रहा. इस दौरान बारिश में भी काफी धान खराब हुआ है. उन्होंने कहा कि हजारों किसानों ने दिवाली त्योहार मनाने के लिए औने- पौने दाम पर अपनी फसल को बेच दिया. सुंदरानी ने कांग्रेस सरकार पर किसानों के साथ छल कपट करने का आरोप लगाया.

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'नौकरी छोड़कर खेती कर रहे युवा'

बीजेपी के आरोपों पर जवाब देते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि पिछले दो सालों से प्रदेश में नए किसानों की संख्या में इजाफा हो रहा है. उन्होंने कहा कि इस साल प्रदेश में ढाई लाख नए किसानों ने पंजीयन कराया है. बीते साल 19 लाख 36 हजार किसानों ने पंजीयन कराया था, इस साल 21 लाख 29 हजार 774 किसानों ने धान खरीदी के लिए पंजीयन कराया है. प्रदेश में धान का समर्थन मूल्य 2500 पाकर यहां के किसान काफी खुश है. इसी वजह से प्रदेश के युवा नौकरी छोड़कर खेतीबाड़ी करने लगे है.विकास तिवारी ने कहा कि बीजेपी के 15 साल के कार्यकाल में न सिर्फ धान का रकबा कम हुआ बल्कि सैकड़ों किसानों ने पलायन भी किया.

धान न सिर्फ छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करता है बल्कि यहां की राजनीति में भी इसका बड़ा रोल है. यही वजह है कि प्रदेश की राजनीति धान, किसान, और गौधन के इर्दगिर्द घूमती रहती है.

Last Updated : Dec 3, 2020, 3:13 PM IST

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