रायपुर:23 जुलाई से टोक्यो में ओलंपिक (Tokyo Olympic) शुरू होने जा रहा है. खेलों के इस महायज्ञ में दुनियाभर के खिलाड़ी अपना जौहर दिखाने के लिए तैयार हैं. ओलंपिक में भारत से भी 100 से ज्यादा खिलाड़ी हिस्सा लेंगे. जो अलग-अलग राज्यों से हैं. मामले में दुखी करने वाली बात ये है कि चयनित खिलाड़ियों में छत्तीसगढ़ का एक भी खिलाड़ी नहीं है. पिछले कई आयोजनों से देखा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ से कोई खिलाड़ी ओलंपिक में शामिल नहीं हो पाता. यहां तक अंतरराष्ट्रीय स्तर के ज्यादातर आयोजनों में प्रदेश का प्रतिनिधित्व न के बराबर ही हो पाता है. ETV भारत ने इसकी वजह जानने के लिए खेल से जुड़े लोगों और खिलाड़ियों से बात की.
ओलंपिक से छत्तीसगढ़ नदारद सुविधाओं के साथ कोच की कमी
ETV भारत से चर्चा में खिलाड़ियों ने बताया कि प्रदेश में आधारभूत ढांचे की बहुत कमी है. राजधानी के अलावा भिलाई में ही कुछ इंफ्रॉस्ट्रक्चर राष्ट्रीय स्तर के आयोजनों के लिए हैं. जबकि ओलंपिक जैसे बड़े आयोजन में सलेक्ट होने के लिए तैयारी छोटे उम्र के बच्चों से की जाती है. हमारे राज्य में विभाग को भारी भरकम बजट तो आवंटित हो रहा है लेकिन जमीनस्तर पर उसका नतीजा नहीं मिल पा रहा है. चीन, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में स्कूल स्तर का ही इंफ्रॉस्ट्रक्चर इतना बेहतर होता है जिससे काफी कम उम्र से ही एथलीट तराशे जाने लगते हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में फिलहाल ये ट्रैंड बहुत कम देखने को मिलता है.
फिटनेस को नहीं दी जाती प्राथमिकता
खिलाड़ियों का कहना है कि आज के दौर में स्पोर्टस में स्किल के साथ ही फिटनेस का भी बड़ा महत्व है. फिटनेस को एक दिन में नहीं पाया जा सकता. इसके लिए एक्सपर्ट की देखरेख में लंबे समय में पसीना बहाने और खानपान का पूरा ध्यान रखने से ही मिल सकता है. इंटरनेशनल आयोजन में क्वॉलिफाई के लिए जिस स्तर के फिटनेस की जरूरत है. उसमें हम अभी काफी पिछड़े है. खिलाड़ियों को हाई प्रोटीन की जरूरत है. लेकिन आर्थिक परिस्थितयों के कारण उन्हें वो सबकुछ नहीं मिल पाता है. जिससे वे पीछे रह जाते हैं. खिलाड़ियों ने बताया कि प्रदेश में इस तरह के एक्सपर्ट स्टेट लेवल खेलने वाले खिलाड़ियों को भी मुहैया नहीं हो पाते कि वे किस तरह अपना फिटनेस बनाए, क्या खाए, क्या नहीं. सब लगभग भगवान भरोसे चल रहा है.
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सरकार की इच्छा शक्ति पर भी उठे सवाल
प्रदेश में खेल की इस बदहाली पर खिलाड़ियों का साफ कहना है कि दूसरे देशों की तुलना छोड़िए. पंजाब, हरियाणा या पड़ोसी राज्य ओडिशा के बराबर सपोर्ट भी अगर सरकार से मिल जाए तो वे काफी आगे निकल सकते हैं. लेकिन न तो प्रदेश में इंफ्रॉस्ट्रक्चर सुधारने का काम हो रहा है और न ही राष्ट्रीय स्तर के आयोजनों को बढ़ावा दिया जा रहा है. खिलाड़ियों ने बताया कि कुछ टूर्नामेंट जिसमें देश की कई बड़ी टीमें हिस्सा लेती थी उन्हें भी बंद कर दिया गया है.
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस पर सीएम भूपेश बघेल ने दी थी बधाई
बीते दिनों 23 जून को अतंरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस पर सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट कर (cm bhupesh baghel tweet) अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस (international olympic day) पर देश और प्रदेशवासियों को बधाई दी थी. ट्वीट के जरिए उन्होंने कहा कि ओलंपिक हमारे खेलों की श्रेष्ठता एवं खिलाड़ियों की दक्षता पर वैश्विक मुहर है. हमारी सरकार ओलंपिक खेलों के लिए खिलाड़ियों को तैयार करने में सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.
पूर्व सीएम रमन सिंह ने बताया दुर्भाग्य
पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह (raman singh) जो कि लंबे समय तक प्रदेश ओलंपिक संघ की भी कमान संभाले हुए थे. उनसे पूछे जाने पर उन्होंने सीधे-सीधे इसे छत्तीसगढ़ का दुर्भाग्य करार दिया. उनका कहना है कि ये दुर्भाग्य है कि यहां से खिलाड़ी ओलंपिक में नहीं जा पा रहे हैं. इससे समझा जा सकता है कि हमारा प्रदेश खेलों के लिए कितना गंभीर रहा है.
कभी हॉकी और मुक्केबाजी में दिखता था दम
रियो ओलंपिक में रेणुका यादव (राजनांदगांव) ने हिस्सा लेकर प्रदेश का नाम रोशन किया था. इससे पहले के सालों की बात की जाए तो लेजली क्लॉडियस (Leslie Claudius) का देश में बड़ा नाम है. जो छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के थे. इन्होंने भारतीय हॉकी के गोल्डन एरा में अपना जौहर दिखाया था और देश को तीन बार गोल्ड मेडल और एक बार सिल्वर मेडल दिलाने में कामयाब रहे थे. इसके अलावा आर बेस्टियन (हॉकी), विसेंट लकड़ा (हॉकी), राजेन्द्र प्रसाद (मुक्केबाजी), हनुमान सिंह (मुक्केबाजी) जैसे खिलाड़ियों ने भी अपना जलवा इंटरनेशनल मंच पर जोरदार तरीके से दिखाया है. लेकिन ये ज्यादातर नाम चालीस साल पहले के हैं. आज मुकाबला ज्यादा कठिन हो चला है. ज्यादा संसाधन और बड़ी इच्छा शक्ति की जरूरत है. तभी ओलंपिक जैसे महायज्ञ में छत्तीसगढ़ भी आहूति देने में कामयाब रहेगा.