रायपुर: छत्तीसगढ़ में बरसात शुरू हो गई है और धान की बुआई का काम भी जारी (Increasing demand for Chhattisgarh rice)है. इसके बाद धान की रोपाई की जाएगी. पिछले साल की अपेक्षा इस साल किसानों की तरफ से ज्यादा धान रोपाई किए जाने का अनुमान है. उसकी मुख्य वजह यह भी है कि छत्तीसगढ़ सरकार धान का समर्थन मूल्य अन्य राज्यों की अपेक्षा सबसे ज्यादा दे रही है.
छत्तीसगढ़ में धान का समर्थन मूल्य और अंतर की राशि मिलाकर ₹2500 रुपये प्रति क्विंटल राशि दिया जा रहा है. यहां के धान की किस्म बहुत अच्छी होती है. धान की कई ऐसी किस्में छत्तीसगढ़ में होती है, जो काफी दुर्लभ है. इसकी कीमत भी अधिक होती है. जिस वजह से छत्तीसगढ़ के चावल की पूछ-परख विदेशों में बहुत ज्यादा है. ऊंची कीमत पर छत्तीसगढ़ का चावल विदेशों में बिक रहा (Noodles and pasta made in China from Chhattisgarhi rice) है.
छत्तीसगढ़ में धान की 23450 प्रजातियां:दुनिया में सुगंधित चावल की लगभग 1000 किस्में हैं, जिसमें से 150 सुगंधित चावल की किस्म की पैदावार भारत में होती है. इनमें से 16 किस्म का चावल छत्तीसगढ़ में पैदा होता हैं. प्रदेश में जीराफूल, दुबराज, बादशाह, जवाफूल, तरुण भोग समेत धान की 16 प्रमुख सुगंधित किस्में है. छत्तीसगढ़ में धान की 23,450 प्रजातियां हैं, इसमें कई सुगंधित एवं दुर्लभ धान भी शामिल हैं.
प्रदेश में धान का रकबा बढ़ा:खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में धान बेचने के लिए कुल 24 लाख 6, 560 किसानों ने पंजीयन कराया था, जिनके द्वारा बोए गए धान का रकबा 30 लाख 10 हजार 880 हेक्टेयर है. जबकि 2020-21 में पंजीकृत धान का रकबा 27 लाख 92 हजार 827 हेक्टेयर था.
विदेश में चावल का बढ़ा निर्यात:वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों से यह बात सामने आई है कि छत्तीसगढ़ के चावल की मांग विदेश में तेजी से बढ़ती जा रही है. आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में ही छत्तीसगढ़ के चावल की विदेशों में दोगुनी से ज्यादा मांग बढ़ी है.
देश के निर्यात का लगभग 11 फीसद चावल छत्तीसगढ़ से भेजा जाता: वर्ष 2021-22 में प्रदेश से 5, 500 करोड़ रुपये का चावल विदेश भेजा गया है, जबकि पांच साल पहले तक बमुश्किल ढाई हजार करोड़ रुपये के चावल का निर्यात किया जाता रहा है. बीते वर्ष पूरे देश से 45 हजार करोड़ रुपये के चावल का निर्यात किया गया था. यानी चावल के निर्यात में अकेले छत्तीसगढ़ की भागीदारी करीब 11 फीसद तक रही.