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अपने ही प्रदेश में उपेक्षित हैं लोक कलाकार, कब आएंगे इनके अच्छे दिन ? - raipur news

छत्तीसगढ़ में लोक कलाकारों को मंच नहीं मिल पा रहा है और अगर मिलता भी है तो उन्हें उनकी मेहनत के हिसाब से मेहनताना नहीं मिल रहा है.

संस्कृति विभाग

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Published : May 13, 2019, 8:21 PM IST

Updated : May 14, 2019, 7:00 AM IST

रायपुर:छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति के उत्थान की जिम्मेदारी संस्कृति विभाग को दी गई थी. वर्षों से हाशिए पर रहे छत्तीसगढ़ के कलाकारों को नया राज्य गठन के बाद उम्मीद थी कि अब उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार होगा, लेकिन संस्कृति विभाग के अधिकारियों की मनमानी से स्थानीय कलाकार एक बार फिर अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. जिससे विभाग के कामकाज को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं.

स्पेशल स्टोरी

प्रतिभावान कलाकारों की उपेक्षा
दरअसल, विभाग के अधिकारियों की मनमानी के चलते यहां प्रदेश के प्रतिभावान कलाकारों को मंच नहीं मिल पा रहा है या फिर मंच पर जगह नहीं मिलती है. अगर जगह मिल भी गई तो बदले में मेहनताना काफी कम है. वहीं दूसरी ओर प्रदेश के रसूखदार अधिकारियों के परिजनों को संस्कृति विभाग ने मनमाने दाम देकर लगातार उपकृत किया है. नई सरकार बनने के बाद अब इन तमाम मसलों को लेकर जांच कमेटी बनाई गई है, लेकिन कलाकारों को अभी भी उम्मीद कम ही है कि उन्हें विभाग की ओर से बड़ा काम या सम्मान मिल पाएगा.

उम्मीदों पर फिरा पानी
छत्तीसगढ़ के कलाकारों को नया राज्य बनने के बाद काफी उम्मीदें थी कि उन्हें अपने प्रदेश में तमाम मंचों पर काम करने का अवसर मिलेगा और इसके बदले उन्हें सरकार की तरफ से आर्थिक मदद मिलेगी. लेकिन संस्कृति विभाग के हाथों सबसे ज्यादा प्रदेश के प्रतिभावान लोक कलाकार, स्थानीय कलाकार और छत्तीसगढ़िया कलाकार ही छला गया. आरोप है कि राज्य बनने के बाद यहां विभाग में एक अलग ही लॉबी काम कर रही थी, इसके चलते प्रदेश के कलाकारों को लेकर विभागीय अधिकारियों का एक अलग ही नजरिया रहा है. वहीं दूसरी ओर कुछ प्रभावशाली अधिकारियों के परिजनों को विभाग ने मनमाने तरीके ओब्लाइज किया है. प्रमाणित तौर पर मिले दस्तावेजों में यह बात साफ जाहिर हो रही है कि किस तरह से संस्कृति विभाग प्रदेश के अधिकारियों की पत्नियों और बेटियों के साथ बाहरी कलाकारों पर मेहरबान रहा है.

अधिकारियों की पत्नी पर विभाग मेहरबान
सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों में यास्मिन सिंह, पूर्णश्री राउत और अंकिता राउत का नाम सामने आया है. इसमें यास्मिन सिंह पूर्व सचिव अमन सिंह की पत्नी हैं. वहीं पूर्णश्री राउत के एमके राउत की पत्नी हैं. कहते हैं इन दोनों अधिकारियों की पूर्व सरकार में तूती बोलती रही है. यही वजह है कि संस्कृति विभाग अधिकारियों के पत्नियों और बेटी पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान रही. पूर्व सचिव अमन सिंह की पत्नी के काम और भुगतान को लेकर अब राज्य सरकार ने जांच शुरू कर दी है. सामान्य प्रशासन विभाग से आदेश जारी कर जांच का जिम्मा आईएएस रेणु पिल्लई को दिया गया है. छालीवुड सुपरस्टार मनमोहन ठाकुर कहते हैं, संस्कृति विभाग में भ्रष्टाचार पूरे चरम पर है. अब नई सरकार ने इसके लिए कदम उठाया है. यहां सालों से स्थानीय कलाकारों की उपेक्षा हो रही है.

Last Updated : May 14, 2019, 7:00 AM IST

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