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छत्तीसगढ़ के किसानों के आत्महत्या के मामले में आई है कमी या फिर हुई है बढ़ोतरी - छत्तीसगढ़ में किसानों की आत्महत्या

23 दिसबंर राष्ट्रीय किसान दिवस 23 December National Farmer Day है. इस अवसर पर छत्तीसगढ़ में किसानों की क्या स्थिति है, पहले और अब में किसानों के जीवन में कितना बदलाव आया है. राज्य सरकार द्वारा फसल की पैदावार से लेकर उसके लिए मिलने वाला मूल्य किसानों की जीवन में खुशहाली ला पाया है या नहीं. विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को लाभ पहुंचाने की कोशिश कितनी रही सफल. क्या प्रदेश में किसान आत्महत्या के मामलों में कमी आई है या फिर उसमें बढ़ोतरी हुई है. इन सारे सवालों का जवाब जानने की कोशिश की ईटीवी भारत ने... देखिए विस्तृत खबर

National Farmer Day
राष्ट्रीय किसान दिवस

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Published : Dec 23, 2022, 6:00 AM IST

Updated : Dec 26, 2022, 3:58 PM IST

छत्तीसगढ़ में किसानों के आत्महत्या के मामले में क्या है स्थिति

रायपुर: आइए पहले एक नजर डालते हैं भाजपा शासनकाल और कांग्रेस सरकार में कितने किसानों ने आत्महत्या की...

कांग्रेस शासनकाल में किसान आत्महत्या के आंकड़े:छत्तीसगढ़ में एक अप्रैल 2019 से 31 जनवरी 2022 के बीच 431 किसानों ने आत्महत्या की है. किसान आत्महत्या के मामलों में से तीन मामलों में कृषिगत कारणों से आत्महत्या की गई है. वित्तीय वर्ष 2019-2020 में 166 किसानों ने आत्महत्या की है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में 186 किसानों ने और चालू वित्त वर्ष में 31 जनवरी 2022 तक 79 किसानों ने आत्महत्या की है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार छत्तीसगढ़ वर्ष 2019 और 2020 में किसानों की आत्महत्या के मामले में देश में छठवें स्थान पर था.



भाजपा शासनकाल में किसान आत्महत्या के आंकड़े :राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्टों के अनुसार छत्तीसगढ़ में किसानों की आत्महत्या के आंकड़े अधिक रहे हैं. भाजपा शासनकाल में साल 2006 से 2010 के बीच हर साल किसान आत्महत्या के औसतन 1555 मामले दर्ज हुए हैं. यानी, हर दिन औसतन चार से अधिक किसानों ने आत्महत्या की. उस दौरान जब लगातार बढ़ते किसान आत्महत्या के मामलों को लेकर विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने तत्कालीन भाजपा सरकार को घेरना शुरू किया तो आने वाले सालों में किसान आत्महत्या का मामला अचानक अन्य पर पहुंच गया. साल 2011 में एनसीआरबी की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में किसानों की आत्महत्या का मामला शून्य था. साल 2012 में केवल चार किसानों ने आत्महत्या की. वहीं, 2013 में किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा फिर से शून्य पर जा पहुंचा.

किसानों की खुदकुशी का सिलसिला पिछली सरकार के शासनकाल की तरह कांग्रेस सरकार में भी जारी रहा. हालांकि, सिर्फ़ आंकड़ों के आधार पर देखने पर ये पहले की तुलना में कम दिखता है. यहां तक कि राज्य सरकार के कृषि विभाग के आंकड़ों और एनसीआरबी, जिसे राज्य सरकार ही आंकड़े उपलब्ध कराती है, आंकड़ों में भी भारी अंतर है.



कांग्रेस की मानें तो भाजपा द्वारा किसान को 2013 के चुनाव घोषणा पत्र में धान का समर्थन मूल्य 2100 रू और 300 रू. बोनस प्रति क्विंटल देने का वादा जुमला साबित. भाजपा की वादाखिलाफी के कारण कर्ज से लदकर प्रतिदिन औसत तीन किसान आत्महत्या करने मजबूर है. 365x3=1095 किसान. 15 साल में 15000 किसानों ने आत्महत्या किया. आज छत्तीसगढ़ में किसान आत्महत्या का दौर समाप्त हो गया. भाजपा खुद दावा कर रही चार साल में 431 किसान आत्महत्या किये अर्थात 108 किसान प्रतिवर्ष दस गुना की कमी आई है.



कांग्रेस के अनुसार कांग्रेस सरकार में आते ही 2 घंटे के भीतर 1,78,200 किसानों का 9270 हजार करोड़ का कर्जा माफ. किसानों का सिंचाई कर माफ. 2500 में धान खरीदी की जा रही, राजीव गांधी किसान न्याय योजना की राशि को मिलाकर वादे से अधिक 2640 और 2660 रू. प्रति क्विंटल धान का समर्थन मूल्य. 6.5 लाख किसानों को 10400 करोड़ कृषि पंपों के लिये बिजली बिल पर राहत. 15 लाख किसानों के 325 करोड़ का सिंचाई कर माफ. 2017-18 में अधिक किसान 15.77 लाख, अधिक धान 56.89 लाख मी. टन, पंजीकृत रकबा 20 लाख हेक्टेयर. 2022-23 अधिक किसान 25.93 लाख, अधिक धान 98 लाख मी. टन, पंजीकृत रकबा 31.17 लाख हेक्टेयर.

छत्तीसगढ़ में किसानों की स्थिति को लेकर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि "मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरी है. किसान समृद्ध हुए हैं. किसानों को उनकी उपज का सही कीमत मिल रहा है. किसानों को कर्ज मुक्त किया गया है. उन्हें स्थाई पंप कनेक्शन दिया गया है. धान उत्पादक किसानों को ₹2500 प्रति क्विंटल जो वादा कांग्रेस के द्वारा किया गया था. उसे भूपेश बघेल सरकार ने पूरा किया है. इसके अलावा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से कोदो कुटकी दलहन तिलहन गन्ना और सब्जी लगाने वाले किसानों को भी ₹10000 सब्सिडी दिया जा रहा है.

धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि "पूर्व की रमन सरकार के दौरान किसानों की आत्महत्या की घटनाएं आम हो गई थी. 15 साल के भाजपा शासनकाल में लगभग 15000 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की. प्रतिसाल लगभग 15 किसान आत्महत्या की घटनाएं होती थी. जिनका मूल कारण था. उनकी उपज का सही मूल्य ना मिलना. समय पर पानी का नहीं मिलना, फसल खरीदी की अच्छी व्यवस्था नहीं होना और रमन सरकार की वादाखिलाफी था. भूपेश सरकार बनने के बाद कृषि कार्य कारण किसी भी किसान ने आत्महत्या नहीं की और आज छत्तीसगढ़ का किसान खुशहाल है.

वहीं भाजपा नेता एवं पूर्व विधायक नवीन मार्कंडेय का कहना है कि "कांग्रेस सरकार किसानों के हित में कोई काम नहीं कर रही है. आज लगातार किसान ठगे जा रहे हैं. अगर आप एनसीआरबी का रिकॉर्ड देखते हैं तो पिछले 4 वर्षों में सबसे ज्यादा आत्महत्या के प्रकरण आए है. प्रत्येक वर्ष करीब 2000 किसान आत्महत्या कर रहे हैं. कर्ज फसल का खराब होना खराब बीज की वजह से किसान परेशान है और ऐसे कई घटनाक्रम है जिस वजह से आज उन्हें आत्महत्या करनी पड़ रही है. यह मैं नहीं कह रहा हूं बल्कि एनसीआरबी का डाटा कह रहा है.

मारकंडे ने कहा कि "किसानों के उत्थान के लिए यह सरकार कोई काम नहीं कर रही है. यह अपने आप में ढिंढोरा पीटते हैं कि हम ₹2500 में धान खरीदी कर रहे हैं, जबकि ₹2040 और ₹2060 केंद्र के मोदी सरकार किसानों को धान खरीदी के बाद जस्ट उसके खाते में सीधा दे रही है. यह अंतर की राशि भी देंगे बोलते हैं, उसको भी साल भर लगा कर देते है. आज प्रदेश का किसान अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं.

Last Updated : Dec 26, 2022, 3:58 PM IST

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