रायपुर: आपने अब तक संगीत के कई आयाम देखे होंगे. अलग-अलग वाद्य यंत्रों की सरगम सुनी होगी. कई गायकों की मधुर आवाज ने आपको दीवाना बनाया होगा. लेकिन आज हम आपको सूरजपुर जिले के आदिवासी अंचल के शिक्षक महेंद्र उपाध्याय से मिलवाने जा रहे हैं. जो पीपल के पत्ते से एक से एक बढ़िया धुन बजाते हैं. इनकी इस कलाकारी को देखकर आप दंग रह जाएंगे. ईटीवी भारत ने उनकी कलाकारी और उनके इस शौक के बारे में खास बातचीत की है.
पीपल के पत्ते से सरगम: शिक्षक महेंद्र उपाध्याय पीपल के पत्ते से तैयार करते हैं संगीत, छेड़ते हैं सुरों की तान
संगीत एक ऐसी भाषा है जिसे हर कोई समझ सकता है. संगीत के कद्रदान भी कई हैं और कई लोग संगीत के साधक हैं. ऐसे ही एक कलाकार की चर्चा इन दिनों हो रही है. जो पीपल के पत्ते से मधुर संगीत निकालते हैं. वह पीपल के पत्ते से एक से एक धुन तैयार करते हैं.
सवाल- लोग अलग-अलग वाद्य यंत्रों से संगीत बजाते हैं आपने पत्ते से संगीत बजाने के बारे में कैसे सोचा ?
जवाब- पिता जी की खेती बाड़ी थी और मैं मवेशियों को चराने के लिए लेकर जाता था. वही मैं पीपल के पत्तों को फूंककर आवाज निकलने की कोशिश करता था. शुरुआत में बेसुरी आवाज निकलती थी , उसके बाद सारेगामा सरगम सीखा, उसके बाद धीरे-धीरे गीत बजाने लगा
सवाल- आपका पेशा क्या है और आप कहां के रहने वाले हैं ?
जवाब- मैं सूरजपुर जिले के कैशलपुर गांव में पैदा हुआ. मेरी पढ़ाई लिखाई भी रामानुजगंज से हुई है. मैं शासकीय प्राथमिक शाला में एक शिक्षक हूं.
सवाल- शिक्षण के अलावा आप संगीत में कितना समय देते हैं.
जवाब- मैं ज्यादा समय संगीत को नहीं दे पाता. लेकिन जब समय मिलता है तो जरूर रियाज करता हूं. मैं नदी किनारे संगीत साधना करता हूं
सवाल- क्या आप स्कूल के बच्चों को पत्तों से वादन करना सिखाते हैं?
जवाब- अगर यह कोई वाद्य यंत्र होता तो मैं इसे जरूर सिखा देता. इस संगीत को सुनने के बाद अगर किसी की रूचि जागृत होगी तो मैं उसे यह जरूर सिखाऊंगा. लेकिन इसको सीखने में लंबा समय लगेगा.
governor of chhattisgarh Anusuiya Uikey: इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ का राज्यपाल अनुसुइया उईके ने किया दौरा
सवाल- राहुल गांधी और सीएम ने आपके इस वादन को सुना, उन्होंने क्या कहा?
जवाब- सीएम और राहुल गांधी ज्यादा व्यस्त थे. लेकिन उन्होंने मेरे वादन को सुना. इस मंच के लिए मैं कलेक्टर गौरव कुमार सिंह का बहुत आभारी हूं. नहीं तो मैं गुमनामी में जी रहा था.
सवाल- संगीत एक साधना है. लंबे समय से आप इसका अभ्यास कर रहें हैं. कैसा महसूस होता है आपको?
जवाब- मैं कभी-कभी इसका वादन करते करते डूब जाता हूं. संगीत है शक्ति ईश्वर की, कण कण में बसे हैं राम, रागी जो सुनाएं रागिनी रोगी को मिले आराम. मैं इस कला को और आगे बढ़ाना चाहता हूं. लेकिन अब उम्र बढ़ती जा रही है. देखिए परमात्मा मुझे कितनी शक्ति देता है.