रायपुर: कांग्रेस सरकार को 3 साल पूरे हो गए हैं. इन 3 सालों में सरकार का कामकाज कैसा रहा, कौन-कौन सी उपलब्धियां सरकार ने हासिल की, किस तरह की चुनौतियों का सामना सरकार को करना पड़ा. इन तमाम विषयों पर ईटीवी भारत के संवाददाता प्रवीण कुमार सिंह ने प्रदेश के संस्कृति एवं खाद्य मंत्री अमरजीत भगत (Minister Amarjit Bhagat Reacted) से खास बातचीत की. तो आइए जानते हैं कि इस दौरान मंत्री अमरजीत भगत ने क्या कहा और सवालों के किस तरह जवाब दिये.
सवाल: कांग्रेस सरकार के 3 साल कैसे रहे. सरकार ने कौन-कौन सी उपलब्धि हासिल की है और सरकार के सामने कौन सी बड़ी चुनौतियां रही.
जवाब: 3 साल बेमिसाल, 3 साल का कार्यकाल पूरा करने पर प्रदेश के सभी नागरिकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं. उनके प्रति आभार व्यक्त करता हूं और धन्यवाद देता हूं कि आपने सेवा करने के लिए अवसर दिया और सरकार ने पूरी तन्मयता के साथ पूरी गंभीरता के साथ राज्य की सेवा की है. काफी चुनौती होने के बावजूद जिस प्रकार से विकास की धारा को आगे बढ़ाया है. वह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है. इस प्रदेश में जहां सरकार बदलने के बाद लगभग 40 हजार करोड़ का कर्ज था और केंद्र सरकार के लगातार असहयोग करने के बावजूद यहां पर किसानों के लिए जिस प्रकार से काम हुआ है. जिस प्रदेश में 80% ज्यादा किसान रहते हो, उनके लिए योजना बनाकर सरकार काम कर रही है. कर्ज माफी धान का 2500 रुपए केंद्र की आपत्ति के बाद राजीव गांधी किसान योजना लाकर किसानों को जो आर्थिक रूप से संभल बनाने के लिए काम किया गया है. वह बहुत प्रशंसनीय है.
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कोविड-19 में भी अन्य प्रदेशों की तुलना में छत्तीसगढ़ में बेहतर काम हुए स्वास्थ्य के क्षेत्र में इलाज से लेकर दवा, उनको खाद्यान्न उपलब्ध कराने तक भारत सरकार ने तो बाद में नि:शुल्क चावल देने की घोषणा की थी. हमने तो पहले ही कर दिया था. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह निर्णय लिया था और निर्देश दिया था कि कोरोना काल मे कोई भी परिवार खाने के बिना परेशान ना हो. उनके पास खाद्यान्न का प्रचुर उपलब्धता होनी चाहिए. उसको पूरा करने में पूरे विभाग और कर्मचारियों ने सहयोग किया. लॉक डाउन के दौरान जब आवागमन के साधन बंद थे. उस दौरान भी हमने लोगों तक खाद्यान्न पहुंचाया, लोगों के खाद्यान्न की चिंता को दूर किया.
मैं कह सकता हूं कि आज इतनी जल्दी कोई भी सेटल हो सभी में विकास हुआ है. वनोपज खरीदी की संख्या हमने 7 से बढ़ाकर 52 कर दी. उसका मार्केटिंग करना, उसका मार्केटिंग करना, उनको आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना, ठीक उसी प्रकार से उसका असर इंडस्ट्री क्षेत्र में भी पड़ा है. जिस प्रकार से जीएसटी और ऑटोमोबाइल सेक्टर में अच्छा इनक्रीस किया गया है. सभी सेक्टर में हमारा बेहतर प्रदर्शन रहा है.
इस साल जो धान खरीदी का सीजन शुरू हुआ है. उसमें भी केंद्र सरकार ने हमारे साथ जो पक्षपात किया है. कि हमें जितना जरूरत था. उतना बारदाना नहीं दिया. उसके बावजूद धान खरीदी निर्बाध रूप से चल रही है. किसानों को पहले से ज्यादा सुविधा दिया जा रहा है. इसका सीधा असर दिखता है. किसान पंजीयन में भी बढ़ोतरी हुई है. रकवे में भी बढ़ोतरी हुई है. इस बार 105 लाख मैट्रिक टन धान खरीदने जा रहे हैं. वह भी एक बड़ी उपलब्धि सरकार की होगी. हम कह सकते हैं कि सभी क्षेत्रों में हम गुणात्मक उपलब्धि हासिल किए हैं. यह सब के लिए संतोषजनक बात है.
सवाल: धान को लेकर प्रदेश में लगातार राजनीति गरमाई हुई. विपक्ष का आरोप है कि जब बारदाने की मांग करनी थी. उस समय मांग भेजे नहीं और धान खरीदी के समय कह रहे हैं कि बारदाना नहीं मिला. धान खरीदी सहित अन्य विषयों को पर भी विपक्ष लगातार सरकार को घेरता रहा है. इसे किस रूप में देखते हैं.
जवाब: विपक्ष का काम है आरोप लगाना और उनको कुछ कहना है. वह कहेंगे ही, अपना ड्यूटी कर रहे हैं, इसका वास्तविकता से कोई सरोकार नहीं है केवल अपना राजनीतिक चमकाने के लिए इस तरह की बयानबाजी करते हैं. शुरू से ही सरकार गंभीर होकर भारत सरकार से बात कर रही है. जूट मिस्टर से बात कर रही है, लेकिन सेंट्रल हमको इतना बारदाना देने की आवश्यकता थी. वह नहीं दे पा रही है. उल्टे फरमान जारी कर दिया कि सेंट्रल पूल में जो राज्य का उसना चावल जमा होता था उसको रोक दिया है. सिर्फ अरवा चावल लेंगे. इससे जितने मिल लगे हैं, उसमें जो लेवल लगे हैं. उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यहां तक इतने बड़े मात्रा में धान कि खेती हो रही है. उसका निराकरण में भी दिक्कत आ रही है.
सवाल: इस पूरे मामले में विपक्ष का रवैया कैसा रहा. आप की सरकार ने प्रधानमंत्री से भी मिलने के लिए समय मांगा है.
जवाब: विभाग ने पत्र भेजा है मुख्यमंत्री ने पत्र भेजा है. मैंने भी पत्र भेजा है बारदाने के लिए भेजा है. चावल का कोटा बढ़ाने के लिए भेजा है. उसना चावल जमा करने के लिए भी भेजा है. उसका कोई सकारात्मक उत्तर नहीं आया है. मिलने के लिए समय मांगा है उसके लिए भी टालमटोल किया जा रहा है. अभी तक समय नहीं दिया गया है. इसके बावजूद धान खरीदी निर्बाध रूप से यहां पर चल रहा है और यहां का किसान संतुष्ट हैं वही हमारी पूंजी है.