रायपुर: कोरोना वायरस के संक्रमण के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन का असर कई आवश्यक सेवाओं पर भी दिखने लगा है. लॉकडाउन के दौरान अगर सबसे ज्यादा डिमांड किसी चीज की बढ़ी है, तो वह है मेडिकल सेक्टर की. मेडिकल सेक्टर में जीवनरक्षक दवाओं की खपत सबसे ज्यादा बढ़ी है. खासतौर पर हार्ट, बीपी और शुगर की दवाओं की खपत छत्तीसगढ़ में 20 से 30 फीसदी तक बढ़ी है.
छत्तीसगढ़ में बढ़ी दवाईयों की बिक्री ETV भारत की टीम ने मेडिकल कॉम्प्लेक्स के तमाम बड़े व्यापारियों से मिलकर इसकी पड़ताल की है. मेडिकल कॉम्प्लेक्स में पड़ताल करने पर यह जानकारी मिली कि साधारण तौर पर छत्तीसगढ़ में हार्ट, बीपी और शुगर की ही दवाओं का कारोबार करीब 60 करोड़ का होता है, लेकिन लॉकडाउन के दौरान इनका कारोबार करीब 80 करोड़ तक रहा है.
ज्यादा मात्रा में दवाईयों का किया स्टॉक
दवा व्यापारी एसोसिएशन के पदाधिकारियों का मानना है कि लॉकडाउन के दौरान लोगों में यह भ्रम हो गया कि जीवनरक्षक दवाओं की सप्लाई बंद तो नहीं हो जाएगी, यही वजह है कि लोगों ने घरों में बहुत अधिक दवाईयों का स्टॉक करके रख लिया. ऐसे में जरूरत से ज्यादा सप्लाई होने का असर अब दवा व्यापार पर भी दिखने लगा है.
बीपी और शुगर की दवाईयों की खपत 20 से 30 फीसदी तक बढ़ी एक महीने में 25 फीसदी तक बढ़ा दवा कारोबार
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दवाओं का बड़ा कारोबार होता है. यहां का दवा कारोबार ना केवल छत्तीसगढ़ तक सीमित है, बल्कि दूसरे राज्यों में भी यहां से दवाओं की सप्लाई की जाती है. ऐसे में स्थानीय स्तर पर भी दवा व्यापारी बड़े पैमाने पर दवाओं का स्टॉक करते हैं.
कई दवा कंपनियों के डिपो भी रायपुर के आसपास हैं. यहीं से दवा की सप्लाई पूरे छत्तीसगढ़ में होती है. कोरोना संकट के दौरान करीब एक महीने में ही दवा का कारोबार 25 फीसदी तक बढ़ा है. ऐसे में डिपो में भी लिमिटेड स्टॉक होने से दवाईयों की सप्लाई पर इसका असर दिखेगा. दवा कारोबारियों का मानना है कि लोगों के जरूरत से ज्यादा दवा खरीदने से आने वाले समय में इसका इफेक्ट जरूर दिखेगा, क्योंकि मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भी लंबे समय से बंद है.
दवाईयों की सप्लाई में होगी दिक्कत
कोरोना संकट के दौरान दवा बाजार में जीवनरक्षक दवाओं के अलावा मास्क और सैनिटाइजर जैसी चीजों की खपत 10 गुना ज्यादा तक बढ़ी है. बाजार में मास्टर सैनिटाइजर साधारण दिनों में ना के बराबर बिकते थे, लेकिन इस कोरोना संकट में करोड़ों रुपए के सिर्फ मास्टर सैनिटाइजर ही बिक चुके हैं. बात की जाए जीवनरक्षक दवाओं की, तो इसकी भी सप्लाई में आने वाले समय में बड़ी दिक्कत आ सकती है.