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Navratri: नवरात्रि के सातवें दिन माता के कालरात्रि रूप की होगी पूजा, इस विधि से पूजन करने से इच्छाएं होंगी पूरी - असुर शक्तियां भयभीत

नवरात्रि के सातवें दिन माता के कालरात्रि रूप की पूजा करने का विधान है. माता कालरात्रि दुष्टों का नाश करने वाली देवी मानी जाती हैं. यह देवी दैत्य शक्तियों, असुरी शक्तियों और सभी तरह की नकारात्मक शक्तियों का संहार कर सज्जनों की रक्षा करने वाली होती हैं. नाम से ही जाहिर है कि कालरात्रि यानि अंधकार की देवी.Mata Kalaratri form will be worshiped

Navratri puja 2023
कालरात्रि रूप की होगी पूजा

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Published : Mar 25, 2023, 5:32 PM IST

ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा

रायपुर:माता के कालरात्रि रूप की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन करने का विधान है. माता को धूम्रवर्ण, कालरात्रि आदि नामों से भी जाना जाता है. माता को देखकर दुष्ट प्रवृत्ति के लोग, असुर शक्तियां भयभीत होती हैं. सज्जनों को माता को देखकर अनुकूलता मिलती है. कालरात्रि देवी सज्जनों, विद्वानों और सकारात्मक लोगों की रक्षा करने वाली होती हैं. कालरात्रि सदा से ही मासूमों भक्तों और अपने अनुयायियों की रक्षा के लिए तत्पर रहती आई हैं.

दुर्गा सप्तशती के पाठ से मिलेगा लाभ:ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा के मुताबिक "माता कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए सप्तमी के शुभ दिन दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा, सिद्ध कुंजिका स्त्रोत, राम रक्षा स्त्रोत और दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. दुर्गा सप्तशती पढ़ने भी से आज के दिन विशेष लाभ होता है. मां कालरात्रि भक्तों को बहुत ही प्रिय हैं. भक्तवत्सल माता कालरात्रि अभय प्रदान करने वाली देवी मानी गई है और मां जगदंबे का ही रूप हैं. आज के शुभ दिन मृगशिरा नक्षत्र मंगलवार सौभाग्य योग, बवकरण मिथुन राशि का सुंदर संयोग बन रहा है. सर्वार्थसिद्धि और अहोरात्र योग भी बन रहे हैं."

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इस दिन कर सकते हैं सभी तरह के शुभ कार्य:पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "आज के शुभ दिन सभी तरह के शुभ कार्यों को करना शुभ माना जाता है. माता कालरात्रि की कृपा से पुंसवन, सीमंत, सूती स्नान, रत्न धारण करना अत्यंत ही शुभ फलदाई होता है. आज के शुभ दिन द्विपुष्कर योग का सुखद संयोग है, साथ ही गुरु के प्रभाव से हंस योग और शनि के प्रभाव से शशयोग का निर्माण हो रहा है. आज के दिन महानिशा पूजन का विधान है. कालरात्रि माता महानिशा पूजन से अत्यंत प्रसन्न होती हैं. महानिशा पूजन संपूर्ण रात्रि काल में किया जाने वाला अनुष्ठान है. संध्या के समय से लेकर सुबह 4 बजे तक यह पूजन किया जाता है. महानिशा पूजन से माता बहुत जल्द प्रसन्न होती हैं."

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