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कोरोना वायरस: ड्रिंक एंड ड्राइव, कितनी चुनौती क्या समाधान ?

छत्तीसगढ़ में सड़क हादसे की खबर आम हो गई है. हर दिन ये आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. इस सड़क हादसे के पीछे की वजह तेज रफ्तार के साथ ओवर ड्रिंक भी है. ड्रिंक एंड ड्राइव कई सड़क हादसों की वजह बनती है. रायपुर यातायाता पुलिस कोरोना संक्रमण के कारण ब्रेथ एनालाइजर के उपयोग पर रोक लगा दी है, इससे ये आंकड़े बढ़ते चले जा रहा है. ईटीवी भारत विशेष में आज बात ड्रिंक एंड ड्राइव के साथ सड़क पर ट्रैफिक पुलिस की चुनौती और इसका हल.

Breatha analyzer not used in drink and drive case in raipur
ड्रिंक एंड ड्राइवर

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Published : Oct 4, 2020, 4:41 PM IST

Updated : Oct 4, 2020, 6:03 PM IST

रायपुर: दुनिया के साथ-साथ भारत को भी कोरोना वायरस ने हिला कर रख दिया है. शायद ही ऐसी चुनौती भारत के सामने इससे पहले कभी आई होगी. जब इस तरह की चुनौती देश में आती है, तो उससे लड़ने के लिए नये-नये मापदंड भी तय करने पड़ते हैं. कोरना से निपटने के लिए डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मियों के साथ कई अन्य क्षेत्र के कोरोना वारियर्स ने भी बखूबी मोर्चा संभाला, इन सबसे अलावा आपदा की इस घड़ी में देश में शांति व्यवस्था बनाये रखने में पुलिस भी अहम जिम्मेदारी निभा रही है.

ड्रिंक एंड ड्राइव, चुनौती और समाधान

पुलिस महकमें की जिम्मेदारी इसलिए भी और बढ़ जाती है क्योंकि उसे हर विपदा से निपटने के लिए पहले ही प्रशिक्षण दिया जा चुका है. पुलिस शहरों के अलावा सड़कों पर भी शांति व्यवस्था बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके लिए ट्रैफिक पुलिस की भूमिका काफी बढ़ जाती है. हालांकि इस बीच उनके सामने चुनौतियां भी काभी आई हैं. वीआईपी और वीवीआईपी मूवमेंट में ट्रैफिक जवान पर ही शांति व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी होती है.

ड्रिंक एंड ड्राइव

बीते 7 महीने से पूरे देश में कोरोना महामारी तेजी से बढ़ रही है, ऐसे समय में पुलिस और ट्रैफिक पुलिस की भूमिका लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने में बेहद जरूरी है. ऐसी ही एक अहम चुनौती ड्रंक एंड ड्राइव की है. देर रात जब ट्रैफिक जवान चौक-चौराहों पर ट्रैफिक की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने की कोशिश करते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के बीच ड्रंक एंड ड्राइव की चेकिंग करते समय ट्रैफिक पुलिस द्वारा ब्रेथ एनालाइजर का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. क्योंकि ये सीधे कॉन्टेक्ट में आने की प्रक्रिया है, इससे संक्रमण का खरता बढ़ जाता है. ब्रेथ एनालाइजर का इस्तेमाल नहीं करने का फायदा अब शराबी उठा रहे हैं. ऐसे में ट्रैफिक पुलिस की जिम्मेदारियों के साथ चुनौतियां बढ़ जाती है.

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क्या हैब्रेथ एनालाइजर?

राजधानी रायपुर में लगभग 10 ट्रैफिक पुलिस स्टेशन है. हर पुलिस स्टेशन में 3 ब्रेथ एनालाइजर है. कोरोना के पहले लगातार इनका इस्तेमाल भी किया जाता रहा है, लेकिन कोरोना काल में इस्तेमाल नहीं किया गया है. दरअसल, ब्रेथ एनालाइजर का इस्तेमाल पुलिस द्वारा पकड़े गए संदिग्ध ड्रंक एंड ड्राइव व्यक्ति के मुंह में डालकर उसे फूंकने को कहा जाता है. फूंकने के बाद ब्रेथ एनालाइजर में रीडिंग बताई जाती है जिसमें पता चलता है कि आदमी ड्रंक है या नहीं. क्योंकि यह व्यक्ति के कांटेक्ट में आता है, इस वजह से इसका इस्तेमाल कोरोना वायरस की इस महामारी के दौर में नहीं किया गया है. हालांकि लॉकडाउन के दौरान चौक-चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस की तरफ से व्यवस्था को लेकर मुस्तैदी से चेकिंग की गई है और ड्रिंक एंड ड्राइव के मामले में मिल रहे संदिग्ध व्यक्तियों की डॉक्टर के पास ले जाकर जांच करवाई जाती है, इसके बाद डॉक्टर के रिपोर्ट को देखते हुए आगे की कार्रवाई की जाती है.

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ब्रेथ एनालाइजर का इस्तेमाल नहीं किया गया

ट्रैफिक एडिशनल एमआर मंडावी ने बताया कि, 'लॉक डाउन के बाद अनलॉक में ट्राफिक ज्यादा होने से लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने का दबाव ज्यादा हो गया है. चौक-चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस की ओर से ट्रैफिक व्यवस्था मेंटेन किया जा रहा है. इसके साथ ही आईटीएमएस के कैमरे से चालकों पर नजर रखी जा रही है. नियम तोड़ने वालों को e-challan भेजा जा रहा है. इसके आलावा शहर में व्यस्त और भीड़भाड़ वाली जगहों पर भी पेट्रोलिंग की जा रही है, ताकि किसी भी व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाया जा सके. कोरोना कॉल में ड्रिंक एंड ड्राइव मामले में ब्रेथ एनालाइजर का इस्तेमाल नहीं किया गया है, क्योंकि ब्रेथ एनालाइजर व्यक्ति के डायरेक्ट कांटेक्ट में होता है, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है. इस कारण कोरोना काल में ब्रेथ एनालाइजर का इस्तेमाल नहीं किया गया है. हालांकि ड्रिंक एंड ड्राइव के मामलों में संदिग्ध व्यक्तियों को पकड़कर डॉक्टर से उनकी जांच करवाई गई है और डॉक्टर की रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई भी की गई है. ड्रिंक एंड ड्राइव मामले में फाइन और लाइसेंस भी निरस्त कराया जाता है'.

ड्रिंक एंड ड्राइव



ड्रिंक एंड ड्राइव
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि, 'रात को जब वह टहलने निकलते हैं तो आवारा लड़के ड्रिंक एंड ड्राइव करते दिखते हैं. कई व्यक्ति गाड़ी लापरवाही से चलाते हैं जिससे भीड़भाड़ वाले इलाकों में सड़क पर चलने वाले व्यक्तियों के लिए खतर बढ़ जाता है. कई बार हादसे भी हो जाते हैं, अक्सर रात में ड्रिंक करके लोग गाड़ी चलाते हैं और ज्यादातर हादसे का शिकार होते हैं. हालांकि लॉकडाउन में वाइन शॉप बंद रहने के कारण ड्रिंक एंड ड्राइव के मामले शाम को कम देखने को मिल रहे हैं, लेकिन अब दोबारा शहर अनलॉक हो गए हैं और वाइन शॉप्स भी खुल गए हैं, जिससे खतरा फिर बढ़ गया है'.

छत्तीसगढ़ में पिछले 1 महीने के दौरान सड़क हादसे में 10 से ज्यादा लोगों की गई जान.

  • कोंडागांव के राष्ट्रीय राजमार्ग-30 के पास दो ट्रकों में भिड़ंत. इस हादसे में एक शख्स की मौत हो गई.
  • महासमुंद में भीषण सड़क हादसे में 2 लोगों की जान चली गई.
  • रायपुर में दो बाइक की आमने-सामने टक्कर में 1 युवक की मौत, जबकि महिला समेत 2 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए.
  • कोंडागांव के राष्ट्रीय राजमार्ग-30 के पास दो ट्रकों की भिड़ंत में एक व्यक्ति की मौत हो गई.
  • बेमेतरा में दो अलग-अलग सड़क हादसे में चार लोगों की मौत हो गई.
  • रायपुर में सड़क हादसे में बुजुर्ग महिला की मौत हो गई है.

भारत में सड़क दुर्घटना के आंकड़े

  • भारत में हर साल सड़क दुर्घटना में 3% का इजाफा होता है.
  • देश में होने वाले सड़क हादसों के शिकार 78% लोग 20 से 40 साल की उम्र के हैं.
  • देश में हर साल 5 लाख लोग सड़क हादसे के शिकार हो रहे हैं.
  • इनमें करीब 1 लाख 10 हजार लोगों की मौत हो जाती है.
  • सबसे ज्यादा मौत हेलमेट नहीं पहनने के कारण होती है.
Last Updated : Oct 4, 2020, 6:03 PM IST

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