रायपुर:आंध्र प्रदेश में बन रहे पोलावरम बांध निर्माण को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार लंबी लड़ाई लड़ रही है. विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बांध निर्माण का मुद्दा गरमाया रहा. जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने विपक्ष के सवाल पर बांध को लेकर कई अहम जानकारी दी. मंत्री ने बताया कि बांध के निर्माण से छत्तीसगढ़ के कई इलाके डूब जाएंगे. राज्य सरकार बांध निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. अपने क्षेत्र में होने वाले नुकसान को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी जा रही है. मंत्री ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का जब तक फैसला नहीं आ जाता तब तक निर्माण नहीं हो सकता.
रेणु जोगी ने उठाया पोलावरम बांध का मुद्दा
जेसीसी(जे) विधायक रेणु जोगी ने बस्तर के पोलावरम बांध के निर्माण का मामला सदन में उठाया. उन्होंने कहा कि आदिवासी और कई गांव प्रभावित होंगे. इसी सदन में पहले संकल्प लाया गया था. क्या केंद्र को पत्र लिखा गया है कि पोलवरम बांध से जनजाति प्रभावित होगी? आंध्रप्रदेश में प्रभावितों को कितना मुआवजा दिया जा रहा है? छत्तीसगढ़ के प्रभावितों को कितना मुआवजा दिया जा रहा है ? इस बांध से बड़ा नुकसान छत्तीसगढ़ का होगा. जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि छत्तीसगढ़ के कई इलाके डूब क्षेत्र में आ रहे हैं. पोलावरम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस किया गया है. छत्तीसगढ़ के साथ-साथ अन्य राज्यों ने भी केस किया हुआ है. जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, पोलावरम बांध का निर्माण आसान नहीं है.
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कोंटा समेत 9 गांव डूबेंगे
पोलावरम बांध के इतिहास पर नजर डालें तो यह आंध्र प्रदेश की इंदिरा सागर अंतर्राज्यीय परियोजना है. 1978 के पहले परियोजना बनाई गई थी, गोदावरी नदी पर सालों से बांध निर्माण का काम चल रहा है. अगर बांध बन जाता है तो सुकमा जिले के कोंटा सहित 9 गांव डूब जाएंगे. इनमें बंजाममुड़ा, मेटागुंडा, पेदाकिसोली, आसीरगुंडा, इंजरम, फंदीगुंडा, ढोढरा, कोंटा, वेंकटपुरम के प्रभावित होने का अनुमान है. इन क्षेत्रों की जनसंख्या 18 हजार 510 है.