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नवरात्र के आठवें दिन होती है महागौरी की पूजा, धुल जाते हैं सारे पाप

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है. आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप महागौरी हैं. मां महागौरी का रंग अत्यंत गोरा है इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है. मान्यता के अनुसार अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था. तभी से इन्हें उज्जवला स्वरूपा महागौरी, धन ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी त्रैलोक्य पूज्य मंगला, शारीरिक मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माता महागौरी का नाम दिया गया.

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Published : Apr 1, 2020, 12:02 AM IST

Updated : Apr 1, 2020, 12:31 AM IST

नवरात्र के आठवें दिन होती है महागौरी की पूजा
नवरात्र के आठवें दिन होती है महागौरी की पूजा

रायपुर: नवरात्रि के आठवें दिन यानी कि महाअष्‍टमी को महागौरी की पूजा की जाती है. महागौरी की पूजा अत्‍यंत कल्‍याणकारी और मंगलकारी है. मान्‍यता है कि सच्‍चे मन से अगर महागौरी को पूजा की जाए तो सभी पाप नष्‍ट हो जाते हैं और भक्‍त को अलौकिक शक्तियां प्राप्‍त होती हैं.

नवरात्र के आठवें दिन होती है महागौरी की पूजा

महागौरी को लेकर दो पौराणिक मान्‍यताएं प्रचलित हैं. एक मान्‍यता के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है. देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान उन्हें स्वीकार करते हैं और उनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं. ऐसा करने से देवी अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं. तभी से उनका नाम गौरी पड़ गया.

दूसरी कथा के मुताबिक एक सिंह काफी भूखा था. वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा, जहां देवी ऊमा तपस्या कर रही थी. देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गई, लेकिन वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया. इस इंतजार में वह काफी कमजोर हो गया. देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आ गई. मां ने उसे अपना वाहन बना लिया क्‍योंकि एक तरह से उसने भी तपस्या की थी.

महागौरी का स्‍वरूप

धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार महागौरी का वर्ण एकदम सफेद है. इनकी आयु आठ साल मानी गई है. महागौरी के सभी आभूषण और वस्‍त्र सफेद रंग के हैं, इसलिए उन्‍हें श्‍वेताम्‍बरधरा भी कहा जाता है. इनकी चार भुजाएं हैं. उनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा है और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है. मां ने ऊपर वाले बांए हाथ में डमरू धारण किया हुआ है और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा है. मां का वाहन वृषभ है इसीलिए उन्‍हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है. मां सिंह की सवारी भी करती हैं.

पूजा का महत्व

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा करने से सभी पाप धुल जाते हैं, जिससे मन और शरीर हर तरह से शुद्ध हो जाता है. देवी महागौरी भक्तों को सदमार्ग की ओर ले जाती है. इनकी पूजा से अपवित्र और अनैतिक विचार भी नष्ट हो जाते हैं. देवी दुर्गा के इस सौम्य रूप की पूजा करने से मन की पवित्रता बढ़ती है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ने लगती है. देवी महागौरी की पूजा करने से मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है. इनकी उपासना से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

इस मंत्र का करें जाप

श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरी शुभं दघान्महादेवप्रमोददा।।

Last Updated : Apr 1, 2020, 12:31 AM IST

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