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Magh Purnima Vrat 2022 : अश्लेषा नक्षत्र और शोभन योग में होगा माघी पूर्णिमा का व्रत, स्नान-दान का है महत्व

Magh Purnima Vrat 2022 : कल माघी पूर्णिमा का व्रत है. इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है. संगम समेत देशभर की नदियों में कल स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी. छत्तीसगढ़ का प्रयाग राजिम के भी कल लोगों से खचाखच भरे रहने की संभावना है.

Magh Purnima Vrat 2022
अश्लेषा नक्षत्र और शोभन योग में होगा माघी पूर्णिमा का व्रत

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Published : Feb 15, 2022, 4:36 PM IST

रायपुर : अश्लेषा नक्षत्र शोभन योग राक्षस योग विष्कुंभ और बवकरण के मध्य बुधवार को माघी पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन संत रविदास जयंती, माघ स्नान समाप्ति, श्री शिवरीनारायण मेला और राजिम मेला भी प्रारंभ होता है. आज के शुभ दिन से ही छत्तीसगढ़ का प्रयाग राजिम में कुंभ प्रारंभ होता है. इस दिन स्नान का विशिष्ट महत्व है. माघ पूर्णिमा के दिन संगम, गंगा नदी, सरोवर और पवित्र नदियों में स्नान करने का विशिष्ट महत्व है.

अश्लेषा नक्षत्र और शोभन योग में होगा माघी पूर्णिमा का व्रत

चंद्रमा कर्क और सिंह राशि में रहेंगे विराजमान
ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत (Astrologer and Vastu Shastri Pandit Vineet Sharma) शर्मा ने बताया कि आज के दिन चंद्रमा कर्क और सिंह राशि में विराजमान रहेंगे. सूर्य कुंभ राशि में विराजमान रहेगा. शनि स्वग्रही होकर शुभ शश योग बना रहा है. ऐसी मान्यता है कि आज के शुभ दिन प्रयागराज में सभी देवतागण आते हैं. साथ ही स्नान-दान आदि लेकर देवलोक लौट जाते हैं. माघी पूर्णिमा का स्नान-दान पद्धति में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है. आज के शुभ दिन प्रातः काल उठकर सूर्योदय से पूर्व स्नान करना चाहिए. यथासंभव गंगा, संगम आदि में स्नान करना चाहिए. यदि संभव न हो तो गंगा के जल से ही आज अपने आप को शुद्ध करना चाहिए. स्नान किये जाने वाले जल में थोड़ी मात्रा में शुद्ध गंगाजल मिलाकर इस पवित्र कार्य को किया जाना चाहिए.

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दान देने का है विशेष महत्व
आज के शुभ दिन दान करने का भी विधान माना गया है. ऐसी मान्यता है कि सुपात्र और योग्य व्यक्तियों तथा दीन-हीन, दिव्यांगों आदि जनों को दान देने से यह दान सीधा देवताओं तक पहुंचता है. देवगण प्रसन्न होकर अपने आशीर्वाद की वर्षा दान देने वाले तक पहुंचाते हैं. यह व्रत पूरी तरह से स्नान और दान के इर्द-गिर्द रहता है. पूर्णिमा का काल 15 फरवरी की रात्रि 9:42 से प्रारंभ हो जाएगा और 16 फरवरी की रात्रि 10:26 तक पूर्ण पूर्णिमा रहेगा. पूर्णिमा का काल विद्या आरंभ, जात-कर्म, सीमन्त सूति और स्नान आदि के लिए भी शुभ माना गया है. यह पूर्णिमा नए कार्य, व्यापार, विवाह आदि संस्कारों के लिए भी शुभ है. आज के शुभ दिन गृह निर्माण कार्य आरंभ करना, पुराने मकान का जीर्णोद्धार आदि के लिए भी शुभ है.

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