रायपुर: आखिर सखी सेंटर में किस तरह के मामले आते हैं और इसका निराकरण कैसे किया जाता है. (love affair and domestic violence case increased) इसे लेकर ईटीवी भारत में सखी सेंटर की संचालिका प्रीति पांडे से खास बातचीत की. (raipur news update)
सवाल: किस तरह के केसेस सखी सेंटर में आते हैं?
जवाब: हमारे यहां घरेलू हिंसा के सबसे अधिक मामले आते हैं. उसके साथ ही हम लोगों ने समस्या के प्रकार बांट लिए हैं. जैसे जैसे महिलाएं अपनी समस्या को लेकर आती हैं. जैसे छेड़छाड़, धोखाधड़ी, पेंशन समस्या, मानसिक डिस्टर्ब, दैहिक शोषण, दुष्कर्म, नशे की हालत में और भटकती अवस्था में महिलाएं आती है. इस तरह की महिलाओं का केस रजिस्टर्ड करते हैं. फिर उसका समाधान करने की पूरी कोशिश करते हैं.
सवाल: रायपुर में जब से सखी सेंटर की शुरुआत हुई, तब से कितने प्रकरण दर्ज किए गए हैं?
जवाब: 16 जुलाई 2015 को हमारे सखी सेंटर का उद्घाटन हुआ था. तब से लेकर अब तक हमारे यहां 5 हजार से अधिक मामले सखी वन स्टॉप सेंटर में रजिस्टर्ड हुए हैं. जिसमें से हम लोगों ने 4 हजार से अधिक मामले का निराकरण कर चुके हैं.
सवाल: अलग-अलग तरह के मामले आते हैं. उनकी संख्या क्या है?
जवाब: घरेलू हिंसा का यदि आप मामला देखेंगे तो 3 हजार से अधिक प्रकरण रजिस्टर हो चुके हैं. जिसमें हम लोगों ने 2700 प्रकरण में समस्या का समाधान किया है. दुष्कर्म के 50 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें 80 प्रतिशत मामलों का निराकरण किया जा चुका है. हमारे यहां धोखाधड़ी से रिलेटेड केसेस भी बहुत आते हैं. सामाजिक संस्थाओं की ओर से भटकती अवस्था में भी महिलाओं को छोड़ा जाता है. बहुत से ऑटो चालकों के माध्यम से यहां तक महिलाएं पहुंचती हैं. क्योंकि महिलाएं जागरूक हो गई हैं. उन्हें सखी सेंटर के बारे में जानकारी है. वही लोगों को यह भी पता चल चुका है कि सखी वन स्टॉप सेंटर एक ऐसी संस्था है, जहां पर आश्रय के साथ ही स्वास्थ्य से संबंधित सुविधाएं भी उपलब्ध है. वहीं पुलिस समस्या यदि किसी को होती है. यदि किसी का एफआईआर नहीं हो रहा या रेप की विक्टिम भटक रही है तो वह भी यहां आती है. सखी सेंटर में यदि काउंसलिंग के माध्यम से किसी का घर बस जाए तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. हमारी कोशिश यह होती है कि कोर्ट कचहरी ना भेजें. क्योंकि महिलाएं नहीं चाहती है कि बाहर जाने से हमारी बदनामी हो. इसलिए पूरी कोशिश होती है कि आपसी समझौते से सखी सेंटर में ही मामले का निराकरण किया जाए. इस दौरान हम दोनों का लिखित में आवेदन लेते हैं. हमारे यह के केस वर्कर लागातर फॉलोअप लेते रहते हैं.
सवाल: काउंसलिंग की क्या प्रक्रिया है, कितने लोग काउंसलिंग के दौरान मौजूद रहते हैं?
जवाब: काउंसलिंग के लिए हमारे यहां काउंसलर हैं, जो साइकोलॉजिस्ट हैं. उनका काउंसलिंग करने का तरीका भी बहुत अच्छा है. काउंसलिंग में मैं भी उनके साथ बैठती हूं. पुलिस अधिकारी भी स्थिति को देखते हुए काउंसलिंग में शामिल होते हैं. हम पूरी कोशिश करते हैं कि काउंसलिंग के माध्यम से किसी का घर भस जाए.