रायपुर: भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता धरमलाल कौशिक 1998 में बिल्हा विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गए. कौशिक 2008 में बीजेपी शासनकाल के दौरान छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे. इन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की जवाबदारी भी निभाई. वर्तमान में कौशिक छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष हैं. ईटीवी भारत ने फेस टू फेस सीरीज में कौशिक से प्रदेश के विभिन्न मुद्दों को लेकर खास बातचीत की है
सवाल : प्रदेश की कांग्रेस सरकार , विकास के छत्तीसगढ़ मॉडल को लेकर काफी मुखर है , इस पर आपकी क्या राय है ?
जवाब : छत्तीसगढ़ की धरातल पर इनका विकास दिखाई ही नहीं दे रहा है. जिसकी कांग्रेस नेता बात करते हैं.इस मॉडल को लेकर प्रदेश के कांग्रेस नेता असम चुनाव में गए , लेकिन असम के लोगों ने इस मॉडल को नकार दिया. उससे पहले बिहार के लोगों ने भी इनके मॉडल को रिजेक्ट कर दिया था. अब बारी उत्तर प्रदेश की है. वहां भी यह मॉडल चलने वाला नहीं है. वहां तो सिर्फ योगी और मोदी मॉडल ही चल रहा है. मुख्यमंत्री जी को देश के प्रधानमंत्री का धन्यवाद करना चाहिए. क्योंकि प्रदेश में जितनी भी योजनाएं संचालित हो रही है उन सब में प्रधानमंत्री जी की बड़ी भूमिका है . चाहे डीएमएफ की बात करें या ,14 वें , 15वें वित्त आयोग की बात करें. या फिर इनकी जो अन्य योजनाएं भी चल रही हैं.उसमें केंद्र सरकार की अहम भूमिका है. रही बात राज्य सरकार की नरवा , गरवा , घुरवा और बाड़ी योजना की तो उसमें स्थिति यह है कि गोबर खरीदी लगभग बंद हो गई है . जानवर गौठनों के बजाय सड़क पर दिखाई दे रहे हैं . लोग और गोवंश एक्सीडेंट के शिकार हो रहे हैं . राज्य सरकार की सभी योजनाएं फेल हो रही हैं . केवल कागजों में ही ये योजनाएं सिमट कर रह गई है . छत्तीसगढ़ की जनता 2023 में इन्हें जवाब देने वाली है. सच तो यह है कि इनका छत्तीसगढ़ मॉडल ही फेल है.
सवाल : एक तरफ आप प्रदेश सरकार के विकास के मॉडल को फेल बता रहे हैं ,वहीं दूसरी तरफ दावा तो यह किया जा रहा है कि प्रदेश के गौठनों में गोबर से 14 लाख टन वर्मी कंपोस्ट खाद बनाया गया है. जिसकी वजह से प्रदेश में , उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की तरह खाद की किल्लत नहीं है .
जवाब : खाद के आवंटन को लेकर सरकार की प्राथमिकता में किसान नहीं है. बल्कि इनकी प्राथमिकता में बिचौलिए हैं. आज भी प्रदेश के निजी दुकानदारों के पास पर्याप्त मात्रा में खाद है. जिसे वे दोगुने दाम में बेच रहे हैं. दूसरी तरफ सरकारी दुकान में खाद नहीं है. वैसे भी रबी की फसल के लिए खरीफ़ की तुलना में 25% खाद की ही जरूरत पड़ती है. जो केंद्र की सरकार ने प्रदेश को उपलब्ध करवा दिया है. इसके बाद भी प्रदेश की सरकार , केंद्र पर आरोप लगा रही है. मेरा कहना यह है कि, अगर कमी है तो प्राइवेट दुकानदारों के पास भरपूर मात्रा में खाद कैसे उपलब्ध है. उन्हें इसका आवंटन किसने किया ? जबकि सरकारी दुकान में खाद नहीं है. इसका मतलब यह हुआ कि, इन्होंने अपने गिने-चुने लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए यह कार्य किया है.
सवाल : धान खरीदी में इस बार सरकार ने नया रिकॉर्ड बनाया है और पिछले साल की तुलना में धान की ज्यादा खरीदी की है ?
जवाब : सबसे पहली बात तो यह है कि, कांग्रेस की सरकार ने प्रदेश के किसानों का 8 लाख मीट्रिक टन धान को खरीदा ही नहीं. बोरे की खरीदी में भी किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ी है. धान खरीदी और धान की बंपर पैदावारी के लिए , प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को धन्यवाद देना चाहिए . जिन्होंने अपने कार्यकाल में किसानों के बिजली के कनेक्शन में वृद्धि की. प्रदेश में सिंचाई की क्षमता में भारी वृद्धि की गई. किसानों को बिजली कनेक्शन देने के लिए विशेष छूट दी गई और अपने कार्यकाल में ही उन्होंने किसानों से 70 लाख टन तक ,धान की खरीदी की . इन्ही वजह से अब प्रदेश के किसान , धान का उत्पादन ज्यादा कर रहे हैं , इसमें वर्तमान कांग्रेस की सरकार की कोई विशेष भूमिका नहीं है. बल्कि इसके लिए प्रदेश के किसान बधाई के पात्र हैं .