रायपुर: छत्तीसगढ़ में ठेका प्रथा और छटनी को बंद किए जाने को लेकर लगातार प्रदर्शन का दौर देखने को मिल रहा है. कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय द्वारा निकाले गए कर्मचारियों ने बूढ़ातालाब धरना स्थल पर अपनी 5 सूत्रीय मांग को लेकर प्रदर्शन किया. उन्होंने 23 कर्मचारियों की जल्द बहाली की मांग रखी है. ऐसा नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी गई दी है. संविदा पर काम करने वाले कर्मचारी पिछले 18 सालों से संविदा पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
प्रबंधन ने बिना किसी नोटिस काम से निकाला:केटीयू प्रबंधन द्वारा बिना किसी कारण बताए 6 फरवरी को संविदा में काम कर रहे 23 कर्मचारियों को निकाल दिया गया है. जिसके कारण इन कर्मचारियों के सामने अब रोजी रोटी और परिवार चलाने की समस्या खड़ी हो गई है. निकाले गए कर्मचारियों का कहना है कि "प्रबंधन द्वारा बिना किसी नोटिस या बिना किसी गड़बड़ी के कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया गया है. अब उन पर आउटसोर्सिंग और ठेका पद्धति से नौकरी में वापस आने के लिए दबाव बनाया जा रहा है, जिसका विरोध निकाले गए कर्मचारी कर रहे हैं. इन कर्मचारियों के समर्थन में कर्मचारी नेता विजय कुमार झा भी पहुंचे थे.
धरना स्थल पर प्रदर्शन करने से रोका जा रहा: कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने बताया कि "कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय की स्थापना भाजपा शासनकाल में साल 2005 में हुआ था. प्रदेश सरकार ने अनियमित और संविदा कर्मचारियों को 10 दिनों के भीतर नियमित करने का वादा किया था. अब तक पूरे प्रदेश में लगभग 20 हजार संविदा और अनियमित कर्मचारियों की छंटनी प्रदेश सरकार के द्वारा की जा चुकी है. अब पुलिस और प्रशासन के द्वारा बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर प्रदर्शन करने से रोका जा रहा है. ऐसे में प्रदेश सरकार नौकरी जाने के बाद उनके पेट पर लात मार रही है."