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ब्लैक फंगस के बढ़ते मरीजों के बीच बढ़ी मेडिसिन की डिमांड, डॉक्टर से लक्षण और बचाव जानिए

पहले कोरोना वायरस का संक्रमण और अब ब्लैक फंगस ने डॉक्टरों और मरीजों के सामने नई परेशानी खड़ी कर दी है. म्यूकर माइकोसिस नाम की बीमारी ने सरकार को इंतजाम बढ़ाने के लिए सचेत किया है. ब्लैक फंगस में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां भी महंगी हैं और इनकी डिमांड बढ़ गई है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी जिलों में ब्लैक फंगस के उपचार के लिए सभी जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिए हैं. ENT स्पेशलिस्ट डॉक्टर राकेश गुप्ता और रायपुर दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष विनय कृपलानी ने सवालों के जवाब दिए.

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ब्लैक फंगस से बचने के लिए करें ये उपाय, जानिए कितना खतरनाक है ये फंगस

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Published : May 13, 2021, 9:49 PM IST

Updated : May 13, 2021, 10:55 PM IST

रायपुर:कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे देश के लिए ब्लैक फंगस (Black Fungus) नाम की बीमारी नई चुनौती बन गई है. इस बीमारी का इलाज खर्चीला है और मृत्युदर भी ज्यादा है. ये संक्रमण मुख्य रूप से उन लोगों में पैदा हो रहा है जिन्हें डायबिटीज की बीमारी है या फिर जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है. इस इन्फेक्शन को म्यूकर माइकोसिस कहा जाता है. तेजी से बढ़ती इस बीमारी का असर छत्तीसगढ़ में भी देखने को मिल रहा है. प्रदेश के भिलाई में ब्लैक फंगस के चलते एक युवक की मौत हो गई. वहीं रायपुर एम्स में 15 मरीजों का इलाज किया जा रहा है. ब्लैक फंगस में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां भी महंगी हैं. उपयोग में आने वाले इंजेक्शन की डिमांड भी मार्केट में ज्यादा बढ़ गई है. ETV भारत ने ब्लैक फंगस होने के कारण और दवाइयों के उपयोग को लेकर विशेषज्ञों से चर्चा की. ENT स्पेशलिस्ट डॉक्टर राकेश गुप्ता और रायपुर दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष विनय कृपलानी ने सवालों के जवाब दिए.

ब्लैक फंगस को लेकर जानिए डॉक्टर से लक्षण और बचाव

सवाल: ब्लैक फंगस क्या है और यह पोस्ट कोविड मरीज में ही ज्यादा देखने को क्यों मिल रहा है ?

डॉ. राकेश गुप्ता:ब्लैक फंगस एक विशेष प्रकार का फंगल इंफेक्शन है. ये बीमारी साइनस, आंख के आसपास, आंख के पीछे वाले हिस्से और आंख के रास्ते से ब्रेन में चली जाती है. यह एक विशेष प्रकार का फंगल इंफेक्शन है जो बहुत एग्रेसिव होता है. बहुत तेजी से फैलता है. ब्लैक फंगस उन क्षेत्रों में ज्यादा प्रभावी दिख रहा है जहां बहुत ज्यादा इंसेक्टिसाइड या कीटनाशकों का प्रयोग होता है. जिनको डायबिटीज है, उनमें ये बहुत देखने को आता है. खासकर उत्तर भारत में इसका प्रभाव ज्यादा दिख रहा है. कोरोना की पहली लहर के दौरान पंजाब, हरियाणा में ब्लैक फंगस बहुत तेजी से फैल रहा था. वहीं दूसरी लहर में छत्तीसगढ़ में भी ब्लैक फंगस के मरीज आने लगे हैं. हमें लगता है कि जैसे-जैसे संक्रमित मरीजों की और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ेगी, उन पर असर दिखाई देगा. जिनको पहले से डायबिटीज था. जो बहुत लंबे समय ऑक्सीजन और वेंटिलेटर पर रहे. जिनमें एस्ट्रोराइड का उपयोग बहुतायत में किया गया. एंटीबायोटिक के इंजेक्शन दिए गए. उनमें ब्लैक फंगस मिलने की संभावना ज्यादा है. इसके लक्षणों की पहचान डॉक्टर्स कर रहे हैं. ज्यादातर मरीज जिनमें यह लक्षण दिख रहे हैं, वह जांच के दौरान पॉजिटिव भी आ रहे हैं.

सवाल: क्या यह ब्लैक फंगस पहले भी छत्तीसगढ़ के मरीजों में देखने को मिला है या कोविड बाद यह देखने को मिल रहा है ?

डॉ. राकेश गुप्ता:छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस बहुत कम लोगों में देखने को आता था. जैसे बड़े इंस्टीट्यूशंस हैं एम्स, मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल है, वहां पर साल में 5-6 मरीज देखने को मिलते थे. जिनमें साइनस है या डायबिटिक पेशेंट हैं. लंबे समय से एंटीबायोटिक खाते रहे हैं, उनमें ये देखने को ज्यादा मिल रहा है. यह लापरवाही के कारण भी फैलता है. लेकिन अभी तो ऐसा हो रहा है कि अचानक ब्लैक फंगस वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है और यह खतरनाक है.

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सवाल: क्या जिनकी इम्युनिटी कमजोर है ? लंबे समय तक वेंटिलेटर पर हैं. जो ऑक्सीजन पर हैं. उनपर ब्लैक फंगल इंफेक्शन ज्यादा अटैक कर रहा है ?

डॉ. राकेश गुप्ता:लंबे समय तक जो मरीज ऑक्सीजन और वेंटिलेटर पर रहे हैं. उनमें इम्युनिटी कमजोर हो गई. ऐसे मरीज जो पहले से डायबिटिक हैं या एंटीबायोटिक लंबे समय से खा रहे हैंं. ह्यूमिडिफायर एयर लंबे समय तक लेते रहे हैं. उन पर असर देखा जा रहा है. नाक के इलाज के साथ या साइनस के इलाज के समय डॉक्टरों ने फेफड़े या नाक की जांच पहले नहीं की. उन लोगों में पहले से कोई इंफेक्शन है. ऐसे लोगों को ब्लैक फंगस होने की संभावना ज्यादा होती है. पहले से मौजूद इंफेक्शन में फंगल ग्रोथ की संभावना ज्यादा रहती है.

सवाल: ब्लैक फंगस के सिम्टम्स क्या हैं ? कैसे पोस्ट कोरोना पेशेंट को पता चलेगा कि इस तरह की बीमारी उन्हें हो रही है ?

डॉ. राकेश गुप्ता:इस बीमारी में शुरुआती दिनों में प्रॉब्लम कान, नाक,गला, दांतों में होती है. ऐसे लोग जिन्हें ब्लैक फंगस या साइनस होता है, उन्हें एक तरफ के जबड़े में, नाक के एक हिस्से में दर्द होता है. आंख के आसपास बहुत तेज सिर दर्द होता है. रात को सोने में दिक्कत होती है. उसी तरह दांतों में दर्द होता है. कुछ का चेहरा धीरे-धीरे काला पड़ने लगता है. ऐसे लोग ज्यादातर डॉक्टर के पास आ रहे हैं. खासकर ऐसे मरीज जिन्हें 1 महीने पहले कोविड हुआ है.

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सवाल: किसी मरीज में अगर ऐसे सिम्टम्स आ रहे हैं, तो किस तरह से डॉक्टर से संपर्क करें ? कई लोगों को इस बारे में पता तक नहीं है ?

डॉ. राकेश गुप्ता:जिन मरीजों को नाक और चेहरे के आसपास दर्द हो रहा है. नाक से पस या खून मिला पानी निकलने की शिकायतें हैं. आंख के आसपास दर्द हो रहा है या ऊपरी दांतों में दर्द हो रहा है तो ENT स्पेशलिस्ट या दांत के डॉक्टर को जरूर दिखाएं. आवश्यक जांच करने के बाद और टेस्ट करने के बाद पता चल जाता है. ऐसे मरीजों को भर्ती करने के बाद इंजेक्शन दिया जाता है. जिन मरीजों में पहले से प्रतिरोधक क्षमता कम है या किडनी की बीमारी और डायबिटीज है. उनको बहुत ज्यादा सावधानी रखने की जरूरत है और तुरंत इलाज की जरूरत है. आने वाले दिनों में हम सब डॉक्टर को सावधान रहने की जरूरत है. क्योंकि ऐसे मरीजों को तुरंत इलाज की जरूरत होती है. दवाइयों की उपलब्धता हो तो ऐसे मरीजों को 70% के आसपास ठीक किया जा सकता है.

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ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों के बीच इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंटी फंगल दवाइयों (anti fungal drug) की डिमांड बढ़ गई है. रायपुर दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष विनय कृपलानी से ईटीवी भारत ने बात की. उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस काफी खतरनाक है. इसके इलाज के लिए अम्फोनेक्स (Amphonex), एम्फोटेरिसिन-बी (Amphotericin B) और पोसाकोनाजोल (posaconazole) इंजेक्शन का उपयोग सबसे ज्यादा होता है.

ब्लैक फंगस के बढ़ते मरीजों के बीच बढ़ी मेडिसिन की डिमांड

सवाल: ब्लैक फंगस इंफेक्शन बढ़ रहा है. इसमें कौन सी दवाइयां इस्तेमाल होती हैं. क्या बाजार में मेडिसिन उपलब्ध है ?

विनय कृपलानी:बढ़ा दुखद है. ब्लैक फंगस के जो केसेस आ रहे हैं. ये बहुत ही खतरनाक है. इसमें के लिए जो दवाई उपयोग हो होती हैं. इसमें मुख्य रूप से इंजेक्टेबल लग रहे हैं. एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन लगते हैं. ये पहले उतना इस्तेमाल नहीं होते थे. हमारे बाजार में भी उतना स्टाक नहीं रहता था. कंपनी भी उतना प्रोडक्शन करती नहीं थी. अभी अचानक से देश में डिमांड आई है. कंपनी ने प्रोडक्शन स्टार्ट कर दिया है. अभी जो पेशेंट हैं. उन मरीजों के लिए डोजेज बाजार में तो हैं. यदि अचानक से मरीज बढ़ते हैं तो थोड़ी दिक्कत पैदा हो सकती है. जब तक माल आने में कम से कम चार-पांच दिन लगेंगे.

सवाल: बाजार में कौन-कौन सी दवाइयां हैं. और इसके रेट क्या ?

विनय कृपलानी:एम्फोटेरिसिनके तीन वेरिएंट आते हैं, जो इस्तेमाल होते हैं. नॉर्मल वेरिएंट के इंजेक्शन का दाम 350 रुपए का है. वहीं हाईएस्ट वेरिएंट के इंजेक्शन का रेट 7-8 हजार के आसपास है. एक पोसाकोनाजोल भी इंजेक्शन है, जिसका भी इस्तेमाल हो रहा है.

सवाल: यदि सब दवाइयों की जगह मेन दवाइयां न हो तो उसमें काम चल जाएगा ?

विनय कृपलानी:इसको कंट्रोल करने के लिए ड्रग विभाग ने जिस प्रकार के रेमडेसिविर को बहुत अच्छे से कंट्रोल किया. उपलब्धता बनाए रखा. सिस्टमैटिक तरीके से रेमडेसिविर को मैनेज किया. वैसे ही हम उम्मीद करते हैं कि इन दवाओं को भी मैनेज ड्रग विभाग करेगा. हालांकि हमारे पास ड्रग विभाग से आदेश आ चुका है. जिन दवा दुकानदारों के पास जो भी स्टॉक है, उसका पूरा विवरण स्वास्थ्य विभाग को देना होगा. किस पेशेंट इंजेक्शन दिया जा रहा है, उसका पूरा ब्यौरा स्वास्थ्य विभाग को दिया जाएगा.

दवाओं के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिए निर्देश

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में ब्लैक फंगस के संक्रमण से होने की जानकारी को गंभीरता से लिया है. उन्होंने छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में ब्लैक फंगस के उपचार के लिए सभी जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिए हैं. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद छत्तीसगढ़ के खाद्य एवं औषधि प्रशासन नियंत्रक ने सभी जिलों में पदस्थ औषधि निरीक्षकों को अपने जिलों में औषधि पोसाकोनाजोल एवं एम्फोटेरेसिन-बी (समस्त डोसेज फॉर्म, टैबलेट, सिरप, इंजेक्शन एवं लाइपोसोमल इंजेक्शन) की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए गए हैं. खाद्य एवं औषधि प्रशासन नियंत्रक (Controller of food and drug administration) ने औषधि निरीक्षकों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्र के अंदर सभी हॉलसेलर, स्टॉकिस्ट, सीएंडएफ से उक्त औषधियों की वर्तमान में उपलब्ध मात्रा की जानकारी हर रोज लें. औषधि निरीक्षक अपने क्षेत्र के सभी औषधि प्रतिष्ठानों को इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी करें.

Last Updated : May 13, 2021, 10:55 PM IST

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