रायपुर: राजधानी के नन्हे छात्र जसराज सिंह ने अनोखा रिकॉर्ड बनाया है. उन्होंने सबसे तेज 2 मिनट में 100 मल्टीप्लीकेशन सॉल्व किया है. ऐसा करने वाले जसराज देश के पहले छात्र बन गए हैं. इसी के साथ उन्होंने वर्ल्ड वाइड बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और एशियन बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराते हुए प्रदेश और देश का भी मान बढ़ाया है. मास्टर जसराज की उम्र साढ़े 9 साल है और वह कक्षा चौथी के छात्र हैं. उन्होंने पूरे भारत में सबसे तेज सबसे और कम समय में 100 डिवीजन में तीन डिजिट को एक डिजिट से भाग दिया है. ऐसे में ईटीवी भारत ने उनसे और उनके परिजनों से खास बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा.
चार साल प्रैक्टिस करके हासिल की महारत:जसराज सिंह राजधानी रायपुर के पंडरी इलाके में रहते हैं. उन्होंने सबसे तेज गुणा करने में महारत हासिल की है. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि "मुझे शुरू से इन सभी चीजों में बहुत ही इंटरेस्ट था. इसीलिए मैंने यह सारी चीजें करनी शुरू की. मैं रोजाना प्रैक्टिस करता था. अभी नेशनल प्रतियोगिता हुआ था. उसमें मैं आंसर देख कर ही सिर्फ टाइप कर रहा था. तभी मुझे लगा कि मैं बना सकता हूं. मैं यह पिछले 4 साल से कर रहा हूं." उन्होंने कहा कि "उनका सपना आर्मी में जाने का है. वहां जाकर देश सेवा करना चाहते हैं."
Jasraj Singh of Raipur: नौ साल के जसराज सिंह ने बनाया अनोखा रिकॉर्ड, सबसे तेज गुणा करने के मामले में बने देश के पहले छात्र - राजधानी रायपुर के पंडरी
महज नौ साल की उम्र में चौथी कक्षा के छात्र ने वो कारनामा कर दिखाया, जिसका सपना भी विरले छात्र ही देखते हैं. रायपुर के जसराज सिंह वर्ल्ड वाइड बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और एशियन बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराते हुए सबसे तेज गुणा करने वाले देश के पहले छात्र बन गए हैं. इस रिकॉर्ड को बनाने के लिए उन्होंने सबसे समय भी लिया है.asian book of records
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जसराज बचपन से हैं डिफरेंट:जसराज के पिता कहते है कि "जसराज की रुचि बचपन से ही बहुत डिफरेंट रही है. वह मल्टी स्केल बच्चों में आता है, जो एक काम करते हुए भी दूसरे काम पर नजर रखने और उसे भी साथ-साथ करते हैं. इसकी काबिलियत हमें बचपन में ही समझ में आ रही थी. जसराज कुछ ना कुछ जरूर करेगा." उन्होंने कहा कि "जसराज को तो मैं नॉर्मल बच्चे को तैयार करते हैं, वैसे ही कर रहा हूं. बाकी काबिलियत उसमें है. वह अपने आप उसमें बढ़ता जाएगा."
शुरू से ही टैलेंट पहचान गई मां:जसराज की मां कहती हैं कि "अगर जसराज आर्मी में जाना चाहेगा तो बिल्कुल उसका स्वागत है. जो करना चाहे बच्चे करें और हर किसी को परमिशन देनी चाहिए कि बच्चे जो चाहते हैं उसे करने दो. बचपन में ही मैं इसके टैलेंट को पहचान गई थी. जब इसको मैं बचपन में भगत सिंह के फैंसी ड्रेस कंपटीशन के लिए तैयार कर रही थी तो उसमें टीचर ने कहा कि उसे ड्रेस पहनाकर भेज दें. लेकिन मुझे यह लगा कि जो स्लोगन है वह भी यह याद करें तो जसराज ने ढाई साल की उम्र में स्लोगन के साथ साथ सब कुछ याद कर लिया. इसका खुद का यूट्यूब चैनल है. वह उसमें अपलोड करता रहता है. इतना ही नहीं रतन टाटा के ऊपर भी बहुत बड़ी स्पीच हिंदी में बोली है. तो जसराज को केवल मैथ्स ही नहीं बल्कि सारी चीजों में इंटरेस्ट है."